M’Cheyne Bible Reading Plan
जरत भइ झाड़ी
3 मूसा क ससुर क नाउँ यित्रो रहा। यित्रो मिदियन क याजक रहा। मूसा यित्रो क भेड़ क देख-रेख करत रहा। मूसा एक दिना भेड़न क रेगिस्तान क पच्छिम कइँती लइ गवा। मूसा यहोवा क पहाड़ प जउन होरेब अर्थात् सीनै पहाड़ कहलावत ह प गवा। 2 यहोवा क सरगदूत मूसा क समन्वा बरत भइ झाड़ी मँ उ पहाड़ प परगट भवा।
उ इ तरह भवा। मूसा झाड़ी क बे भसम भवा बरत देखेस। 3 ऍह बरे मूसा झाड़ी क निचके इ चमत्कार क देखइ बरे गवा कि झाड़ी बे भस्म भए कइसे लगातार बरति अहइ।
4 यहोवा लखेस कि मूसा झाड़ी क लखइ आवत बा। ऍह बरे परमेस्सर झाड़ी स मूसा क पुकारेस अउ कहेस, “मूसा, मूसा।”
अउ मूसा कहेस, “मइँ हिआँ हउँ!”
5 तब्बइ यहोवा कहेस, “अउर निचके जिन आवा। आपन पनही उतारि द्या। तू पवित्तर भुइयाँ प ठाड़ बाट्या। 6 मइँ तोहरे पुरखन क परमेस्सर हउँ। मइँ इब्राहीम क परमेस्सर, इसहाक क परमेस्सर अउ याकूब क परमेस्सर हउँ।”
मूसा आपन मुँहना क ढाँकि लिहेस काहेकि उ परमेस्सर क लखइ स डेरात रहा।
7 तब यहोवा कहेस, “मइँ उ सबन दुःखन क लखेउँ ह जउन हमार लोगन मिस्र मँ सहेन ह। मइ ओनकइ चीखब सुनेउँ ह जब मिस्र क क्रूर मनइयन ओनका चोट पहुँचाएन ह। मइँ ओनकइ दुःखन क जानत हउँ। 8 मइँ अब जाब अउ मिस्री मनइयन स आपन लोगन क बचाउब। मइँ ओनका मिस्र स बाहेर निकारब अउ ओनका एक नीक अउ विसाल भुँइया मँ लइ जाब। उ भुँइया जहाँ दूध अउर सहद क नदी बहत रहत ह।[a] हुवाँ कइउ जाति क लोग जइसे कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिब्बी, अउ यबूसी रहत ही। 9 मइँ इस्राएल क मनइयन क गोहार सुनेउँ ह। मइँ मिस्री मनइयन क अत्याचार क लखेउ जउन ओन लोगन प किहेन। 10 ऍह बरे अब मइँ तोहका फिरौन क लगे पठवत हउँ। जा अउर मोर लोगन, इस्राएलियन क मिस्र स बाहर लइ आवा।”
11 मुला मूसा परमेस्सर स कहेस, “मइँ कउनो बड़का मनई नाहीं। मइँ कइसे उ मनई होइ सकत हउँ जउन फिरौन क लगे जाउँ अउ इस्राएलियन क मिस्र स बाहेर निकारि के लइ चलउँ।”
12 परमेस्सर कहेस, “तू कइ सकत ह्या काहेकि मइँ तोहरे संग हउँ। इ सबूत रही कि मइँ तोहका पठवत हउँ। जब तू लोगन क मिस्र स बाहेर निकारि लइ अउब्या, तब तू इ पहाड़े प हमार आराधना करब्या।”
13 तबहिं मूसा परमेस्सर स कहेस, “किंतु जदि मइँ इस्राएलियन क नगिचे जात हउँ, अउ कहत हउँ, ‘तोहरे पुरखन क यहोवा मोका तोहरे लगे पठएस ह,’ तब मनई पुछिहीं, ‘ओकर नाउँ का अहइ?’ मइँ ओनसे का कहब?”
