मत्ती 5:1-12
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
ईसू क उपदेस
(लूका 6:20-23)
5 ईसू जब भारी भीड़ देखेस उ एक पहाड़े प चला गवा। हुवाँ उ बैठि गवा अउर ओकर चेलन ओकरे नगिचे आएन। 2 तबहिं ईसू उपदेस देत भवा कहेस:
3 “धन्य अहइँ उ पचे जउन दीन अहइँ,
काहेकि सरगे क राज्य अहइ ओनके बरे।
4 धन्य अहइँ उ सबइ जउन सोक करत हीं
काहेकि परमेस्सर ओनका धीरज बँधावत ह।
5 धन्य अहइँ उ सबइ जउन नम्र अहइँ
काहेकि इ धरती ओनही क अहइ।
6 धन्य अहइँ उ सबइ जउन नीति क बरे भूखा अउर पियासा जउन रहत ही।
काहेकि परमेस्सर ओनका संतोस देइ, अउर तृप्ति देइ।
7 धन्य अहइँ जउन दयालु अहइँ
काहेकि ओन पइ अकास स दया बरसी।
8 धन्य अहइँ जउन हिरदय स सुद्ध अहइँ
काहेकि उ सबइ परमेस्सर क दरसन करिहीं।
9 धन्य अहइँ जउन सान्ति बरे काम काज करत हीं
काहेकि उ सबइ परमेस्सर क पूत कहा जइहीं।
10 धन्य अहइँ जउन धर्म क कारण सतावा जात हीं
काहेकि सरगे क राज्य ओनही क अहइ।
11 “अउर तू पचे धन्य अहा काहेकि जब लोग तोहका पचन्क बेज्जत करइँ, तोहका पचन्क सतावइँ अउर मोरे बरे तोहरे खिलाफ सब प्रकार क झूठी बातन कहइँ बस एह बरे तू सबइ मोर मनवइया अहा। 12 तब तू सबइ खुस रह्या, आनन्द मँ रह्या, काहेकि सरगे मँ तोहका पचन्क एकरे बरे अच्छा होई। इ वइसे ही बाटइ जइसे तोहरे पहिले क नबियन क मनइयन सताएन ह।
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