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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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लूकॉ 1:39-80

मरियम की एलिज़ाबेथ से भेंट

39 मरियम तुरन्त यहूदिया प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के एक नगर को चली गईं. 40 वहाँ उन्होंने ज़कर्याह के घर पर जाकर एलिज़ाबेथ को नमस्कार किया. 41 जैसे ही एलिज़ाबेथ ने मरियम का नमस्कार सुना, उनके गर्भ में शिशु उछल पड़ा और एलिज़ाबेथ पवित्रात्मा से भर गईं. 42 वह उल्लसित शब्द में बोल उठी, “तुम सभी नारियों में धन्य हो और धन्य है तुम्हारे गर्भ का फल! 43 मुझ पर यह कैसी कृपादृष्टि हुई है, जो मेरे प्रभु की माता मुझसे भेंट करने आई हैं! 44 देखो तो, जैसे ही तुम्हारा नमस्कार मेरे कानों में पड़ा, हर्षोल्लास से मेरे गर्भ में शिशु उछल पड़ा. 45 धन्य है वह, जिसने प्रभु द्वारा कही हुई बातों के पूरा होने का विश्वास किया है!”

मरियम का स्तुति गान

46 इस पर मरियम के वचन ये थे:

“मेरा प्राण प्रभु की प्रशंसा करता है
47     और मेरी अन्तरात्मा परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता में आनन्दित हुई है,
48 क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की
    दीनता की ओर दृष्टि की है.
अब से सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी,
49     क्योंकि सामर्थी ने मेरे लिए बड़े-बड़े काम किए हैं. पवित्र है उनका नाम.
50 उनकी दया उनके श्रद्धालुओं पर पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है.
51 अपने भुजबल से उन्होंने प्रतापी काम किए हैं और अभिमानियों को बिखरा दिया है.
52 परमेश्वर ने राजाओं को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया
    तथा विनम्रों को उठाया है.
53 उन्होंने भूखों को उत्तम पदार्थों से तृप्त किया
    तथा सम्पन्नों को खाली लौटा दिया.
54-55 उन्होंने अपने सेवक इस्राएल की सहायता अपनी उस करूणा के स्मरण में की,
    जिसकी प्रतिज्ञा उसने हमारे बाप-दादों से करी थी और जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों पर सदा सर्वदा रहेगी”.

56 लगभग तीन माह एलिज़ाबेथ के साथ रह कर मरियम अपने घर लौट गईं.

बपतिस्मा देने वाले योहन का जन्म

57 एलिज़ाबेथ का प्रसवकाल पूरा हुआ और उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया. 58 जब पड़ोसियों और परिजनों ने यह सुना कि एलिज़ाबेथ पर यह अनुग्रह हुआ है, तो वे भी उनके इस आनन्द में सम्मिलित हो गए.

बपतिस्मा देने वाले योहन का ख़तना

59 आठवें दिन वे शिशु के ख़तना के लिए इकट्ठा हुए. वे शिशु को उसके पिता के नाम पर ज़कर्याह पुकारने लगे 60 किन्तु शिशु की माता ने उत्तर दिया; “नहीं! इसका नाम योहन होगा!”

61 इस पर उन्होंने एलिज़ाबेथ से कहा, “आपके परिजनों में तो इस नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं है!”

62 तब उन्होंने शिशु के पिता से संकेत में प्रश्न किया कि वह शिशु का नाम क्या रखना चाहते हैं? 63 ज़कर्याह ने एक लेखन पट्ट मँगा कर उस पर लिख दिया, “इसका नाम योहन है.” यह देख सभी चकित रह गए. 64 उसी क्षण उनकी आवाज़ लौट आई. उनकी जीभ के बन्धन खुल गए और वह परमेश्वर का स्तुति करने लगे. 65 सभी पड़ोसियों में परमेश्वर के प्रति श्रद्धाभाव आ गया और यहूदिया प्रदेश के सभी पर्वतीय क्षेत्र में इसकी चर्चा होने लगी. 66 निस्सन्देह प्रभु का हाथ उस बालक पर था. जिन्होंने यह सुना, उन्होंने इसे याद रखा और यह विचार करते रहे: “क्या होगा यह बालक!”

ज़कर्याह का मंगल-गान

67 पवित्रात्मा से भरकर उनके पिता ज़कर्याह इस प्रकार भविष्यवाणियों का वर्णानुभाषण करना शुरू किया:

68 “धन्य हैं प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर,
    क्योंकि उन्होंने अपनी प्रजा की सुधि ली और उसका उद्धार किया.
69 उन्होंने हमारे लिए अपने सेवक दाविद के वंश में
    एक उद्धारकर्ता उत्पन्न किया है,
70 (जैसा उन्होंने प्राचीन काल के अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से प्रकट किया)
71 शत्रुओं तथा उन सब से, जो हमसे घृणा करते हैं, बचाए रखा
72 कि वह हमारे पूर्वजों पर अपनी कृपादृष्टि प्रदर्शित करें
    तथा अपनी पवित्र वाचा को पूरा करें;
73 वही वाचा,
जो उन्होंने हमारे पूर्वज अब्राहाम से स्थापित की थी:
74-75 वह हमें हमारे शत्रुओं से छुड़ाएंगे कि हम पवित्रता और धार्मिकता में
    निर्भय हो जीवन भर उनकी सेवा कर सकें.

