Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद की प्रार्थना।
1 मैं एक दीन, असहाय जन हूँ।
हे यहोवा, तू कृपा करके मेरी सुन ले, और तू मेरी विनती का उत्तर दे।
2 हे यहोवा, मैं तेरा भक्त हूँ।
कृपा करके मुझको बचा ले। मैं तेरा दास हूँ। तू मेरा परमेश्वर है।
मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर।
3 मेरे स्वामी, मुझ पर दया कर।
मैं सारे दिन तेरी विनती करता रहा हूँ।
4 हे स्वामी, मैं अपना जीवन तेरे हाथ सौंपता हूँ।
मुझको तू सुखी बना मैं तेरा दास हूँ।
5 हे स्वामी, तू दयालु और खरा है।
तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं।
6 हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
मैं दया के लिये जो प्रार्थना करता हूँ, उस पर तू कान दे।
7 हे यहोवा, अपने संकट की घड़ी में मैं तेरी विनती कर रहा हूँ।
मैं जानता हूँ तू मुझको उत्तर देगा।
8 हे परमेश्वर, तेरे समान कोई नहीं।
जैसे काम तूने किये हैं वैसा काम कोई भी नहीं कर सकता।
9 हे स्वामी, तूने ही सब लोगों को रचा है।
मेरी कामना यह है कि वे सभी लोग आयें और तेरी आराधना करें! वे सभी तेरे नाम का आदर करें!
10 हे परमेश्वर, तू महान है!
तु अद्भुत कर्म करता है! बस तू ही परमेश्वर है!
43 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “फसह पर्व के नियम ये हैं: कोई विदेशी फसह पर्व में से नहीं खाएगा। 44 किन्तु यदि कोई व्यक्ति दास को खरीदेगा और यदि उसका खतना करेगा तो वह दास उस में से खा सकेगा। 45 किन्तु यदि कोई व्यक्ति केवल तुम लोगों के देश में रहता है या किसी व्यक्ति को तुम्हारे लिए मजदूरी पर रखा गया है तो उस व्यक्ति को उस में से नहीं खाना चाहिए। वह केवल इस्राएल के लोगों के लिए है।
46 “प्रत्येक परिवार को घर के भीतर ही भोजन करना चाहिए। कोई भी भोजन घर के बाहर नहीं ले जाना चाहिए। मेमने की किसी हड्डी को न तोड़ें। 47 पूरी इस्राएली जाति इस उत्सव को अवश्य मनाए। 48 यदि कोई ऐसा व्यक्ति तुम लोगों के साथ रहता है जो इस्राएल की जाति का सदस्य नहीं है किन्तु वह फसह पर्व में सम्मिलित होना चाहता है तो उसका खतना अवश्य होना चाहिए। तब वह इस्राएल के नागरिक के समान होगा, और वह भोजन में भाग ले सकेगा। किन्तु यदि उस व्यक्ति का खतना नहीं हुआ हो तो वह इस फसह पर्व के भोजन को नहीं खा सकता। 49 ये ही नियम हर एक पर लागू होंगे। नियमों के लागू होने में इस बात को कोई महत्व नहीं होगा कि वह व्यक्ति तुम्हारे देश का नागरिक है या विदेशी है।”
उद्धारकर्ता मसीह का मानव देह धारण
5 उस भावी संसार को, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, उसने स्वर्गदूतों के अधीन नहीं किया 6 बल्कि शास्त्र में किसी स्थान पर किसी ने यह साक्षी दी है:
“मनुष्य क्या है,
जो तू उसकी सुध लेता है?
मानव पुत्र का क्या है
जिसके लिए तू चिंतित है?
7 तूने स्वर्गदूतों से उसे थोड़े से समय को किंचित कम किया।
उसके सिर पर महिमा और आदर का राजमुकुट रख दिया।
8 और उसके चरणों तले उसकी अधीनता मे सभी कुछ रख दिया।”(A)
सब कुछ को उसके अधीन रखते हुए परमेश्वर ने कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ा जो उसके अधीन न हो। फिर भी आजकल हम प्रत्येक वस्तु को उसके अधीन नहीं देख रहे हैं। 9 किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।
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