14 तब यहोवा मूसा स कहेस, “‘मइँ हउँ जउन मइँ हउँ।’[b] जबहिं तू इस्राएलियन क लगे जाब्या, तब ओनका बताइ दिहा, ‘मइँ हउँ’, जउन मोका तोहरे लगे पठएस ह।” 15 परमेस्सर मूसा स इ भी कहेस, “इस्राएली मनइयन स जउन तू कहब्या, उ इ अहइ: ‘यहोवा तोहरे पुरखन क परमेस्सर, इब्राहीम, इसहाक अउर याकूब क परमेस्सर अहइ। होइ सकत ह इहइ नाम मँ अगवा पीढ़ी दर पीढ़ी मोका जनिहीं।’ लोगन क बतावा, ‘यहोवा मोका तोहरे लगे पठएस ह।’”
16 यहोवा इ भी कहेस, “जा अउ इस्राएल क बुजर्गन क बटोरा अउ ओनसे कहा, यहोवा, तोहरे पुरखन क परमेस्सर मोरे समन्वा परगट भवा रहा। इब्राहीम, इसहाक अउ याकूब क परमेस्सर मोसे बात किहेस। उ कहेस, ‘मइँ तोहरे बारे मँ अउ ओन सब क बाबत मँ जउन तू पचन क संग मिस्र मँ भवा अहइ खियाल रखे अहइ। 17 मइँ मने मँ ठान लिहे हउँ कि मिस्र मँ जउन दुःख अउ मुसीबत सहत बाट्या ओहसे मइँ तोहका बाहेर निकारि लेबइ। मइँ तू पचन क उ देसे मँ लइ जाब जउन ढेर लोगन जइसे कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिब्बी, अउ यबूसी क बाटइ। मइँ तू पचन क एक नीक देसे मँ लइ जाब जहाँ दूध अउर सहद क नदी बहत अहइ।’
18 “बुजर्गन तोहार बातन्क मनिहीं। अउर तब तू अउर बुजर्गन मिस्र क राजा क लगे जाब्या। तू पचे ओसे कहब्या, ‘यहोवा हिब्रू मनइयन क परमेस्सर हम पचन्क लगे आएन अउ उ पचे हम पचन्स तीन दिना ताई रेगिस्तान मँ जात्रा करइ क कहेन ह। हुवाँ हम पचे आपन परमेस्सर, यहोवा क बलि चढ़ाउब।’
19 “मुला मइँ जानत हउँ कि मिस्र क राजा तू पचन्क जाइ नाहीं देई। सिरिफ एक ठु बड़वार सक्ती ही तू पचन्क जाइ देइ बरे मजबूर करी। 20 ऍह बरे मइँ आपन बड़की सक्ती क प्रयोग मिस्र क खिलाफ करबइ। मइँ मिस्र क आपन चमत्कार स तबाह कइ देब। जबहिं मइँ अइसा करिहउँ तउ उ तू पचन्क जाइ देइ। 21 अउर मइँ मिस्री मनइयन क इस्राएलियन बरे कृपालु बनवाउब। तब उ पचे इस्राएलियन क जब उ सबइ मिस्र छोड़िहीं तब ओन लोगन क बहोत सारा उपहार देइहीं
22 “हर एक हिब्रू अउरत आपन मिस्री पड़ोसिन स अउर मिस्री अउरत स आपन घरे मँ रहइ बरे अनुरोध किहेस अउर उ पचे ओका उपहार देइहीं। तोहार लोग उपहार मँ चाँदी, सोना अउ सुन्नर ओढ़ना पइहीं। जबहिं तू पचे मिस्र क छाँड़ि देब्या, तू पचे उ उपहार क आपन गदेलन क पहिरउब्या। इ तरह तू पचे मिस्री मनइयन क धन लइ अउब्या।”
सबित क पर्भू ईसू
(मत्ती 12:1-8; मरकुस 2:23-28)
6 अब अइसा भवा कि सबित क एक दिन ईसू जब अनाजे क खेतन्स जात रहा तउ ओनकर चेलन अनाजे क बलिया तोड़तेन, हथेली प रगड़ितेन अउर ओनका चबात जात रहेन। 2 तबहीं कछू फरीसियन कहेन, “जेका सबित क दिन कीन्ह जाब नीक नाहीं बा, ओका तू पचे काहे करत अहा?”
