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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
निर्गमन 16:2-15

तब इस्राएल के लोगों ने फिर शिकायत करनी शुरु की। उन्होंने मूसा और हारुन से मरुभूमि में शिकायत की। लोगों ने मूसा और हारुन से कहा, “यह हमारे लिए अच्छा होता कि यहोवा ने हम लोगों को मिस्र में मार डाला होता। मिस्र में हम लोगों के पास खाने को बहुत था। हम लोगों के पास वह सारा भोजन था जिसकी हमें आवश्यकता थी। किन्तु अब तुम हमें मरुभूमि में ले आये हो। हम सभी यहाँ भूख से मर जाएंगे।”

तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं आकाश से भोजन गिराऊँगा। वह भोजन तुम लोगों के खाने के लिए होगा। हर एक दिन लोग बाहर जायें और उस दिन खाने की जरूरत के लिए भोजन इकट्ठा करें। मैं यह इसलिए करूँगा कि मैं देखूँ कि क्या लोग वही करेंगे जो मैं करने को कहूँगा। हर एक दिन लोग प्रत्येक दिन के लिए पर्याप्त भोजन इकट्ठा करें। किन्तु शुक्रवार को जब भोजन तैयार करने लगें तो देखें कि वे दो दिन के लिए पर्याप्त भोजन रखते हैं।”[a]

इसलिए मूसा और हारून ने इस्राएल के लोगों से कहा, “आज की रात तुम लोग यहोवा की शक्ति देखोगे। तुम लोग जानोगे कि एक मात्र वह ही ऐसा है जिसने तुम लोगों को मिस्र देश से बचा कर बाहर निकाला। कल सवेरे तुम लोग यहोवा की महिमा देखोगे। तुम लोगों ने यहोवा से शिकायत की। उसने तुम लोगों की सुनी। तुम लोग हम लोगों से शिकायत पर शिकायत कर रहे हो। संभव है कि हम लोग अब कुछ आराम कर सकें।”

और मूसा ने कहा, “तुम लोगों ने शिकायत की और यहोवा ने तुम लोगों की शिकायतें सुन ली है। इसलिए रात को यहोवा तुम लोगों को माँस देगा और हर सवेरे तुम लोग वह सारा भोजन पाओगे, जिसकी तुम को ज़रुरत है। तुम लोग मुझसे और हारून से शिकायत करते रहे हो। याद रखो तुम लोग मेरे और हारून के विरुद्ध शिकायत नहीं कर रहे हो। तुम लोग यहोवा के विरुद्ध शिकायत कर रहे हो।”

तब मूसा ने हारून से कहा, “इस्राएल के लोगों को सम्बोधित करो। उनसे कहो, ‘यहोवा के सामने इकट्ठे हों क्योंकि उसने तुम्हारी शिकायतें सुनी हैं।’”

10 हारून ने इस्राएल के सभी लोगों को सम्बोधित किया। वे सभी एक स्थान पर इकट्ठे थे। जब हारून बातें कर रहा था तभी लोग मुड़े और उन्होंने मरूभूमि की ओर देखा और उन्होंने यहोवा की महिमा को बादल में प्रकट होते देखा।

11 यहोवा ने मूसा से कहा, 12 “मैंने इस्राएल के लोगों की शिकायत सुनी है। इसलिए उनसे मेरी बातें कहो। मैं कहता हूँ, ‘आज साँझ को तुम माँस खाओगे और कल सवेरे तुम लोग भरपेट रोटियाँ खाओगे, तब तुम लोग जानोगे कि तुम लोग अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास कर सकते हो।’”

13 उस रात बटेरें (पक्षियाँ) डेरे के चारों ओर आईं। लोगों ने इन बटेरों को माँस के लिए पकड़ा। सवेरे डेरे के पास ओस पड़ी होती थी। 14 सूरज के निकलने पर ओस पिघल जाती थी किन्तु ओस के पिघलने पर पाले की तह की तरह ज़मीन पर कुछ रह जाता था। 15 इस्राएल के लोगों ने इसे देखा और परस्पर कहा, “वह क्या है?”[b] उन्होंने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि वे नहीं जानते थे कि वह क्या चीज है। इसलिए मूसा ने उनसे कहा, “यह भोजन है जिसे यहोवा तुम्हें खाने को दे रहा है।