76 “और बालक तुम, मेरे पुत्र, परमप्रधान परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता कहलाओगे;
    क्योंकि तुम उनका मार्ग तैयार करने के लिए प्रभु के आगे-आगे चलोगे,
77 तुम परमेश्वर की प्रजा को
    उसके पापों की क्षमा के द्वारा उद्धार का ज्ञान प्रदान करोगे.
78 हमारे परमेश्वर की अत्याधिक कृपा के कारण स्वर्ग से हम पर प्रकाश का उदय
79 होगा उन पर, जो अन्धकार और मृत्यु की छाया में हैं;
    कि इसके द्वारा शान्ति के मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन हो.”

80 बालक योहन का विकास होता गया तथा वह आत्मिक रूप से भी बलवन्त होते गए. इस्राएल के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट होने के पहले वह जंगल में निवास करते रहे.

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1 कोरिन्थॉस 2

प्रियजन, मैं तुम्हारे यहाँ न तो बातों की चतुराई का उपयोग करने आया और न ही उत्तम ज्ञान का प्रदर्शन करने, परन्तु मैं तुम्हारे यहाँ परमेश्वर के भेद का प्रकाशन करने आया था, क्योंकि तुम्हारे बीच मैं इस निश्चय के साथ आया था कि मैं मसीह येशु और उनकी क्रूस की मृत्यु के अलावा किसी भी अन्य विषय को न जानूँ. जब मैं तुम्हारे बीच था, मैं निर्बल था—भयभीत और थरथराता हुआ. मेरा वचन तथा मेरा प्रचार मनुष्य के ज्ञान भरे शब्दों की लुभावनी शैली में नहीं परन्तु पवित्रात्मा तथा सामर्थ्य के प्रमाण में था कि तुम्हारे विश्वास का आधार परमेश्वर का सामर्थ्य हो, न कि मनुष्य का ज्ञान.

पवित्रात्मा द्वारा दिया गया ज्ञान

फिर भी मैं उन्हें, जो मजबूत हैं, ज्ञान भरा सन्देश देता हूँ परन्तु यह ज्ञान न इस युग का है और न इस युग के शासकों का, जिनका नाश होना तय है. हम परमेश्वर के ज्ञान का—उस रहस्यमय भेद का—जो गुप्त रखा गया है, प्रकट करते हैं, जिसे परमेश्वर ने युगों से पहले हमारी महिमा के लिए तय किया था. इस ज्ञान को इस युग के किसी भी राजा ने न पहचाना. यदि वे इसे पहचान लेते, वे ज्योतिर्मय प्रभु को क्रूसित न करते. किन्तु ठीक जैसा पवित्रशास्त्र का लेख है:

जो कभी आँखों से दिखाई नहीं दिया,
    जो कभी कानों से सुना नहीं गया और जो मनुष्य के हृदय में नहीं उतरा,
वह सब परमेश्वर ने उनके लिए,
    जो उनसे प्रेम करते हैं, तैयार किया है.

10 यह सब परमेश्वर ने हम पर आत्मा के माध्यम से प्रकट किया. आत्मा सबकी, यहाँ तक कि परमेश्वर की गूढ़ बातों की भी खोज करते हैं. 11 मनुष्यों में मनुष्य की अन्तरात्मा के अतिरिक्त अन्य कोई भी उनके मन की बातों को नहीं जानता. 12 हमें संसार की आत्मा नहीं परन्तु वह आत्मा प्राप्त हुई है, जो परमेश्वर की ओर से हैं कि हम वह सब जान सकें, जो परमेश्वर ने हमें उदारतापूर्वक प्रदान किया है.

13 हम उनके लिए, जो आत्मिक हैं, आत्मिक बातों का वर्णन मनुष्य के ज्ञान के शब्दों के द्वारा नहीं परन्तु आत्मिक शब्दों में करते हैं. 14 बिना आत्मा का व्यक्ति परमेश्वर की आत्मा के विषय की बातों को स्वीकार नहीं करता क्योंकि इन्हें वह मूर्खता मानता है. ये सब उसकी समझ से परे हैं क्योंकि इनकी विवेचना पवित्रात्मा द्वारा की जाती है; 15 किन्तु वह, जो आत्मिक है, हरेक बात की जांच करता है किन्तु स्वयं उसकी जांच कोई नहीं करता:

16 “क्योंकि कौन है वह,
    जिसने प्रभु के मन को जान लिया है कि वह उन्हें निर्देश दे सके?”

किन्तु हम वे हैं, जिनमें मसीह का मन मौजूद है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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