3 जवाब देत भवा ईसू ओनसे पूछेस, “का तू पचे नाहीं पढ़्या जब दाऊद अउर ओकर साथी भुखान रहेन, तब दाऊद का किहेस? 4 का तू नाहीं बाँच्या कि उ परमेस्सर क घरे मँ घुसिके, परमेस्सर क चढ़ाई गइ रोटिन क उठाइके खाइ लिहस अउर ओनका भी दिहेस जउन ओकरे संग रहेन? जब कि याजकन क तजिके ओकर खाब कउनो बरे नीक नाहीं।” 5 उ अगवा फिन कहेस, “मनई क पूत सबित क दिन क भी पर्भू अहइ।”
ईसू सबित क दिन रोगी क चंगा किहेस
(मत्ती 12:9-14; मरकुस 3:1-6)
6 दूसर सबित क दिना अइसा भवा कि उ आराधनालय मँ जाइके उपदेस देइ लाग। हुवँई एक अइसा मनई रहा जेकर दाहिन हाथ सुखंडी होइ गवा रहा। 7 हुवँई धरम सास्तिरियन अउर फरीसियन इ ताक मँ रहेन कि उ सबित क दिन कउनो चंगा किहे होइ तो ओह प दोख लगावइ क कउनो कारण पाइ जाइँ। 8 उ ओनके बिचारन क जानत रहा। यह बरे उ सुखंडी हथवावाले मनई स कहेस, “उठा अउर सबन क समन्वा खड़ा होइ जा।” उ उठि गवा अउर हुवाँ खड़ा होइ गवा। 9 तब ईसू मनइयन स कहेस, “मइँ तोहसे पूछत हउँ-सबित क दिन कउनो क भला करब चंगा अहइ या कउनो क नोसकान करब, कउनो क जिन्नगी बचाउब नीक बा या कउनो क जिन्नगी क नास करब।”
10 ईसू चारिहुँ कइँती ओन सबन क निहारेस अउर फिन ओसे कहेस, “आपन हथवा सोझ फइलावा।” उ वइसा ही किहेस अउर ओकर हाथ फिन स चंगा होइ ग। 11 मुला ऍह पइ उ पचे आपुस मँ तहत्तुक करत कोहाइ गएन अउर बिचारइ लागेन, “ईसू क का कीन्ह जाइ?”
ईसू बारह प्रेरितन क चुनेस
(मत्ती 10:1-4; मरकुस 3:13-19)
12 उ दिनन मँ अइसा भवा कि ईसू पराथना करइ बरे एक पहाड़े प गवा अउर सारी राति परमेस्सर क पराथना करइ मँ बिताएस। 13 फिन मोर भवा तउ उ आपन मनवइयन क लगे बोलॉएस। ओहमाँ स उ बारहु क चुनेस, जेनका उ “प्रेरितन” क नाउँ दिहस।
14 समौन जेका उ पतरस का नाउँ दिहेस,
अउर ओकर भइया अन्द्रियास,
याकूब अउर यूहन्ना,
फिलिप्पुस,
बरतुलमै,
15 मत्ती,
थोमा,
हलफई क बेटवा याकूब
अउर समौन जिलौती,
16 याकूब क बेटवा यहूदा
अउर यहूदा इस्करियोती जउन दगाबाज होइ गवा।
ईसू क मनइयन क उपदेस अउर चंगा करब
(मत्ती 4:23-25; 5:1-12)
17 फिन ईसू ओनके संग पहाड़ी स तरखाले उतरिके समथर भुइयाँ प खड़ा भवा। हुवँई ओकरे चेलन क भारी जमघट रहा। एकरे साथ समूचइ यहूदिया, यरूसलेम, सूर अउर सैदा क समुद्दर किनारे स अनगिनत आलम हुवाँ आइके ऍकट्ठा भवा। 18 उ पचे ओका सुनइ अउर बेरामी स छुटकारा पावइ हुवाँ आए रहेन। जउन दुस्ट आतिमा स सतावा रहेन, उ पचे भी हुवाँ आइके चंगा भएन। 19 समूची भीड़ ओका छुइ भरि लेइ क जतन मँ रही काहेकि ओहमाँ स सक्ती निकरत रही अउर ओन सबन क बेरामी स दूर करत रही।
20 फिन उ आपन चेलन क निहारत भवा बोला,
“धन्य अहा तू दीन जनन काहेकि
परमेस्सर क राज्य तोहार अहइ।
21 धन्य अहा तू, जउन अबहीं भूखा अहा
काहेकि तृप्ति तउ होइ तोहार,
धन्य अहा तू, जउन आजु आँसू बहावत अहा,
काहेकि तू आगे हँसब्या।
