Read the Gospels in 40 Days
लगान लेवइया – जक्कई
19 यीसू ह यरीहो सहर म ले होके जावत रिहिस। 2 उहां जक्कई नांव के एक मनखे रहय। ओह लगान लेवइयामन के मुखिया रहय अऊ धनी मनखे रहय। 3 ओह ए देखे चाहत रहय कि यीसू ह कोन ए, पर बुटरा होय के कारन भीड़ के मारे ओह यीसू ला नइं देखे सकत रिहिस। 4 एकरसेति ओह भीड़ के आघू दऊड़िस अऊ यीसू ला देखे बर एक ठन डूमर के रूख म चघ गीस, काबरकि यीसू ह ओही डहार म आवत रहय।
5 जब यीसू ह ओ जगह म हबरिस, त ओह ऊपर देखिस अऊ जक्कई ला कहिस, “हे जक्कई, तुरते खाल्हे उतर आ काबरकि आज मोला तोर घर म रूकना जरूरी ए।” 6 ओह तुरते खाल्हे उतरिस अऊ खुस होके यीसू ला अपन घर ले गीस।
7 एला देखके जम्मो मनखेमन कुड़कुड़ाय लगिन अऊ कहिन, “यीसू ह एक पापी मनखे के घर म पहुना होय बर गे हवय।”
8 पर जक्कई ह ठाढ़ होईस अऊ परभू ला कहिस, “हे परभू, अब मेंह अपन आधा संपत्ति गरीबमन ला देवत हवंव, अऊ यदि मेंह काकरो ले कुछू ठगके ले हवंव, त मेंह ओकर चार गुना लहुंटाहूं।”
9 यीसू ह ओला कहिस, “आज परमेसर ह ए मनखे अऊ एकर परिवार ला उद्धार दे हवय, काबरकि ए मनखे ह घलो अब्राहम के एक संतान ए। 10 मनखे के बेटा ह एकर सहीं गंवायमन ला खोजे बर अऊ ओमन के उद्धार करे बर आय हवय।”
दस ठन सोन के सिक्का के पटंतर
(मत्ती 25:14-30)
11 जब मनखेमन ए बात ला सुनत रहंय, तब यीसू ह ओमन ला एक पटंतर कहिस, काबरकि ओह यरूसलेम सहर के लकठा म हबर गे रिहिस अऊ मनखेमन सोचत रहंय कि परमेसर के राज ह तुरते सुरू होवइया हवय। 12 एकरसेति ओह कहिस, “एक ऊंच कुल के मनखे ह एक बहुंत दूरिहा देस ला गीस कि ओह उहां राजपद पावय अऊ फेर लहुंटके आवय। 13 जाय के पहिली, ओह अपन दस झन सेवक ला बलाईस अऊ ओमन ला दस ठन सोन के सिक्का देके कहिस, ‘मोर वापिस लहुंटत तक ए पईसा ले लेन-देन करत रहव।’
14 पर ओ देस के मनखेमन ओला बिलकुल ही पसंद नइं करत रिहिन, एकरसेति ओमन कुछू झन ला ओकर पाछू ए कहे बर पठोईन, ‘हमन नइं चाहत हवन कि ए मनखे ह हमर राजा बनय।’
15 तभो ले, ओह राजा बनाय गीस अऊ फेर घर लहुंटिस। तब ओह जऊन सेवकमन ला पईसा दे रिहिस, ओमन ला बलाईस अऊ ए जाने चाहिस कि ओमन कतेक कमाय हवंय।
16 पहिली सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सोन के सिक्का ले मेंह दस ठन अऊ सोन के सिक्का कमाय हवंव।’
17 ओकर मालिक ह कहिस, ‘बहुंत बने करय। तेंह बने सेवक अस, काबरकि तेंह थोरकन चीज म ईमानदार रहय, मेंह तोला दस ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’
18 दूसरा सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सिक्का ले मेंह पांच ठन अऊ सोन के सिक्का कमाय हवंव।’
19 ओकर मालिक ह कहिस, ‘मेंह तोला पांच ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’
20 तब एक दूसर सेवक आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, ए हवय तोर सोन के सिक्का, मेंह एला एक ठन कपड़ा के टुकड़ा म छुपा के रखे रहेंव। 21 मेंह तोर ले डरत रहेंव, काबरकि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह ओला ले लेथस, जऊन ह तोर नो हय, अऊ जऊन ला तेंह नइं बोय रहस, ओला लूथस।’
22 ओकर मालिक ह कहिस, ‘हे दुस्ट सेवक! मेंह तोर नियाय तोर कहे बचन के मुताबिक करहूं। तेंह जानत रहय कि मेंह एक कठोर मनखे अंव; मेंह ओला ले लेथंव, जऊन ह मोर नो हय, अऊ ओला लू लेथंव, जऊन ला मेंह नइं बोय रहंव। 23 तब तेंह मोर पईसा ला बैंक म काबर जमा नइं कर देवय, ताकि वापिस आके मेंह एला बियाज सहित ले लेतेंव?’