भजन संहिता 105:1-6

यहोवा का धन्यवाद करो! तुम उसके नाम की उपासना करो।
    लोगों से उनका बखान करो जिन अद्भुत कामों को वह किया करता है।
यहोवा के लिये तुम गाओ। तुम उसके प्रशंसा गीत गाओ।
    उन सभी आश्चर्यपूर्ण बातों का वर्णन करो जिनको वह करता है।
यहोवा के पवित्र नाम पर गर्व करो।
    ओ सभी लोगों जो यहोवा के उपासक हो, तुम प्रसन्न हो जाओ।
सामर्थ्य पाने को तुम यहोवा के पास जाओ।
    सहारा पाने को सदा उसके पास जाओ।
उन अद्भुत बातों को स्मरण करो जिनको यहोवा करता है।
    उसके आश्चर्य कर्म और उसके विवेकपूर्ण निर्णयों को याद रखो।
तुम परमेश्वर के सेवक इब्राहीम के वंशज हो।
    तुम याकूब के संतान हो, वह व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने चुना था।

भजन संहिता 105:37-45

37 फिर परमेश्वर निज भक्तों को मिस्र से निकाल लाया।
    वे अपने साथ सोना और चाँदी ले आये।
    परमेश्वर का कोई भी भक्त गिरा नहीं न ही लड़खड़ाया।
38 परमेश्वर के लोगों को जाते हुए देख कर मिस्र आनन्दित था,
    क्योंकि परमेश्वर के लोगों से वे डरे हुए थे।
39 परमेश्वर ने कम्बल जैसा एक मेघ फैलाया।
    रात में निज भक्तों को प्रकाश देने के लिये परमेश्वर ने अपने आग के स्तम्भ को काम में लाया।
40 लोगों ने खाने की माँग की और परमेश्वर उनके लिये बटेरों को ले आया।
    परमेश्वर ने आकाश से उनको भरपूर भोजन दिया।
41 परमेश्वर ने चट्टान को फाड़ा और जल उछलता हुआ बाहर फूट पड़ा।
    उस मरुभूमि के बीच एक नदी बहने लगी।

42 परमेश्वर ने अपना पवित्र वचन याद किया।
    परमेश्वर ने वह वचन याद किया जो उसने अपने दास इब्राहीम को दिया था।
43 परमेश्वर अपने विशेष को मिस्र से बाहर निकाल लाया।
    लोग प्रसन्न गीत गाते हुए और खुशियाँ मनाते हुए बाहर आ गये!
44 फिर परमेश्वर ने निज भक्तों को वह देश दिया जहाँ और लोग रह रहे थे।
    परमेश्वर के भक्तों ने वे सभी वस्तु पा ली जिनके लिये औरों ने श्रम किया था।
45 परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोग उसकी व्यवस्था माने।
    परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वे उसकी शिक्षाओं पर चलें।

यहोवा के गुण गाओ!

फिलिप्पियों 1:21-30

21 क्योंकि मेरे जीवन का अर्थ है मसीह और मृत्यु का अर्थ है एक उपलब्धि। 22 किन्तु यदि मैं अपने इस शरीर से जीवित ही रहूँ तो इसका अर्थ यह होगा कि मैं अपने कर्म के परिणाम का आनन्द लूँ। सो मैं नहीं जानता कि मैं क्या चुनूँ। 23 दोनों विकल्पों के बीच चुनाव में मुझे कठिनाई हो रही है। मैं अपने जीवन से विदा होकर मसीह के पास जाना चाहता हूँ क्योंकि वह अति उत्तम होगा। 24 किन्तु इस शरीर के साथ ही मेरा यहाँ रहना तुम्हारे लिये अधिक आवश्यक है। 25 और क्योंकि यह मैं निश्चय के साथ जानता हूँ कि मैं यहीं रहूँगा और तुम सब की आध्यात्मिक उन्नति और विश्वास से उत्पन्न आनन्द के लिये तुम्हारे साथ रहता ही रहूँगा। 26 ताकि तुम्हारे पास मेरे लौट आने के परिणामस्वरूप तुम्हें मसीह यीशु में स्थित मुझ पर गर्व करने का और अधिक आधार मिल जाये।

