Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
23 तब ओमन पौलुस बर एक दिन ठहराईन अऊ ओ दिन बहुंत मनखेमन पौलुस करा आईन। बिहनियां ले सांझ तक, ओह ओमन ला समझाईस अऊ परमेसर के राज के बारे म संदेस दीस। ओह मूसा के कानून अऊ अगमजानीमन के किताबमन ले यीसू के बारे म बतावत ओमन ला मनाय के कोसिस करिस। 24 कुछू मनखेमन ओकर बात ला मान लीन, पर कुछू मनखेमन बिसवास नइं करिन। 25 ओमन आपस म एक मत नइं होईन अऊ उहां ले जावन लगिन, जब पौलुस ह ए आखिरी बात कह लीस ― “पबितर आतमा ह यसायाह अगमजानी के दुवारा तुम्हर पुरखामन ला सच कहे हवय:
26 जा अऊ ए मनखेमन ला कह,
‘तुमन सुनत तो रहिहू, फेर कभू नइं समझहू;
तुमन देखत तो रहिहू, फेर कभू नइं बुझहू।
27 काबरकि ए मनखेमन के हिरदय ह कठोर हो गे हवय,
ओमन अपन कान ला बंद कर ले हवंय,
अऊ अपन आंखी ला मूंद ले हवंय।
नइं तो ओमन अपन आंखीमन ले देखतिन,
अपन कानमन ले सुनतिन, अपन हिरदय ले समझतिन,
अऊ ओमन मोर कोति लहुंटतिन
अऊ मेंह ओमन ला चंगा करतेंव।’[a]”
28 आखिर म पौलुस ह ए कहिस, “एकरसेति, मेंह चाहथंव कि तुमन जान लेवव कि परमेसर के उद्धार के संदेस आनजातमन करा पठोय गे हवय, अऊ ओमन एला सुनहीं।” 29 (पौलुस के अइसने कहे के बाद, यहूदीमन आपस म बहुंत बिवाद करत उहां ले चल दीन।)
30 पौलुस ह पूरा दू साल तक किराय के घर म रिहिस, अऊ ओह ओ जम्मो झन के सुवागत करय, जऊन मन ओकर ले मिले बर आवंय[b]। 31 ओह निधड़क होके अऊ बिगर रोक-टोक के परमेसर के राज के परचार करय अऊ परभू यीसू मसीह के बारे म सिखोवय।
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