Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
16 “याद रखो कि मैं तुम्हें इस प्रकार भेज रहा हूँ मानो भेड़ियों के समूह में भेड़. इसलिए ज़रूरी है कि तुम साँप जैसे चालाक तथा कबूतर जैसे भोले बनो. 17 सहजातियों से सावधान रहना क्योंकि वे ही तुम्हें पकड़ कर स्थानीय न्यायालय को सौंप देंगे. उनके यहूदी-सभागृहों में तुम्हें कोड़े लगाए जाएँगे. 18 यहाँ तक कि मेरे कारण मेरे गवाह के रूप में तुम्हें राज्यपालों और शासकों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. 19 जब तुम पकड़वाए जाओ तो यह चिन्ता न करना कि तुम्हें कैसे या क्या कहना होगा—सही शब्द तुम्हें उसी समय प्रदान किए जाएँगे 20 —क्योंकि वहाँ तुम नहीं परन्तु तुम्हारे स्वर्गीय पिता का आत्मा तुम्हारे द्वारा शब्द देगा.
21 “भाई अपने भाई को तथा पिता अपनी सन्तान को हत्या के लिए पकड़वाएगा. बालक अपने माता-पिता के विरुद्ध हो जाएँगे और उनकी हत्या का कारण बन जाएँगे. 22 मेरे नाम के कारण तुम सबकी घृणा के पात्र बन जाओगे किन्तु जो अन्त तक स्थिर रहेगा, वही उद्धार पाएगा. 23 जब वे तुम्हें एक नगर में यातना देने लगें तब दूसरे नगर को भाग जाना, क्योंकि सच्चाई यह है कि इस्राएल राष्ट्र के एक नगर से दूसरे नगर तक तुम्हारी यात्रा पूरी भी न होगी कि मनुष्य का पुत्र आ जाएगा.
24 “शिष्य अपने गुरु से श्रेष्ठ नहीं और न दास अपने स्वामी से. 25 शिष्य के पक्ष में यही काफी है कि वह अपने गुरु के तुल्य हो जाए तथा दास अपने स्वामी के. यदि उन्होंने परिवार के प्रधान को ही शैतान घोषित कर दिया तो उस परिवार के सदस्यों को क्या कुछ न कहा जाएगा!
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