Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
स्तेफ़ानॉस का पथराव—शाऊल भी एक उत्पीड़क
54 यह सुन सारे सुननेवाले तिलमिला उठे और स्तेफ़ानॉस पर दाँत पीसने लगे.
55 किन्तु पवित्रात्मा से भरकर स्तेफ़ानॉस ने जब अपनी दृष्टि स्वर्ग की ओर उठाई, उन्होंने परमेश्वर की महिमा को और मसीह येशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए देखा. 56 स्तेफ़ानॉस ने सुननेवालों को सम्बोधित करते हुए कहा, “वह देखिए! मुझे स्वर्ग खुला हुआ तथा मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं.”
57 यह सुनते ही सुननेवालों ने चीखते हुए अपने कानों पर हाथ रख लिए. फिर वे गुस्से में स्तेफ़ानॉस पर एक साथ टूट पड़े. 58 उन्होंने स्तेफ़ानॉस को पकड़ा और घसीटते हुए नगर के बाहर ले गए और वहाँ उन्होंने पथराव करके उनकी हत्या कर दी. इस समय उन्होंने अपने बाहरी कपड़े शाऊल नामक युवक के पास रख छोड़े थे.
59 जब वे स्तेफ़ानॉस का पथराव कर रहे थे, स्तेफ़ानॉस ने प्रभु से इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु येशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कीजिए.” 60 तब उन्होंने घुटने टेककर ऊँचे शब्द में यह कहा, “प्रभु, इन्हें इस पाप का दोषी न ठहराना.” यह कहते हुए स्तेफ़ानॉस लंबी नींद में सो गए.
8 स्तेफ़ानॉस की हत्या में पूरी तरह शाऊल सहमत था.
कलीसिया की सताहट और बिखराव
उसी दिन से येरूशालेम नगर की कलीसियाओं पर घोर सताहट शुरु हो गयी, जिसके फलस्वरूप प्रेरितों के अलावा सभी शिष्य यहूदिया तथा शोमरोन के क्षेत्रों में बिखर गए.
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