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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:41-48

वाव्

41 हे यहोवा, तू सच्चा निज प्रेम मुझ पर प्रकट कर।
    मेरी रक्षा वैसे ही कर जैसे तूने वचन दिया।
42 तब मेरे पास एक उत्तर होगा। उनके लिये जो लोग मेरा अपमान करते हैं।
    हे यहोवा, मैं सचमुच तेरी उन बातों के भरोसे हूँ जिनको तू कहता है।
43 तू अपनी शिक्षाएँ जो भरोसे योग्य है, मुझसे मत छीन।
    हे यहोवा, तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का मुझे भरोसा है।
44 हे यहोवा, मैं तेरी शिक्षाओं का पालन सदा और सदा के लिये करूँगा।
45 सो मैं सुरक्षित जीवन जीऊँगा।
    क्यों मैं तेरी व्यवस्था को पालने का कठिन जतन करता हूँ।
46 यहोवा के वाचा की चर्चा मैं राजाओं के साथ करूँगा
    और वे मुझे संकट में कभी न डालेंगे।
47 हे यहोवा, मुझे तेरी व्यवस्थाओं का मनन भाता है।
    तेरी व्यवस्थाओं से मुझको प्रेम है।
48 हे यहोवा, मैं तेरी व्यवस्थाओं के गुण गाता हूँ,
    वे मुझे प्यारी हैं और मैं उनका पाठ करूँगा।

उत्पत्ति 18:16-33

16 तब वे पुरुष जाने के लिए उठे। उन्होंने सदोम की ओर देखा और उसी ओर चल पड़े। इब्राहीम उनको विदा करने के लिए कुछ दूर तक उनके साथ गया।

परमेश्वर के साथ इब्राहीम का सौदा

17 यहोवा ने मन में कहा, “क्या मैं इब्राहीम से वह कह दूँ जो मैं अभी करूँगा? 18 इब्राहीम से एक बड़ा और शक्तिशाली राष्ट्र बन जाएगा। इसी के कारण पृथ्वी के सारे मनुष्य आशीर्वाद पायेंगे। 19 मैंने इब्राहीम के साथ खास वाचा की है। मैंने यह इसलिए किया है कि वह अपने बच्चे और अपने वंशज को उस तरह जीवन बिताने के लिए आज्ञा देगा जिस तरह का जीवन बिताना यहोवा चाहता है। मैंने यह इसलिए किया कि वे सच्चाई से रहेंगे और भले बनेंगे। तब मैं यहोवा प्रतिज्ञा की गई चीज़ों को दूँगा।”

20 तब यहोवा ने कहा, “मैंने बार—बार सुना है कि सदोम और अमोरा के लोग बहुत बुरे हैं। 21 इसलिए मैं वहाँ जाऊँगा और देखूँगा कि क्या हालत उतनी ही खराब है जितनी मैंने सुनी है। तब मैं ठीक—ठीक जान लूँगा।”

22 तब वे लोग मुड़े और सदोम की ओर चल पड़े। किन्तु इब्राहीम यहोवा के सामने खड़ा रहा। 23 तब इब्राहीम यहोवा से बोला, “हे यहोवा, क्या तू बुरे लोगों को नष्ट करने के साथ अच्छे लोगों को भी नष्ट करने की बात सोच रहा है? 24 यदि उस नगर में पचास अच्छे लोग हों तो क्या होगा? क्या तब भी तू नगर को नष्ट कर देगा? निश्चय ही तू वहाँ रहने वाले पचास अच्छे लोगों के लिए उस नगर को बचा लेगा। 25 निश्चय ही तू नगर को नष्ट नहीं करेगा। बुरे लोगों को मारने के लिए तू पचास अच्छे लोगों को नष्ट नहीं करेगा। अगर ऐसा हुआ तो अच्छे और बुरे लोग एक ही हो जाएँगे, दोनों को ही दण्ड मिलेगा। तू पूरी पृथ्वी को न्याय देने वाला है। मैं जानता हूँ कि तू न्याय करेगा।”

26 तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे सदोम नगर में पचास अच्छे लोग मिले तो मैं पूरे नगर को बचा लूँगा।”

27 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, तेरी तुलना में, मैं केवल धूलि और राख हूँ। लेकिन तू मुझको फिर थोड़ा कष्ट देने का अवसर दे और मुझे यह पूछने दे कि 28 यदि पाँच अच्छे लोग कम हों तो क्या होगा? यदि नगर में पैंतालीस ही अच्छे लोग हों तो क्या होगा। क्या तू केवल पाँच लोगों के लिए पूरा नगर नष्ट करेगा?”

तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे वहाँ पैंतालीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

29 इब्राहीम ने फिर यहोवा से कहा, “यदि तुझे वहाँ केवल चालीस अच्छे ओग मिले तो क्या तू नगर को नष्ट कर देगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे चालीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

30 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा कृपा करके मुझ पर नाराज़ न हो। मुझे यह पूछने दे कि यदि नगर में केवल तीस अच्छे लोग हो तो क्या तू नगर को नष्ट करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे तीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

31 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, क्या मैं तुझे फिर कष्ट दूँ और पूछ लूँ कि यदि बीस ही अच्छे लोग वहाँ हुए तो?”

यहोवा ने उत्तर दिया, “अगर मुझे बीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

32 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा तू मुझसे नाराज़ न हो मुझे अन्तिम बार कष्ट देने का मौका दे। यदि तुझे वहाँ दस अच्छे लोग मिले तो तू क्या करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे नगर में दस अच्छे लोग मिले तो भी मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

33 यहोवा ने इब्राहीम से बोलना बन्द कर दिया, इसलिए यहोवा चला गया और इब्राहीम अपने घर लौट आया।

मत्ती 12:1-8

यहूदियों द्वारा यीशु और उसके शिष्यों की आलोचना

(मरकुस 2:23-28; लूका 6:1-5)

12 लगभग उसी समय यीशु सब्त के दिन अनाज के खेतों से होकर जा रहा था। उसके शिष्यों को भूख लगी और वे गेहूँ की कुछ बालें तोड़ कर खाने लगे। फरीसियों ने ऐसा होते देख कर कहा, “देख, तेरे शिष्य वह कर रहे हैं जिसका सब्त के दिन किया जाना मूसा की व्यवस्था के अनुसार उचित नहीं है।”

इस पर यीशु ने उनसे पूछा, “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि दाऊद और उसके साथियों ने, जब उन्हें भूख लगी, क्या किया था? उसने परमेश्वर के घर में घुसकर परमेश्वर को चढ़ाई पवित्र रोटियाँ कैसे खाई थीं? यद्यपि उसको और उसके साथियों को उनका खाना मूसा की व्यवस्था के विरुद्ध था। उनको केवल याजक ही खा सकते थे। या मूसा की व्यवस्था में तुमने यह नहीं पढ़ा कि सब्त के दिन मन्दिर के याजक ही वास्तव में सब्त को बिगाड़ते हैं। और फिर भी उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ, यहाँ कोई है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम शास्त्रों में जो लिखा है, उसे जानते कि, ‘मैं लोगों में दया चाहता हूँ, पशु बलि नहीं’ तो तुम उन्हें दोषी नहीं ठहराते, जो निर्दोष हैं।

“हाँ, मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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