Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
मया
9 आने मन ला निस्कपट मया करव। बुरई ले घिन करव; भलई करे म लगे रहव। 10 भाई के सहीं मया करत एक-दूसर बर समर्पित रहव। एक-दूसर ला अपन ले बढ़के आदर देवव। 11 काम-बुता करे म अलाली झन करव; पर परभू के सेवा उत्साह से करव। 12 परभू के ऊपर आसा म आनंदित रहव; दुःख तकलीफ के समय धीरज धरे रहव; पराथना म हमेसा लगे रहव। 13 परमेसर के मनखेमन ला, ओमन के जरूरत के मुताबिक मदद करव, अऊ पहुनई करे म लगे रहव। 14 जऊन मन तुमन ला सताथें, ओमन ला आसिस देवव, हां! आसिस देवव, सराप झन देवव। 15 आनंद मनइयामन के संग आनंद मनावव अऊ रोवइयामन के संग रोवव। 16 एक-दूसर के संग संगति रखव; घमंडी झन बनव, पर दीन-हीन मन के संग संगति रखव; अपन नजर म बुद्धिमान झन बनव। 17 कहूं कोनो तुम्हर बुरई करथे, त बदले म, ओकर बुरई झन करव। ओ काम करे के कोसिस करव, जऊन ला जम्मो झन सही समझथें। 18 जिहां तक हो सकय, तुमन जम्मो झन के संग सांति के साथ रहे के भरसक कोसिस करव। 19 हे मोर संगवारीमन! काकरो ले बदला झन लेवव, पर एला परमेसर के ऊपर छोंड़ देवव; परमेसर के कोरोध ओकर ऊपर भड़कही। काबरकि परमेसर के बचन म ए लिखे हवय, “परभू ह कहिथे, ‘बदला लेय के काम मोर अय, मेंह बदला लूहूं।’ ”[a] 20 परमेसर के बचन म ए घलो लिखे हवय,
“यदि तोर बईरी ह भूखा हवय,
त ओला खाना खवा, यदि ओह पियासा हवय, त ओला पानी पीया,
काबरकि तोर अइसने करे ले, ओह लज्जित होही।”[b]
21 बुरई ले झन हारव, पर भलई करे के दुवारा बुरई ला जीत लेवव।
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