New Testament in a Year
11 जिस प्रकार मैं मसीह के जैसी चाल चलता हूँ, तुम भी मेरी जैसी चाल चलो.
सार्वजनिक आराधना में शिष्टाचार
2 मैं तुम्हारी तारीफ़ करता हूँ कि तुम हर एक क्षेत्र में मुझे याद रखते हो तथा उन शिक्षाओं का मजबूती से पालन करते हो, जैसी मैंने तुम्हें सौंपी थीं.
3 मैं चाहता हूँ कि तुम इस बात को समझ लो कि हर एक पुरुष के अधिष्ठाता (सिर) मसीह येशु हैं, स्त्री का सिर उसका पति है तथा मसीह के सिर परमेश्वर हैं. 4 पुरुष का प्रार्थना या भविष्यवाणी करते समय अपना सिर ढाँके रहना उसके सिर का अपमान है. 5 स्त्री का प्रार्थना या भविष्यवाणी करते समय अपना सिर उघाड़े रखना उसके सिर का अपमान है—यह सिर मूँडाने के बराबर है. 6 यदि कोई स्त्री अपना सिर ढाँकना नहीं चाहती, वह अपने बाल कटवा ले. बाल कटवाना या मुँड़वाना लज्जास्पद होता है इसलिए वह अपना सिर ढाँके रहे. 7 पुरुष के लिए सिर ढाँकना उचित नहीं क्योंकि वह परमेश्वर का प्रतिरूप तथा गौरव है. इसी प्रकार पुरुष का गौरव स्त्री है 8 क्योंकि नर की उत्पत्ति नारी से नहीं परन्तु नारी की नर से हुई है 9 नर को नारी के लिए नहीं बनाया गया परन्तु नारी को नर के लिए बनाया गया. 10 इसलिए स्वर्गदूतों की उपस्थिति का ध्यान रखते हुए स्त्रियों के लिए उचित है कि वे अपनी अधीनता के प्रतीक स्वरूप अपने सिर को ढाँक कर रखें.
11 फिर भी, प्रभु में न तो नारी पुरुष से और न पुरुष नारी से स्वतन्त्र है. 12 जिस प्रकार नारी की उत्पत्ति नर से हुई है उसी प्रकार अब नर का जन्म नारी से होता है तथा सभी सृष्टि की उत्पत्ति परमेश्वर से है. 13 तुम्हीं विचार करो: क्या बिना सिर ढाँके स्त्री का परमेश्वर से प्रार्थना करना शोभा देता है? 14 क्या स्वयं प्रकृति से यह स्पष्ट नहीं कि लम्बे बाल रखना पुरुष के लिए लज्जा की बात है? 15 इसके विपरीत स्त्री के लम्बे बाल उसकी शोभा हैं क्योंकि ये उसे ओढ़नी के रूप में दिए गए हैं. 16 यदि कोई इस विषय पर अब भी विवाद करना चाहे तो वह यह समझ ले कि परमेश्वर की कलीसिया में—न तो हमारे यहाँ या और कहीं—कोई अन्य प्रथा प्रचलित नहीं है.
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