22 “धन्य अहा तू, जब मनई क पूत क कारण लोग तोहसे घिना करइँ, अउर तोहका निकारि देइँ; अउर करइँ तोहार बुराई, नाउँ तलक क दुस्ट कहिके, काटि देइँ उ पचे। 23 तब उहइ दिन तू मगन होइके खुसी मँ उछर्या काहकेइ सरग मँ तोहार प्रतिफल महान अहइ। काहेकि ओनके पूर्वजन भी नबियन क संग अइसा ही किहन ह।
24 “हाय! धिक्कार अहइ तोहका ओ धनी मनइयो,
काहेकि तोहका मिल गवा सुख चनइ भरपूर।
25 अहइ तोहका धिक्कार, जउन भरपेट अहा अब
काहेकि तू भूखा रहब्या।
अहइ तोहका धिक्कार, जउन अबहिन हँसत अहा,
काहेकि तू आँसू बहउब्या अउर सोक करब्या।
26 “बा धिक्कार तोहका, जब सबन दुआरा तोहार बड़कई होइ काहेकि ओनके पूर्वजन भी इही ब्यौहार झूठे नबियन क संग किहे रहेन।
आपन बैरी स पिरेम करा
(मत्ती 5:38-48; 7:12a)
27 “ओ सुनवइया लोगो, मइँ तोहसे कहत हउँ आपन बैरी स भी पिरेम करा। जउन तोहसे घिना करत हीं ओनके संग भलाई करा। 28 ओनका भी आसीर्बाद द्या जउन तोहका सरापत हीं। ओनके बरे पराथना करा जउन तोहरे संग नीक ब्यौहार नाहीं करतेन। 29 जदि कउनो तोहरे एक गाले प थप्पड़ियावइ तउ तू दूसर गाल भी ओकरे अगवा कइ द्या। जदि कउनो तोहार कोट तोहसे लइ लेइ तउ ओहका कुर्ता भी लइ लेइ द्या। 30 जदि कउनो तोसे माँगइ, ओका द्या। जदि कउनो तोहार कछू राखि लेइ तउ ओसे ओका वापस जिन माँगा। 31 तू आपन बरे जइसा ब्यौहार दूसरन स चाहत बाट्या, तोहका वइसा ही दूसर क संग ब्यौहार करइ चाही।
32 “जदि तू बस ओनही क पिआर करत ह, जउन तोहका पिआर करत हीं, तउ ऍहमा तोहार कउन बड़कई? काहेकि आपन स पिरेम करइवालन स पिरेम तउ पापी मनई तलक करत हीं। 33 जदि तू बस ओनहीं क भला करत ह, जउन तोहार भला करत हीं, तउ तोहार कउन बड़कई? अइसा तउ पापी तलक करत हीं। 34 जदि तू सिरिफ ओनही क उधार देत ह, जेनसे तोहका वापस मिल जाइ क आसा बा, तउ तोहार कउन बड़कई? अइसे तउ पापी भी पापी मनइयन क देत हीं कि ओनका ओनकी पूरी रकम वापस मिलि जाइ।
35 “मुला आपन दुस्मन स भी पिआर करा, ओनके संग भलाई करा। कछू भी वापस मिलि जाइके आसा तजिके उधार द्या। इ तरह तोहार फल महान होइ जाई अउर तू सर्वोच्च (परमेस्सर) क संतान बनब्या काहेकि परमेस्सर एहसाने क मानइवालन अउर दुस्ट मनइयन प भी दाया करत ह। 36 जइसे तोहार परमपिता दयालु बा, वइसे ही तू दयालु बना।
आपन क पहिचाना
(मत्ती 7:1-5)
37 “कओ क दोखी जिन कहा तउ तोहका भी दोखी नाहीं कहा जाइ। कओ क नोक्तचीनी जिन करा तउ तोहार भी नोक्ताचीनी नाहीं कीन्ह जाइ। छमा करा, तोहका छमा मिली। 38 द्या तोहका भी दीन्ह जाइ। उ पचे तोहरे झोरी मँ पूरा नाप दबाइ दबाइ के, हलाइके बाहेर निकसत भइ उड़ेरिहीं काहेकि जउने नापे स तू दूसरन क नापत ह, उहइ स तोहका नापा जाइ।”
39 उ ओनसे एक ठु दिस्टान्त कथा अउर कहेस: “का कउनो आँधर कउने दूसरे आँधर क राह देखाइ सकत ह? का उ सबइ दुइनउँ ही कउनो गड़हा मँ नाहीं भहरइहीं? 40 कउनो भी पढ़वइया आपन पढ़ावइवालन स बड़वार नाहीं होइ सकत, मुला जबहिं कउनो मनई पूरी तरह हुसियार होइ जात ह तउ उ आपन गुरु क नाई होइ जात ह।
