Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद को समर्पित।
1 हे यहोवा, मेरा न्याय कर, प्रमाणित कर कि मैंने पवित्र जीवन बिताया है।
मैंने यहोवा पर कभी विश्वस करना नहीं छोड़ा।
2 हे यहोवा, मुझे परख और मेरी जाँच कर,
मेरे हृदय में और बुद्धि को निकटता से देख।
3 मैं तेरे प्रेम को सदा ही देखता हूँ,
मैं तेरे सत्य के सहारे जिया करता हूँ।
4 मैं उन व्यर्थ लोगो में से नहीं हूँ।
5 उन पापी टोलियों से मुझको घृणा है,
मैं उन धूर्तो के टोलों में सम्मिलित नहीं होता हूँ।
6 हे यहोवा, मैं हाथ धोकर तेरी वेदी पर आता हूँ।
7 हे यहोवा, मैं तेरे प्रशंसा गीत गाता हूँ,
और जो आश्चर्य कर्म तूने किये हैं, उनके विषय में मैं गीत गाता हूँ।
8 हे यहोवा, मुझको तेरा मन्दिर प्रिय है।
मैं तेरे पवित्र तम्बू से प्रेम करता हूँ।
15 यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यदि मूसा और शमूएल भी यहूदा के लोगों के लिये प्रार्थना करने वाले होते, तो भी मैं इन लोगों के लिये अफसोस नहीं करता। यहूदा के लोगों को मुझसे दूर भेजो। उनसे जाने को कहो। 2 वे लोग तुमसे पूछ सकते हैं, ‘हम लोग कहाँ जाएंगे’ तुम उनसे यह कहो, यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“मैंने कुछ लोगों को मरने के लिये निश्चित किया है।
वे लोग मरेंगे।
मैंने कुछ लोगों को तलवार के घाट उतारना निश्चित किया है,
वे लोग तलवार के घाट उतारे जाएंगे।
मैंने कुछ को भूख से मरने के लिये निश्चित किया है।
वे लोग भूख से मरेंगे। मैंने कुछ लोगों का बन्दी होना
और विदेश ले जाया जाना निश्चित किया है।
वे लोग उन विदेशों में बन्दी रहेंगे।
3 यहोवा कहता है कि मैं चार प्रकार की विनाशकारी शक्तियाँ उनके विरुद्ध भेजूँगा।
यह सन्देश यहोवा का है।
‘मैं शत्रु को तलवार के साथ मारने के लिए भेजूँगा।
मैं कुत्तों को उनका शव घसीट ले जाने को भेजूँगा।
मैं हवा में उड़ते पक्षियों और जंगली जानवरों को
उनके शवों को खाने और नष्ट करने को भेजूँगा।
4 मैं यहूदा के लोगों को ऐसा दण्ड दूँगा
कि धरती के लोग इसे देख कर काँप जायेंगे।
मैं यहूदा के लोगों के साथ यह,
मनश्शे ने यरूशलेम में जो कुछ किया, उसके कारण करुँगा।
मनश्शे, राजा हिलकिय्याह का पुत्र था।
मनश्शे यहूदा राष्ट्र का एक राजा था।’
5 “यरूशलेम नगर, तुम्हारे लिये कोई अफसोस नहीं करेगा।
कोई व्यक्ति तुम्हारे लिए न दु:खी होगा, न ही रोएगा।
कौन तुम्हारा कुशल क्षेम पूछने तुम्हारे पास आयेगा!
6 यरूशलेम, तुमने मुझे छोड़ा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुमने मुझे बार बार त्यागा।
अत: मैं दण्ड दूँगा और तुझे नष्ट करुँगा
मैं तुम पर दया करते हुए थक गया हूँ।
7 मैं अपने सूप से यहूदा के लोगों को फटक दूँगा।
मैं देश के नगर द्वार पर उन्हें बिखेर दूँगा।
मेरे लोग बदले नहीं हैं।
अत: मैं उन्हें नष्ट करूँगा।
मैं उनके बच्चों को ले लूँगा।
8 अनेक स्त्रियाँ अपने पतियों को खो देंगी।
सागर के बालू से भी अधिक वहाँ विधवायें होंगी।
मैं एक विनाशक को दोपहरी में लाऊँगा।
विनाशक यहूदा के युवकों की माताओं पर आक्रमण करेगा।
मैं यहूदा के लोगों को पीड़ा और भय दूँगा।
मैं इसे अतिशीघ्रता से घटित कराऊँगा।
9 शत्रु तलवार से आक्रमण करेगा और लोगों को मारेगा।
वे यहूदा के बचे लोगों को मार डालेंगे।
एक स्त्री के सात पुत्र हो सकते हैं, किन्तु वे सभी मरेंगे।
वह रोती, और रोती रहेगी, जब तक वह दुर्बल नहीं हो जाती
और वह साँस लेने योग्य भी नहीं रहेगी।
वह लज्जा और अनिश्चयता में होगी,
उसके उजले दिन दु:ख से काले होंगे।”
7 मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि व्यवस्थाहीनता की रहस्यमयी शक्ति अभी भी अपना काम कर रही है। अब कोई इसे रोक रहा है और वह तब तक इसे रोकता रहेगा, जब तक, उसे रोके रखने वाले को रास्ते से हटा नहीं दिया जाएगा। 8 तब ही वह व्यवस्थाहीन प्रकट होगा। जब प्रभु यीशु अपनी महिमा में फिर प्रकट होगा वह इसे मार डालेगा तथा अपने पुनः आगमन के अवसर पर अपनी उपस्थिति से उसे नष्ट कर देगा।
9 उस व्यवस्थाहीन का आना शैतान की शक्ति से होगा तथा वह बहुत बड़ी शक्ति, झूठे चिन्हों और आश्चर्यकर्मों 10 तथा हर प्रकार के पापपूर्ण छल-प्रपंच से भरा होगा। वह इनका उपयोग उन व्यक्तियों के विरुद्ध करेगा जो सर्वनाश के मार्ग में खोए हुए हैं। वे भटक गए हैं क्योंकि उन्होंने सत्य से प्रेम नहीं किया है; कहीं उनका उद्धार न हो जाए। 11 इसलिए परमेश्वर उनमें एक छली शक्ति को कार्यरत कर देगा जिससे वे झूठ में विश्वास करने लगे थे। इससे उनका विश्वास जो झूठा है, उस पर होगा। 12 इससे वे सभी जिन्होंने सत्य पर विश्वास नहीं किया और झूठ में आनन्द लेते रहे, दण्ड पायेंगे।
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