Old/New Testament
19 तब तेंह कहिबे, “डंगालीमन ला टोरे गीस ताकि मेंह ओमन के जगह म जोड़े जावंव।” 20 एह सही ए। ओमन ला ओमन के अबिसवास के कारन टोरे गीस, पर तेंह बिसवास के दुवारा ओम बने हवस। एकरसेति, घमंड झन कर, पर परमेसर के भय मानके चल। 21 काबरकि यदि परमेसर ह यहूदीमन ला नइं छोंड़िस, जऊन मन असली डंगाली अंय, त ओह तोला घलो नइं छोंड़य।
22 एकरसेति, परमेसर के दया अऊ कठोरता के बारे म सोच। जऊन मन गिर गीन, ओमन ऊपर ओह कठोरता देखाईस, पर तोर ऊपर ओह दया देखाईस, त तेंह ओकर दया म बने रह। नइं तो ओह तोला घलो काटके अलग कर दिही। 23 अऊ यदि ओ यहूदीमन अपन अबिसवास ला छोंड़ देथें, त ओमन घलो जोड़े जाहीं, काबरकि परमेसर करा ओमन ला फेर जोड़े के सामरथ हवय। 24 जब तुम आनजातमन सुभाव ले जंगली जैतून के डंगाली अव, अऊ सुभाव के उल्टा, तुमन ला काटके असली जैतून रूख म जोड़े गे हवय, त फेर ए यहूदी जऊन मन सुभाविक डंगाली अंय, अपन ही जैतून रूख म काबर अऊ बने ढंग ले जोड़े नइं जाही?
जम्मो इसरायलीमन बंचाय जाहीं
25 हे भाईमन हो, अइसन झन होवय कि तुमन घमंडी हो जावव, एकरसेति मेंह चाहत हंव कि तुमन ए भेद ला जानव: जब तक आनजात म ले चुने जम्मो मनखेमन परमेसर करा नइं आ जावंय, तब तक इसरायलीमन के एक भाग ह अइसनेच अपन हिरदय ला कठोर बनाय रखही। 26 अऊ ए किसम ले जम्मो इसरायलीमन उद्धार पाहीं, जइसने परमेसर के बचन म लिखे हवय:
“मुक्ति देवइया ह सियोन ले आही;
ओह याकूब के बंस ले अभक्ति ला दूरिहा कर दिही[a]।
27 अऊ ओमन के संग मोर ए करार होही,
जब मेंह ओमन के पाप ला दूरिहा कर दूहूं।”
28 जहां तक सुघर संदेस के बात ए, त ओमन तुम्हर हित म परमेसर के बईरी अंय; पर जहां तक चुने गय मनखेमन के बात ए, त ओमन अपन पुरखामन के कारन परमेसर के मयारू अंय। 29 काबरकि जब परमेसर ह कोनो ला बरदान देथे अऊ चुनथे, त ओह अपन बिचार ला फेर नइं बदलय। 30 एक समय रिहिस, जब तुम आनजातमन परमेसर के हुकूम ला नइं मानेव, पर अब यहूदीमन के दुवारा हुकूम नइं माने के कारन, तुम्हर ऊपर परमेसर के दया होईस। 31 तुम्हर ऊपर परमेसर के दया होय के कारन अब यहूदीमन परमेसर के हुकूम नइं मानथें, ताकि ओमन के ऊपर घलो परमेसर के दया होवय। 32 काबरकि परमेसर ह जम्मो मनखेमन ला हुकूम नइं माने के पाप म बांधके रखे हवय ताकि ओह जम्मो झन के ऊपर दया देखावय।
परमेसर के इस्तुति
33 अहा! परमेसर के धन, बुद्धि अऊ गियान ह कतेक अथाह अय!
ओकर सहीं नियाय कोनो नइं कर सकंय,
अऊ ओकर काम करे के तरिका ला कोनो नइं जान सकंय!
34 “परभू के मन के बिचार ला कोनो नइं जान सकंय।
अऊ कोनो ओला सलाह देय के लइक नो हंय।”[b]
35 “आज तक परमेसर ला कोनो कुछू
नइं दे हवंय कि परमेसर ह ओला वापिस देवय।”[c]
36 काबरकि जम्मो चीज ह परमेसर ले आय हवय, अऊ ओकर दुवारा बनाय गे हवय अऊ ओकर खातिर बनाय गे हवय।
ओकर महिमा सदाकाल तक होवत रहय! आमीन।
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