41 “तू आपन भाई क आँखी मँ कउनो ढेंढ़ा काहे लखत ह अउर आपन आँखी क लट्ठा भी तोहका नाहीं चोंधरात। 42 तउ आपन भाई स तू कइसे कहि सकत ह ‘भाई तू अपन आँखी क तिनका मोका निकारइ द्या।’ जब तू आपन आँखी क लट्ठा क नाहीं निहरत्या। अरे कपटी, पहिले आपन आँखी क लट्ठा दूर करा, तब तोबका आपन भाई क आँखी क ढेढ़ा बाहेर निकारइ बरे देखॉइ पड़ी।
दुइ किसिम क फर
(मत्ती 7:17-20; 12:34b-35)
43 “कउनो भी अइसा उत्तिम बृच्छ नाहीं अहइ जेह पइ बुरा फर लागत होइ। न ही कउनो अइसा बुरा बृच्छ बाटइ, जेइ पइ उत्तिम फर आवति होइ। 44 हर बृच्छ आपन फर स पहिचाना जात ह। मनइयन कँटेहरी झारी स अंजीर नाहीं बटोरतेन। न ही कउनो झरबेली स मनई अंगूर बटोरत हीं। 45 एक नीक मनई क मन मँ अच्छाइ क भंडार बाटइ। अउर एक खोटा मनई, जउ ओकरे मने मँ बुराई बाटइ, उहइ स बुराई पइदा करत ह। काहेकि एक मनई मुँहना स उहइ बोलत ह, जउन ओकरे हिरदइ मँ उफनाइ के बाहेर आवत ह।
आपन क पहिचाना
(मत्ती 7:24-27)
46 “तू मोका, ‘पर्भू पर्भू’ काहे पुकारत ह अउर जउन मइँ कहत हउँ, ओह प नाहीं चलत्या। 47 हर कउनो जउन मोरे लगे आवत ह अउर मोर उपदेस सुनि लेत ह अउर ओह पर आचरण करत ह, उ कउने तरह क होत ह, मइँ तोहका बताउब। 48 उ उहइ मनई क नाई अहइ जउन मकान बनावत बाटइ। उ गहिर खुदाई किहेस अउर चट्टानें प नेंव डाएस। फिन जब बाढ़ आइ अउर नदी मकाने प टकरान तउ ओका हलाइ नाहीं पाएस, काहेकि उ बहोत अच्छी तरह स बना रहा।
49 “मुला जउन मोर उपदेस सुनत ह अउर ओहॅ प चलत नाहीं उ ओ मनई क नाई अहइ जउन बे नेंव धरे धरती प मकान बनाएस। नदी ओसे टकरान अउर उ फउरन ढहाइ गवा अउर पूरी तरह बरबाद होइ गवा।”
सोपर क जवाब
20 एह पइ नामात प्रदेस क सोपर जवाब दिहस।
2 “अय्यूब, धियान दया।
मइँ परेसानी मँ हउँ।
यह बरे मइँ हाली तोहका बताएउँ क कि मइँ का सोचत हउँ।
3 तोहार आलोचना हमार अपमान करत हीं।
मुला मइँ बुद्धिमान हउँ अउर जानत हउँ कि तोहका कइसे जवाब दीन्ह जाइ चाही।
4-5 “एका तू तब स जानत ह जब बहोत पहिले लोगन क धरती पइ पठवा ग रहा,
दुट्ठ मनई क आनन्द बहोत दिन नाहीं टिकत ह।
अइसा मनई जेका परमेस्सर क चिन्ता नाहीं अहइ उ तनिक समइ बरे आनन्द मँ भरि जात ह।
6 चाहे दुट्ठ मनई क अपमान
अकासे तलक छू जाइ।
7 उ आपन तने क मल क नाई नस्ट होइ जाइ।
उ सबइ लोग जउन ओका जानत हीं कइहीं, ‘उ कहाँ अहइ?’
8 उ अइसे बिलाइ जाइ जइसे सपन हाली ही कहूँ उड़ जात ह।
फिन कबहुँ कउनो ओका लखि नाहीं सकी, उ नस्ट होइ जाइ,
ओका राति क सपना क तरह हाँक दीन्ह जाइ।
9 उ सबइ मनई जउन ओका लखे रहेन फुन कबहुँ नाहीं लखेन।
ओकर परिवार फुन कबहुँ ओका नाहीं लखि पाइ।
10 जउन कछू भी उ (दुट्ठ) गरीबन स लिहे रहा ओकार संतानन चुकइहीं।
ओनका आपन हीं हाथन स धन लौटाए होइ।
11 जब उ जवान रहा, ओकर सरीर मजबूत रही,
मुला उ हाली ही धूलि होइ जाइ।
12 “दुस्ट क मुहँ क दुस्टता बड़ी मीठी लागत ह,
उ ओका आपन जिभिया क खाले छुपाइ लेइ।
13 बुरा मनई उ बुराई क थामे रही, ओकर दूर होइ जाब ओका कबहुँ नाहीं भाई,
तउ उ ओका आपन मुँहे मँ थामे रही।
14 मुला ओकरे पेटे मँ ओकर भोजन जहर बन जाइ,
