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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
मत्तियाह 21:23-46

येशु के अधिकार को चुनौती

(मारक 11:27-33; लूकॉ 20:1-8)

23 येशु ने मन्दिर में प्रवेश किया और जब वह वहाँ शिक्षा दे ही रहे थे, प्रधान याजक और पुरनिए उनके पास आए और उनसे पूछा, “किस अधिकार से तुम ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें इसका अधिकार दिया है?”

24 येशु ने इसके उत्तर में कहा, “मैं भी आप से एक प्रश्न करूँगा. यदि आप मुझे उसका उत्तर देंगे तो मैं भी आपके इस प्रश्न का उत्तर दूँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब करता हूँ: 25 योहन का बपतिस्मा किसकी ओर से था—स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से?”

इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग की ओर से’, तो वह हम से कहेगा, ‘तब आपने योहन में विश्वास क्यों नहीं किया?’ 26 किन्तु यदि हम कहते हैं, ‘मनुष्यों की ओर से’, तब हमें भीड़ से भय है; क्योंकि सभी योहन को भविष्यद्वक्ता मानते हैं.”

27 उन्होंने आ कर येशु से कहा, “आपके प्रश्न का उत्तर हमें मालूम नहीं.”

येशु ने भी उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी आपको नहीं बताऊँगा कि मैं किस अधिकार से ये सब करता हूँ.

दो पुत्रों का दृष्टान्त

28 “इस विषय में क्या विचार है आपका? एक व्यक्ति के दो पुत्र थे. उसने बड़े पुत्र से कहा, ‘हे पुत्र, आज जा कर दाख की बारी का काम देख लेना.’

29 “उसने पिता को उत्तर दिया, ‘मेरे लिए यह सम्भव नहीं होगा.’ परन्तु कुछ समय के बाद उसे अपने उत्तर पर पछतावा हुआ और वह दाख की बारी चला गया.

30 “पिता दूसरे पुत्र के पास गया और उससे भी यही कहा. उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ, अवश्य.’ किन्तु वह गया नहीं.

31 “यह बताइए कि किस पुत्र ने अपने पिता की इच्छा पूरी की?”

उन्होंने उत्तर दिया.

“बड़े पुत्र ने.” येशु ने उनसे कहा, “सच यह है कि समाज से निकाले लोग तथा वेश्याएँ आप लोगों से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर जाएँगे. 32 बपतिस्मा देने वाले योहन आपको धर्म का मार्ग दिखाते हुए आए किन्तु आप लोगों ने उनका विश्वास ही न किया किन्तु समाज के बहिष्कृतों और वेश्याओं ने उनका विश्वास किया. यह सब देखने पर भी आपने उनमें विश्वास के लिए पश्चाताप न किया.

बुरे किसानों का दृष्टान्त

(मारक 12:1-12; लूकॉ 20:9-19)

33 “एक और दृष्टान्त सुनिए: एक गृहस्वामी था, जिसने एक दाख की बारी लगायी, चारदीवारी खड़ी की, रसकुण्ड बनाया तथा मचान भी. इसके बाद वह दाख की बारी किसानों को पट्टे पर दे कर यात्रा पर चला गया. 34 जब उपज तैयार होने का समय आया तब उसने किसानों के पास अपने दास भेजे कि वे उनसे उपज का पहले से तय किया हुआ भाग इकट्ठा करें.

35 “किसानों ने उसके दासों को पकड़ा, उनमें से एक की पिटाई की, एक की हत्या तथा एक का पथराव. 36 अब गृहस्वामी ने पहले से अधिक संख्या में दास भेजे. इन दासों के साथ भी किसानों ने वही सब किया. 37 इस पर यह सोच कर कि वे मेरे पुत्र का तो सम्मान करेंगे, उस गृहस्वामी ने अपने पुत्र को किसानों के पास भेजा.

38 “किन्तु जब किसानों ने पुत्र को देखा तो आपस में विचार किया, ‘सुनो! यह तो वारिस है, चलो, इसकी हत्या कर दें और पूरी सम्पत्ति हड़प लें.’ 39 इसलिए उन्होंने पुत्र को पकड़ा, उसे बारी के बाहर ले गए और उसकी हत्या कर दी.

40 “इसलिए यह बताइए, जब दाख की बारी का स्वामी वहाँ आएगा, इन किसानों का क्या करेगा?”

41 उन्होंने उत्तर दिया, “वह उन दुष्टों का सर्वनाश कर देगा तथा दाख की बारी ऐसे किसानों को पट्टे पर दे देगा, जो उसे सही समय पर उपज का भाग देंगे.”

42 येशु ने उनसे कहा, “क्या आपने पवित्रशास्त्र में कभी नहीं पढ़ा:

“जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने अनुपयोगी घोषित कर दिया
    था वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया.
यह प्रभु की ओर से हुआ और यह हमारी दृष्टि में अनूठा है?

43 “इसलिए मैं आप सब पर यह सत्य प्रकाशित कर रहा हूँ: परमेश्वर का राज्य आप से छीन लिया जाएगा तथा उस राष्ट्र को सौंप दिया जाएगा, जो उपयुक्त फल लाएगा. 44 वह, जो इस पत्थर पर गिरेगा, टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा किन्तु जिस किसी पर यह पत्थर गिरेगा उसे कुचल कर चूर्ण बना देगा.”

45 प्रधान याजक और फ़रीसी यह दृष्टान्त सुन कर समझ गए कि येशु यह उन्हीं के विषय में कह रहे थे 46 इसलिए उन्होंने येशु को पकड़ने की कोशिश तो की किन्तु उन्हें लोगों का भय था क्योंकि लोग येशु को भविष्यद्वक्ता मानते थे.

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