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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
प्रकाशन 11

दो गवाह

11 तब मुझे एक सरकण्डा दिया गया, जो मापने के यन्त्र जैसा था तथा मुझसे कहा गया, “जाओ, परमेश्वर के मन्दिर तथा वेदी का माप लो तथा वहाँ उपस्थित उपासकों की गिनती करो, किन्तु मन्दिर के बाहरी आँगन को छोड़ देना, उसे न मापना क्योंकि वह अन्य राष्ट्रों को सौंप दिया गया है. वे पवित्र नगर को बयालीस माह तक रौन्देंगे. मैं अपने दो गवाहों को, जिनका वस्त्र टाट का है, 1,260 दिन तक भविष्यवाणी करने की प्रदान करूँगा.” ये दोनों गवाह ज़ैतून के दो पेड़ तथा दो दीपदान हैं, जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े हैं. यदि कोई उन्हें हानि पहुंचाना चाहे तो उनके मुँह से आग निकल कर उनके शत्रुओं को चट कर जाती है. यदि कोई उन्हें हानि पहुंचाना चाहे तो उसका इसी रीति से विनाश होना तय है. इनमें आकाश को बन्द कर देने की सामर्थ्य है कि उनके भविष्यवाणी के दिनों में वर्षा न हो. उनमें जल को लहू में बदल देने की तथा जब-जब वे चाहें, पृथ्वी पर महामारी का प्रहार करने की क्षमता है.

जब वे अपनी गवाही दे चुकें होंगे तो वह हिंसक पशु, जो उस अथाह गड्ढे में से निकलेगा, उनसे युद्ध करेगा और उन्हें हरा कर उनका विनाश कर डालेगा. उनके शव उस महानगर के चौक में पड़े रहेंगे, जिसका सांकेतिक नाम है सोदोम तथा मिस्र, जहाँ उनके प्रभु को क्रूस पर भी चढ़ाया गया था. प्रजातियों, कुलों, भाषाओं तथा राष्ट्रों के लोग साढ़े तीन दिन तक उनके शवों को देखने के लिए आते रहेंगे और वे उन शवों को दफ़नाने की अनुमति न देंगे. 10 पृथ्वी के निवासी उनकी मृत्यु पर आनन्दित हो खुशी का उत्सव मनाएंगे—यहाँ तक कि वे एक दूसरे को उपहार भी देंगे क्योंकि इन दोनों भविष्यद्वक्ताओं ने पृथ्वी के निवासियों को अत्याधिक ताड़नाएं दी थी.

11 साढ़े तीन दिन पूरे होने पर परमेश्वर की ओर से उनमें जीवन की साँस का प्रवेश हुआ और वे खड़े हो गए. यह देख उनके दर्शकों में भय समा गया. 12 तब स्वर्ग से उन्हें संबोधित करता हुआ एक ऊँचा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” और वे शत्रुओं के देखते-देखते बादलों में से स्वर्ग में उठा लिए गए.

13 उसी समय एक भीषण भूकम्प आया, जिससे नगर का एक दसवां भाग नाश हो गया. इस भूकम्प में सात हज़ार व्यक्ति मर गए. शेष जीवित व्यक्तियों में भय समा गया और वे स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद-महिमा करने लगे.

14 दूसरी विपदा समाप्त हुई, तीसरी विपदा शीघ्र आ रही है.

सातवीं तुरही

15 जब सातवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो स्वर्ग से ये तरह-तरह की आवाज़ें सुनाई देने लगीं:

“संसार का राज्य अब हमारे प्रभु तथा उनके मसीह का राज्य हो गया है.
    वही युगानुयुग राज्य करेंगे.”

16 तब उन चौबीसों पुरनियों ने, जो अपने-अपने सिंहासन पर बैठे थे, परमेश्वर के सामने दण्डवत् हो यह कहते हुए उनका धन्यवाद किया:

17 “सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर!
    हम आपका, जो हैं और जो थे,
    आभार मानते हैं कि आपने अपने अवर्णनीय अधिकारों को स्वीकार कर अपने राज्य का आरम्भ किया है.
18 राष्ट्र क्रोधित हुए.
    उन पर आपका क्रोध आ पड़ा.
    अब समय आ गया है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए.
आपके दासों—भविष्यद्वक्ताओं, पवित्र लोगों तथा आपके सभी श्रद्धालुओं को,
चाहे वे साधारण हों या विशेष, और
    उनका बदला दिया जाए तथा आपके द्वारा उन्हें नाश किया जाए,
    जिन्होंने पृथ्वी को गंदा कर रखा है.”

19 तब परमेश्वर का मन्दिर, जो स्वर्ग में है, खोल दिया गया और उस मन्दिर में उनकी वाचा का संदूक दिखाई दिया. उसी समय बिजली कौन्धी, गड़गड़ाहट तथा बादलों का गरजना हुआ, एक भीषण भूकम्प आया और बड़े-बड़े ओले पड़े.

Saral Hindi Bible (SHB)

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