उ ओकरे भीतर अइसे बन जाइ जइसे कउनो नाग क विख सा कडुवा जहर।
15 दुस्ट धन दौलत क लील जात ह मुला उ ओन सबका बाहेर उगिली।
परमेस्सर दुस्ट क पेटे स ओन सबका उगालिवाइ।
16 दुस्ट मनई क विख चुसब साँपे क नाई होइ।
मुला साँपे क विसैला जीभ ओका मारि डइहीं।
17 मुला दुस्ट मनई लखइ क आनन्द नाहीं लेइहीं
अइसी ओन नदियन क जउन सहद अउर मलाई बरे बहा करत ह।
18 दुट्ठ क ओकर लाभ वापिस करइ क दबावा जाइ।
ओका ओन चिजियन क आनन्द नाहीं लेइ दीन्ह जाइ जेनके बरे उ मेहनत किहे अहइ।
19 कहेकि उ दुस्ट मनई दीन मनई क चिन्ता नाहीं किहस।
बलकि, उ दूसर लोगन क घरन क भी लइ लिहस जेका उ पचे आपन बरे बनाएस रहा।
20 “दुस्ट मनई कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होत ह।
उ आपन सबहिं धन क लइ ले जात ह।
21 जब उ खात ह तउ कछू नाहीं तजत ह,
तउ ओकर कामयाबी बनी नहीं रही।
22 जब दुस्ट जन क लगे भरपूर होइ तबहिं ओन पइ विपत्ती आइहीं
अउर उ कस्ट क अनुभव करिहीं।
23 दुस्ट जन उ सब कछू खाइ चुकी जेका उ खाइ चाहत ह।
परमेस्सर आपन बरत भवा किरोध ओह पइ डाइ।
उ दुस्ट मनई पइ परमेस्सर सजा बरसाइ।
24 होइ सकत है कि उ दुस्ट लोहा क तरवार स बच निकरइ,
मुला कहुँ स काँसा क बाण ओका मार गिरावइ।
25 तीर खींचत लिहेस ह,
अउर बिजुरि क नाई ओकरे पीठ मँ घुसत ह,
अउर ओकरे करेजा बाहर आ जात ह,
अउर उ आंतकित होइके काँप उठत ह।
26 ओकर सबहिं खजाना नस्ट होइ जइहीं,
एक ठु अइसी आगी जेका कउनो नाहीं बारेस ओका नस्ट करी,
उ आगी ओनका जउन ओकरे घरे मँ बचा अहइँ नस्ट कइ डाइ।
27 सरग सिद्ध करी कि उ दुस्ट अपराधी अहइ,
इ गबाही धरती ओकरे खिलाफ देइ।
28 जउन कछू भी ओकरे घरे मँ अहइ,
उ परमेस्सर क किरोध क बाढ़ मँ बहि जाइ।
29 इ उहइ जेका परमेस्सर दुस्टन क संग करइ क जोजना रचत ह।
इ उहइ जइसा परमेस्सर ओनका देइ क जोजना बनावत ह।”
बियाह
7 अब इन बातन क बारे मँ जउन तू लिखे रह्या: अच्छा इ बा कि कउनउ मनई कीहीउ स्त्री स बियाह न करइ। 2 मुला यौन अनैतिकता क घटना क सम्भावनावन क कारण हर पुरूस क आपन पत्नी होइ चाही अउर हर स्त्री क आपन पति। 3 पति क चाही कि पत्नी क रूप मँ जउन कछू पत्नी क अधिकार बनत ह, ओका देइ। अउर इही तरह पत्नी क भी चाही कि पति क ओकर यथोचित प्रदान करइ। 4 अपने सरीर पर पत्नी क कउनउ अधिकार नाहीं बा, बल्कि ओकरे पति क बा। अउर इही तरह पति क ओकरे अपने सरीर पर कउनउ अधिकार नाहीं बा, बल्कि ओकरे पत्नी क अहइ। 5 अपने आप क पराथना मँ समर्पित करइ क बरे थोड़े समइ तक एक दूसरे स समागम न करइ क आपसी सहमति क छोड़िके, एक दूसरे क संभोग स वंचित जिन करा। फिन आतिमा संयम क अभाउ क कारण कहूँ सइतान तोहे कउनउ परीच्छा मँ न डालि देइ, इही बरे तू फिन समागम कइ ल्या। 6 मइँ इ एक छूट क रूप मँ कहत रहत हउँ, आदेस क रूपें मँ नाहीं।
7 मइँ तउ चाहित हउँ सभन लोग मोरे जइसेन होतेन। मुला हर मनई क परमेस्सर स एक विंशेष बरदान मिला बा। कीहीउ क जिअइ क एक ढंग बात त दुसरे क दूसर।