27 किन्तु हर प्रकार से ऐसा करो कि तुम्हारा आचरण मसीह के सुसमाचार के अनुकूल रहे। जिससे चाहे मैं तुम्हारे पास आकर तुम्हें देखूँ और चाहे तुमसे दूर रहूँ, तुम्हारे बारे में यही सुनूँ कि तुम एक ही आत्मा में दृढ़ता के साथ स्थिर हो और सुसमाचार से उत्पन्न विश्वास के लिए एक जुट होकर संघर्ष कर रहे हो। 28 तथा मैं यह भी सुनना चाहता हूँ कि तुम अपने विरोधियों से किसी प्रकार भी नहीं डर रहे हो। तुम्हारा यह साहस उनके विनाश का प्रमाण है और यही प्रमाण है तुम्हारी मुक्ति का और परमेश्वर की ओर से ऐसा ही किया जायेगा। 29 क्योंकि मसीह की ओर से तुम्हें न केवल उसमें विश्वास करने का बल्कि उसके लिए यातनाएँ झेलने का भी विशेषाधिकार दिया गया है। 30 तुम जानते हो कि तुम उसी संघर्ष में जुटे हो, जिसमें मैं जुटा था और जैसा कि तुम सुनते हो आज तक मैं उसी में लगा हूँ।

मत्ती 20:1-16

मजदूरों की दृष्टान्त-कथा

20 “स्वर्ग का राज्य एक ज़मींदार के समान है जो सुबह सवेरे अपने अंगूर के बगीचों के लिये मज़दूर लाने को निकला। उसने चाँदी के एक रुपये पर मज़दूर रख कर उन्हें अपने अंगूर के बगीचे में काम करने भेज दिया।

“नौ बजे के आसपास ज़मींदार फिर घर से निकला और उसने देखा कि कुछ लोग बाजार में इधर उधर यूँ ही बेकार खड़े हैं। तब उसने उनसे कहा, ‘तुम भी मेरे अंगूर के बगीचे में जाओ, मैं तुम्हें जो कुछ उचित होगा, दूँगा।’ सो वे भी बगीचे में काम करने चले गये।

“फिर कोई बारह बजे और दुबारा तीन बजे के आसपास, उसने वैसा ही किया। कोई पाँच बजे वह फिर अपने घर से गया और कुछ लोगों को बाज़ार में इधर उधर खड़े देखा। उसने उनसे पूछा, ‘तुम यहाँ दिन भर बेकार ही क्यों खड़े रहते हो?’

“उन्होंने उससे कहा, ‘क्योंकि हमें किसी ने मज़दूरी पर नहीं रखा।’

“उसने उनसे कहा, ‘तुम भी मेरे अंगूर के बगीचे में चले जाओ।’

“जब साँझ हूई तो अंगूर के बगीचे के मालिक ने अपने प्रधान कर्मचारी को कहा, ‘मज़दूरों को बुलाकर अंतिम मज़दूर से शुरू करके जो पहले लगाये गये थे उन तक सब की मज़दूरी चुका दो।’

“सो वे मज़दूर जो पाँच बजे लगाये थे, आये और उनमें से हर किसी को चाँदी का एक रुपया मिला। 10 फिर जो पहले लगाये गये थे, वे आये। उन्होंने सोचा उन्हें कुछ अधिक मिलेगा पर उनमें से भी हर एक को एक ही चाँदी का रुपया मिला। 11 रुपया तो उन्होंने ले लिया पर ज़मींदार से शिकायत करते हुए 12 उन्होंने कहा, ‘जो बाद में लगे थे, उन्होंने बस एक घंटा काम किया और तूने हमें भी उतना ही दिया जितना उन्हें। जबकि हमने सारे दिन चमचमाती धूप में मेहनत की।’

13 “उत्तर में उनमें से किसी एक से जमींदार ने कहा, ‘दोस्त, मैंने तेरे साथ कोई अन्याय नहीं किया है। क्या हमने तय नहीं किया था कि मैं तुम्हें चाँदी का एक रुपया दूँगा? 14 जो तेरा बनता है, ले और चला जा। मैं सबसे बाद में रखे गये इस को भी उतनी ही मज़दूरी देना चाहता हूँ जितनी तुझे दे रहा हूँ। 15 क्या मैं अपने धन का जो चाहूँ वह करने का अधिकार नहीं रखता? मैं अच्छा हूँ क्या तू इससे जलता है?’

16 “इस प्रकार अंतिम पहले हो जायेंगे और पहले अंतिम हो जायेंगे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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