Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण का गीत।
1 ओ, उसके सब सेवकों, यहोवा का गुण गान करो।
सेवकों सारी रात मन्दिर में तुमने सेवा की।
2 सेवकों, अपने हाथ उठाओ
और यहोवा को धन्य कहो।
3 और सिय्योन से यहोवा तुम्हें धन्य कहे।
यहोवा ने स्वर्ग और धरती रचे हैं।
तीम अतिथि
18 बाद में यहोवा फिर इब्राहीम के सामने प्रकट हुआ। इब्राहीम मस्रे के बांज के पेड़ों के पास रहता था। एक दिन, दिन के सबसे गर्म पहर में इब्राहीम अपने तम्बू के दरवाज़े पर बैठा था। 2 इब्राहीम ने आँख उठा कर देखा और अपने सामने तीन पुरुषों को खड़े पाया। जब इब्राहीम ने उनको देखा, वह उनके पास गया और उन्हें प्रणाम किया। 3 इब्राहीम ने कहा, “महोदयों,[a] आप अपने इस सेवक के साथ ही थोड़ी देर ठहरें। 4 मैं आप लोगों के पैर धोने के लिए पानी लाता हूँ। आप पेड़ों के नीचे आराम करें। 5 मैं आप लोगों के लिए कुछ भोजन लाता हूँ और आप लोग जितना चाहें खाएं। इसके बाद आप लोग अपनी यात्रा आरम्भ कर सकते हैं।”
तीनों ने कहा, “यह बहुत अच्छा है। तुम जैसा कहते हो, करो।”
6 इब्राहीम जल्दी से तम्बू में घुसा। इब्राहीम ने सारा से कहा, “जल्दी से तीन रोटियों के लिए आटा तैयार करो।” 7 तब इब्राहीम अपने मवेशियों की ओर दौड़ा। इब्राहीम ने सबसे अच्छा एक जवान बछड़ा लिया। इब्राहीम ने बछड़ा नौकर को दिया। इब्राहीम ने नौकर से कहा कि तुम जल्दी करो, इस बछड़े को मारो और भोजन के लिए तैयार करो। 8 इब्राहीम ने तीनों को भोजन के लिए माँस दिया। उसने दूध और मक्खन दिया। जब तक तीनों पुरुष खाते रहे तब तक इब्राहीम पेड़ के नीचे उनके पास खड़ा रहा।
9 उन व्यक्तियों ने इब्राहीम से कहा, “तुम्हारी पत्नी सारा कहाँ है?”
इब्राहीम ने कहा, “वह तम्बू में है।”
10 तब यहोवा ने कहा, “मैं बसन्त में फिर आऊँगा उस समय तुम्हारी पत्नी सारा एक पुत्र को जन्म देगी।”
सारा तम्बू में सुन रही थी और उसने इन बातों को सुना। 11 इब्राहीम और सारा दोनों बहुत बूढ़े थे। सारा प्रसव की उम्र को पार कर चुकी थी। 12 सारा मन ही मन मुस्कुरायी। उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने अपने आप से कहा, “मैं और मेरे पति दोनों ही बूढे हैं। मैं बच्चा जनने के लिए काफी बूढ़ी हूँ।”
13 तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, “सारा हंसी और बोली, ‘मैं इतनी बूढ़ी हूँ कि बच्चा जन नहीं सकती।’ 14 क्या यहोवा के लिए कुछ भी असम्भव है? नही, मैं फिर बसन्त में अपने बताए समय पर आऊँगा और तुम्हारी पत्नी सारा पुत्र जनेगी।”
23 तुमने नाशमान बीज से पुर्नजीवन प्राप्त नहीं किया है बल्कि यह उस बीज का परिणाम है जो अमर है। तुम्हारा पुर्नजन्म परमेश्वर के उस सुसंदेश से हुआ है जो सजीव और अटल है। 24 क्योंकि शास्त्र कहता है:
“सभी प्राणी घास की तरह हैं,
और उनकी सज-धज जंगली फूल की तरह है।
घास मर जाती है
और फूल गिर जाते हैं।
25 किन्तु प्रभु का सुसमाचार सदा-सर्वदा टिका रहता है।”(A)
और यह वही सुसमाचार है जिसका तुम्हें उपदेश दिया गया है।
© 1995, 2010 Bible League International