8 अब मोका अविवाहितन अउर विधवा क बारे मँ इ कहब बा: अगर उ हमरे समान अकेल ही रहइँ तउ ओकरे बरे इ अच्छा रही। 9 मुला अगर उ पचे अपने आप पर काबू न रख सकइँ तउ ओन्हे बियाह कइ लेइ चाही, काहेकि वासना क आग मँ जलत रहइ स विआह कइ लेब अच्छा बा।
10 अब जउन विवाहित अहउँ ओनका हमार ई आदेस बा, यद्यपि इ हमार नाहीं बा बल्कि पर्भू क आदेस बा कि कउनउ पत्नी आपन पति क न तियागइ चाही। 11 मुला अगर उ ओका छोड़िही देइ तउ ओका फिन अनब्याहा ही रहइ चाही या अपने पति स मेल-मिलाप कइ लेइ चाही। अउर अइसेन ही पती क अपनी पत्नी क छोड़इ न चाही।
12 अब सेस लोगन स मोर इ कहब बा: (ई मइँ कहत हउँ न कि पर्भू) अगर कि कउनो मसीही भाई क कउनउ अइसी पत्नी बा जउन ऍह मते मँ बिसवास नाहीं रखत अउर ओकरे साथे रहइ क सहमत बा त ओका तियाग देइ चाही। 13 अइसेन ही अगर कउनो स्त्री क कउनउ अइसेन पति बा जउन पथ क बिसवासी नाहीं अहइ मुला ओकरे साथे रहइ क सहमत बा त ओह स्त्री क भी आपन पति तियागइ न चाही। 14 काहेकि उ अबिसवासी पति बिसवासी पत्नी क लगे क सम्बन्ध क कारण पवित्तर होइ जात ह अउर इही तरह उ अबिसवासी पत्नी अपने बिसवासी पति क हमेसा साथ रहे स पवित्तर होइ जात ह। नाहीं तउ तोहार सन्तान अस्वच्छ होइ जात मुला अब तउ उ पचे पवित्तर बाटेन।
15 फिन भी अगर केउ अविसवासी अलग होइ चाहत ह तउ उ अलग होइ सकत ह। अइसन स्थितियन मँ कउनो मसीह भाई या बहिन पर कउनउ बंधन लागू न होई। परमेस्सर हमका सान्ति क साथे रहइ क बोलाए अहइ। 16 हे पत्नियो, का तू पचे जानत अहा? होइ सकत ह तू अपने अबिसवासी पति क बचाइ ल्या। हे पति, का तू जानत ह? होइ सकत ह तू अपने अबिसवासी पत्नी क बचाइ ल्या।
जइसन अहा, वइसेइ जिआ
17 पर्भू जेका जइसेन दिहे अहइ अउर जेका जेह रूप मँ चुनें अहइ, ओका वइसेन ही जियइ चाही। सभन कलीसियन मँ मइँ इही क आदेस देत हउँ। 18 जब किहू क परमेस्सर क द्वार बोलावा गवा, तब अगर उ खतना युक्त रहा तब ओका आपन खतना छिपावइ न चाही। अउर किहू क अइसेन दसा मँ बोलावा गवा जब उ बिना खतना क रहा तउ ओकर खतना करावइ न चाही। 19 खतना तउ कछू नाहीं बाटइ अउर न ही खतना न होब कछू बा। बल्कि परमेस्सर क आदेसन क पालन करब ही सब कछू अहइ। 20 हरि किहू क उही स्थिति मँ रहइ चाही, जेहमें ओका बोलावा गवा बा। 21 का तोहे सबन क दास क रूप मँ बोलावा गवा बा? तू एकर चिन्ता जिन करा। मुला अगर तू स्वतंत्र होई सकत ह तउ आगे बढ़ अउर अवसर क लाभ उठावा। 22 काहेकि जेका पर्भू क दास क रूप मँ बोलावा गवा, उ तउ पर्भू क स्वतंत्र मनई अहइ। इही तरह जेका स्वतंत्र मनई क रूप मँ बोलावा गवा, उ मसीह क दास अहइ। 23 परमेस्सर कीमत चुकाइके तोहे सबन क खरीदे बाटइ। इही बरे मनइयन क दास न बना। 24 भाइयो, तोहे जउने स्थिति मँ बोलावा गवा बा, परमेस्सर की सामने उही स्थिति मँ रहा।
बियाह करइ सम्बन्धी प्रश्नन क उत्तर
