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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
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रोमियों 4

विश्वास—अब्राहाम की धार्मिकता

हम अपने कुलपिता अब्राहाम के विषय में क्या कहें—क्या था इस विषय में उनका अनुभव? यदि कामों के द्वारा अब्राहाम को धार्मिकता प्राप्त हुई तो वह इसका घमण्ड़ अवश्य कर सकते थे, किन्तु परमेश्वर के सामने नहीं. पवित्रशास्त्र का लेख क्या है? अब्राहाम ने परमेश्वर में विश्वास किया और इसी को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता दी गई.

मज़दूर की मज़दूरी उसका उपहार नहीं, अधिकार है. वह व्यक्ति, जो व्यवस्था का पालन तो नहीं करता किन्तु परमेश्वर में, जो अधर्मी को निर्दोष घोषित करते हैं, विश्वास करता है, इसी विश्वास के द्वारा धर्मी व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त करता है. जैसे दाविद ने उस व्यक्ति की धन्यता का वर्णन किया है, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का पालन न करने पर भी धर्मी घोषित किया:

धन्य हैं वे,
    जिनके अपराध क्षमा कर दिए गए,
    जिनके पापों को ढाँप दिया गया है.
धन्य है वह व्यक्ति,
    जिसके पापों का हिसाब प्रभु कभी न लेंगे.

ख़तना के पहले ही वह धर्मी घोषित किए गए

क्या यह आशीषें मात्र ख़तना वालों तक ही सीमित है या इसमें ख़तनारहित भी शामिल हैं? हमारा मत यह है: अब्राहाम के विश्वास को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता दी गई. 10 उन्हें यह मान्यता किस अवस्था में दी गई थी? जब उनका ख़तना हुआ तब या जब वह ख़तना रहित ही थे? ख़तना की अवस्था में नहीं परन्तु ख़तना रहित अवस्था में. 11 उन्होंने ख़तना का चिह्न—विश्वास की धार्मिकता की मोहर—उस समय प्राप्त किया, जब वह ख़तना रहित ही थे इसका उद्धेश्य था उन्हें उन सब के पिता-स्वरूप प्रतिष्ठित किया जाए, जो बिना ख़तना के विश्वास करेंगे, कि इस विश्वास को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता प्राप्त हो; 12 साथ ही अब्राहाम को उन ख़तना किए हुओं के पिता के रूप में प्रतिष्ठित किया जाए, जो ख़तना किए हुए ही नहीं परन्तु जो हमारे पिता अब्राहाम के उस विश्वास का स्वभाव रखते हैं, जो उन्होंने अपने ख़तना के पहले ही दिखाया था.

व्यवस्था के पालन मात्र से धार्मिकता नहीं

13 उस प्रतिज्ञा का आधार, जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों से की गई थी कि अब्राहाम पृथ्वी के वारिस होंगे, व्यवस्था नहीं परन्तु विश्वास की धार्मिकता थी. 14 यदि व्यवस्था का पालन करने से उन्हें मीरास प्राप्त होती है तो विश्वास खोखला और प्रतिज्ञा बेअसर साबित हो गई है. 15 व्यवस्था क्रोध का पिता है किन्तु जहाँ व्यवस्था है ही नहीं, वहाँ व्यवस्था का उल्लंघन भी सम्भव नहीं!

16 परिणामस्वरूप विश्वास ही उस प्रतिज्ञा का आधार है, कि परमेश्वर के अनुग्रह में अब्राहाम के सभी वंशजों को यह प्रतिज्ञा निश्चित रूप से प्राप्त हो सके—न केवल उन्हें, जो व्यवस्था के अधीन हैं परन्तु उन्हें भी, जिनका विश्वास वैसा ही है, जैसा अब्राहाम का, जो हम सभी के कुलपिता हैं. 17 जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: मैंने तुम्हें अनेकों राष्ट्रों का पिता ठहराया है, हमारे कुलपिता अब्राहाम ने उन्हीं परमेश्वर में विश्वास किया, जो मरे हुओं को जीवन देते हैं तथा अस्तित्व में आने की आज्ञा उन्हें देते हैं, जो हैं ही नहीं.

अब्राहाम का विश्वास, मसीही विश्वास का आदर्श

18 बिलकुल निराशा की स्थिति में भी अब्राहाम ने उनसे की गई इस प्रतिज्ञा के ठीक अनुरूप उस आशा में विश्वास किया: वह अनेकों राष्ट्रों के पिता होंगे, ऐसे ही होंगे तुम्हारे वंशज. 19 अब्राहाम जानते थे कि उनका शरीर मरी हुए दशा में था क्योंकि उनकी आयु लगभग सौ वर्ष थी तथा साराह का गर्भ तो मृत था ही. फिर भी वह विश्वास में कमज़ोर नहीं हुए. 20 उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के सम्बन्ध में अपने विश्वास में विचलित न होकर, स्वयं को उसमें मजबूत करते हुए परमेश्वर की महिमा की 21 तथा पूरी तरह निश्चिंत रहे कि वह, जिन्होंने यह प्रतिज्ञा की है, उसे पूरा करने में भी सामर्थी हैं. 22 इसलिए अब्राहाम के लिए यही विश्वास की धार्मिकता मानी गई. 23 उनके लिए धार्मिकता मानी गई, ये शब्द मात्र उन्हीं के विषय में नहीं हैं, 24 परन्तु इनका सम्बन्ध हमसे भी है, जिन्हें परमेश्वर की ओर से धार्मिकता की मान्यता प्राप्त होगी—हम, जिन्होंने विश्वास उनमें किया है—जिन्होंने हमारे प्रभु मसीह येशु को मरे हुओं से दोबारा जीवित किया, 25 जो हमारे अपराधों के कारण मृत्युदण्ड के लिए सौंपे गए तथा हमें धर्मी घोषित कराने के लिए दोबारा जीवित किए गए.

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