Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 यहोवा का धन्यवाद करो! तुम उसके नाम की उपासना करो।
लोगों से उनका बखान करो जिन अद्भुत कामों को वह किया करता है।
2 यहोवा के लिये तुम गाओ। तुम उसके प्रशंसा गीत गाओ।
उन सभी आश्चर्यपूर्ण बातों का वर्णन करो जिनको वह करता है।
3 यहोवा के पवित्र नाम पर गर्व करो।
ओ सभी लोगों जो यहोवा के उपासक हो, तुम प्रसन्न हो जाओ।
4 सामर्थ्य पाने को तुम यहोवा के पास जाओ।
सहारा पाने को सदा उसके पास जाओ।
5 उन अद्भुत बातों को स्मरण करो जिनको यहोवा करता है।
उसके आश्चर्य कर्म और उसके विवेकपूर्ण निर्णयों को याद रखो।
6 तुम परमेश्वर के सेवक इब्राहीम के वंशज हो।
तुम याकूब के संतान हो, वह व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने चुना था।
23 फिर जब इस्राएल मिस्र में आया।
याकूब हाम के देश में रहने लगा।
24 याकूब के वंशज बहुत से हो गये।
वे मिस्र के लोगों से अधिक बलशाली बन गये।
25 इसलिए मिस्री लोग याकूब के घराने से घृणा करने लगे।
मिस्र के लोग अपने दासों के विरुद्ध कुचक्र रचने लगे।
26 इसलिए परमेश्वर ने निज दास मूसा
और हारुन जो नबी चुना हुआ था, भेजा।
45 परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोग उसकी व्यवस्था माने।
परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वे उसकी शिक्षाओं पर चलें।
यहोवा के गुण गाओ!
मूसा के लिए प्रमाण
4 तब मूसा ने परमेश्वर से कहा, “किन्तु इस्राएल के लोग मुझ पर विश्वास नहीं करेंगे जब मैं उनसे कहूँगा कि तूने मुझे भेजा है। वे कहेंगे, ‘यहोवा ने तुमसे बातें नहीं कीं।’”
2 किन्तु परमेश्वर ने मूसा से कहा, “तुमने अपने हाथ में क्या ले रखा है?”
मूसा ने उत्तर दिया, “यह मेरी टहलने की लाठी है।”
3 तब परमेश्वर ने कहा, “अपनी लाठी को जमीन पर फेंको।”
इसलिए मूसा ने अपनी लाठी को जमीन पर फेंका और लाठी एक साँप बन गयी। मूसा डरा और इससे दूर भागा। 4 किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “आगे बढ़ो और साँप की पूँछ पकड़ लो।”
इसलिए मूसा आगे बढ़ा और उसने साँप की पूँछ पकड़ लीया। जब मूसा ने ऐसा किया तो साँप फिर लाठी बन गयी। 5 तब परमेश्वर ने कहा, “अपनी लाठी का इसी प्रकार उपयोग करो और लोग विश्वास करेंगे कि तुमने यहोवा अर्थात् अपने पूर्वजों के परमेश्वर, इब्राहीम के परमेश्वर, इसहाक के परमेश्वर तथा याकूब के परमेश्वर को देखा है।”
6 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं तुमको दूसरा प्रमाण दूँगा। तुम अपने हाथ को अपने लबादे के अन्दर करो।”
इसलिए मूसा ने अपने लबादे को खोला और हाथ को अन्दर किया। तब मूसा ने अपने हाथ को लबादे से बाहर निकाला और वह बदला हुआ था। उसका हाथ बर्फ की तरह सफेद दागों से ढका था।
7 तब परमेश्वर ने कहा, “अब तुम अपना हाथ फिर लबादे के भीतर रखो।” इसलिए मूसा ने फिर अपना हाथ अपने लबादे के भीतर किया। तब मूसा ने अपना हाथ बाहर निकाला और उसका हाथ बदल गया था। अब उसका हाथ पहले की तरह ठीक हो गया था।
8 तब परमेश्वर ने कहा, “यदि लोग तुम्हारा विश्वास लाठी का उपयोग करने पर न करें, तो वे तुम पर तब विश्वास करेंगे जब तुम इस चिन्ह को दिखाओगे। 9 यदि वे दोनों चीजों को दिखाने के बाद भी विश्वास न करें तो तुम नील नदी से कुछ पानी लेना। पानी को ज़मीन पर गिराना शुरु करना और ज्यों ही यह ज़मीन को छूएगा, खून बन जाएगा।”
यीशु का बहुतों को ठीक करना
(मरकुस 1:29-34; लूका 4:38-41)
14 यीशु जब पतरस के घर पहुँचा उसने पतरस की सास को बुखार से पीड़ित बिस्तर में लेटे देखा। 15 सो यीशु ने उसे अपने हाथ से छुआ और उसका बुखार उतर गया। फिर वह उठी और यीशु की सेवा करने लगी।
16 जब साँझ हुई, तो लोग उसके पास बहुत से ऐसे लोगों को लेकर आये जिनमें दुष्टात्माएँ थीं। अपनी एक ही आज्ञा से उसने दुष्टात्माओं को निकाल दिया। इस तरह उसने सभी रोगियों को चंगा कर दिया। 17 यह इसलिये हुआ ताकि परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा जो कुछ कहा था, पूरा हो:
“उसने हमारे रोगों को ले लिया और हमारे संतापों को ओढ़ लिया।”(A)
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