25 अविवाहितन क सम्बन्ध मँ पर्भू कइँती स मोका कउनो आदेस नाहीं मिला बा। इही बरे मइँ पर्भू क दया पाइके बिसवासी होइ क कारण आपन राय देत हउँ। 26 मइँ सोचत हउँ कि एह वर्तमान संकट क कारण इहइ अच्छा बा कि कउनउ मनई मोरे समान ही अकेला रहइ। 27 अगर तू विवाहित अहा तउ ओसे छुटकारा पावइ क यत्न जिन करा। अगर तू पत्नी स मुक्त अहा तउ ओका खोजा न। 28 मुला अगर तोहार जीवन विवाहित बा तउ तू कउनउ पाप नाहीं किहे अहा। अउर अगर कउनउ कन्या बियाह करत ह, तउ कउनउ पाप नाहीं करत ह मुला अइसेन लोग सरीरीक कस्ट उठइहीं जेनसे मइँ तोहे सबन क बचावइ चाहत हउँ।
29 भाइयो तथा बहिनियो, मइँ तउ इहइ कहत हउँ, समइ बहुत कम बा। इही बरे अब आगे, जेनके लगे पत्नियन अहइँ उ पचे अइसन ही रहइँ, माना उनके पास पत्नियन हइयइ नाहीं हइन। 30 अउर उ सबइ जउन विलखत अहइँ उ पचे, अइसेन रहइँ, माना कबहूँ दुखही न भवा होइ। अउर जउन आनन्दित हयेन, उ पचे अइसेन रहइँ, माना खुसइ नाहीं भवा रहेन। अउर उ पचे जउन चीज मोल लेत हीं, अइसेन रहइ माना ओनके लगे कछुउ न होइ। 31 अउर जउन संसारिक सुख-बिलासन क भोग करत हयेन, उ पचे अइसेन रहइँ, माना उ पचे चीज ओनके बरे कउनउ महत्व नाहीं रखत। काहेकि इ संसार अपने वर्तमान सरूप मँ नासवान बा।
32 मइँ चाहत हउँ आप लोग सबइ चिन्ता स मुक्त रहा। एक अविवाहित मनई पर्भू सम्बधी विसयन क चिन्तन मँ लगा रहत ह कि उ पर्भू क कइसे खुस करइ। 33 मुला एक विवाहित मनइ संसारिक विसयन मँ ही लिप्त रहत ह कि उ आपन पत्नी क कइसे खुस कइ सकत ह। 34 एह तरह ओकर व्यक्तित्व बँटि जात ह। अउर अइसेन कउनउ अविवाहित स्त्री या कुंआरी कन्या क जेका बस पर्भू सम्बन्धी विसयन क ही चिन्ता रहत ह। जेहसे उ अपने सरीर अउर आपन आतिमा स पवित्तर होइ सकइ। मुला एक विवाहित स्त्री संसारिक विसय भोगन मँ ऍह तरह लिप्त रहत ह कि उ अपने पति क रिझावत रहि सकइ। 35 इ मइँ तोहसे तोहरे भले क बरे ही कहत हउँ तोह पर बन्धन लगावे क बरे नाहीं। बल्कि अच्छी व्यवस्था क हित मँ अउर इही बरे कि तू चित्त क चंचलता क बिना पर्भू क समर्पित होइ सका।
36 अगर केउ सोचत ह कि उ आपन जवान होइ चुकी कुंआरी प्रिया क बरे उचित नाहीं करत बा अउर अगर ओकर काम भावना तेज बा, अउर दुन्नऊ क ही आगे बढ़िके बियाह कइ लेइ क जरूरत बा, तउ जइसन उ चाहत ह, ओका आगे बढ़िके वइसेन ही कइ लेइ चाही उ पाप नाहीं करत बा। ओका बियाह कइ लेइ चाही। 37 मुला जउन अपने मने मँ बहुत पक्का अहइ अउर जेह पर कउनउ दबावउ नाहीं बा, बल्कि जेकर इच्छन पर पूरा बस बा अउर जे अपने मने मँ पूरा निहचय कइ ललिहे बा कि अपने प्रिया स बियाह न करइ तउ उ अच्छा ही करत बा। 38 तउ उ जउन आपन प्रिया स बियाह नाहीं करत उ अउर भी अच्छा करत ह।
39 जब तलक किहउ स्त्री क पति जिन्दा रहत ह, तबउ तलक उ बियाह क बन्धन मँ बंधी होत ह मुला अगर ओकरे पति क मउत होइ जात ह, तउ जेकरे साथे चाहइ बियाह करइ, उ स्वतन्त्र बा मुला केवल पर्भू मँ। 40 पर अगर जइसेन उ बा वइसेन ही रहत ह, त जियादा खुस रही। इ मोर विचार अहइ। अउर मइँ सोचत अहउँ कि मोहूँ मँ परमेस्सर क आतिमा क ही निवास अहइ।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.