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ईसू क वचन दूसर क दोखी ठहरावइ बरे

(लूका 6:37-38,41-42)

“दूसर प दोख लगावइ क आदत जिन डावा काहेकि तोहरे प दोख न लगावा जाइ। काहेकि तोहार निआव उहइ फैसला प टिका होई, जउन फैसला तू दूसर क निआव प दिहे रहा अउर परमेस्सर तोहका उहइ नपना स नापी जउने नपना स तू दूसर क नाप्या ह।

“तू आपन भाई बंद क आँखी क किरकरी तक क काहे लखत ह? जब कि तोहका आपन आँखी क लट्ठा तलक नाहीं देखाइ पड़त? जबहिं तोहरे आँखी मँ लट्ठा बाटइ तब तू आपन भाई स कइसे कहि सकत ह, ‘तू मोका तोहरी आँखी क किरकिरी निकारइ द्या।’ अरे कपटी! पहिले आपन आँखी क लट्ठा निकार, फिन तू नीक नीक देख पउब्या अउर आपन भाई क आँखी क किरकिरी निकार पउब्या।

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