24 तब जऊन मन उहां ठाढ़े रिहिन, ओमन ला ओह कहिस, ‘एकर ले सोन के सिक्का ला ले लेवव अऊ एला ओ सेवक ला दे देवव, जेकर करा दस ठन सिक्का हवय।’ 25 ओमन कहिन, ‘हे मालिक, ओकर करा तो आघू ले दस ठन सिक्का हवय।’
26 ओह जबाब देवत कहिस, ‘मेंह तुमन ले कहत हंव कि हर एक झन जेकर करा हवय, ओला अऊ दिये जाही, पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओ चीज घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा बांचे हवय। 27 पर मोर ओ बईरीमन ला इहां लानव, जऊन मन नइं चाहत रिहिन कि मेंह ओमन के राजा बनंव अऊ ओमन ला मोर आघू म मार डारव।’ ”
बिजय उल्लास के संग यीसू के यरूसलेम म परवेस
(मत्ती 21:1-11; मरकुस 11:1-11; यूहन्ना 12:12-19)
28 जब यीसू ह ए कह चुकिस, त ओह यरूसलेम कोति ओमन के आघू-आघू गीस। 29 जब यीसू ह जैतून पहाड़ करा बैतफगे अऊ बैतनियाह गांव के लकठा म आईस, त ओह अपन चेलामन ले दू झन ला ए कहिके पठोईस, 30 “अपन आघू के गांव म जावव, अऊ जइसने तुमन गांव म हबरहू, तुमन ला उहां एक ठन गदही के बछरू मिलही, जेकर ऊपर कभू कोनो सवारी नइं करे हवंय। ओला ढीलके इहां ले आवव। 31 कहूं कोनो तुम्हर ले पुछय, ‘एला काबर ढीलत हवव?’ त ओला कहव, ‘परभू ला एकर जरूरत हवय।’ ”
32 जऊन चेलामन यीसू के दुवारा पठोय गे रिहिन, ओमन उहां जाके वइसनेच पाईन, जइसने यीसू ह ओमन ला कहे रिहिस। 33 जब ओमन गदही के बछरू ला ढीलत रिहिन, त ओकर मालिकमन ओमन ले पुछिन, “तुमन ए गदही के बछरू ला काबर ढीलत हवव?”
34 ओमन कहिन, “परभू ला एकर जरूरत हवय।”
35 ओमन गदही के बछरू ला यीसू करा लानिन। तब ओमन अपन ओन्ढामन ला गदही के बछरू ऊपर डालिन अऊ यीसू ला ओकर ऊपर बईठा दीन। 36 जब यीसू ह गदही के बछरू म बईठके जावत रिहिस, त मनखेमन अपन ओन्ढा ला सड़क म दसावत जावत रहंय।
37 जब यीसू ह ओ जगह के लकठा म आईस, जिहां सड़क ह खाल्हे जैतून पहाड़ कोति जावत रिहिस, त ओकर चेलामन के जम्मो भीड़ ह आनंद मनाय लगिस अऊ ओमन जऊन चमतकार के काम देखे रिहिन, ओकर सेति चिचिया-चिचियाके परमेसर के महिमा करके कहिन:
38 “धइन ए ओ राजा, जऊन ह परभू के नांव म आथे![a] स्वरग म सांति अऊ परमेसर के महिमा होवय।”
39 भीड़ म के कुछू फरीसीमन यीसू ला कहिन, “हे गुरू! अपन चेलामन ला दबकार।”
40 यीसू ह कहिस, “मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि एमन चुप रहिहीं, त पथरामन चिचिया उठहीं।”
41 जब यीसू ह यरूसलेम सहर के लकठा म आईस, त ओह सहर ला देखके रोईस, 42 अऊ कहिस, “बने होतिस कि कहूं तेंह आज के दिन सिरिप ए जान गे रहितय कि का बात म तोला सांति मिलही। पर अब ओ चीजमन तोर आंखी ले छिपाय गे हवंय।
43 ओ समय ह तोर ऊपर आही, जब तोर बईरीमन तोर चारों अंग घेरा बनाहीं अऊ तोला घेरहीं अऊ तोला जम्मो कोति ले बंद कर दिहीं। 44 ओमन तोला अऊ तोर घेरा के भीतर रहइया मनखेमन ला पूरापूरी नास कर दिहीं; ओमन एको ठन पथरा ला अपन जगह म नइं छोड़हीं, काबरकि तेंह ओ समय ला नइं चिनहय, जब परमेसर ह तोर करा आईस।”
यीसू ह मंदिर म
(मत्ती 21:12-17; मरकुस 11:15-19; यूहन्ना 2:13-22)
45 तब यीसू ह मंदिर म गीस अऊ ओमन ला निकारे के सुरू करिस, जऊन मन उहां सामान बेचत रिहिन, 46 अऊ ओह ओमन ला कहिस, “परमेसर के बचन म ए लिखे हवय, ‘मोर घर ह पराथना के घर होही।’ पर तुमन एला डाकूमन के अड्डा बना ले हवव।”[b]
47 यीसू ह हर दिन मंदिर म उपदेस करत रिहिस। अऊ मुखिया पुरोहित, कानून के गुरू अऊ मनखे मन के अगुवामन ओला मार डारे के कोसिस करत रिहिन। 48 पर ओमन ला अइसने करे बर कोनो उपाय नइं मिलिस, काबरकि जम्मो मनखेमन बड़े लगन से यीसू के बात ला सुनंय।
यीसू के अधिकार के बारे म सवाल
(मत्ती 21:23-27; मरकुस 11:27-33)
20 एक दिन जब यीसू ह मंदिर के अंगना म मनखेमन ला उपदेस देवत रिहिस अऊ सुघर संदेस के परचार करत रिहिस, त मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरूमन अगुवामन के संग ओकर करा आईन, 2 अऊ ओमन यीसू ले पुछिन, “हमन ला बता, कोन अधिकार ले तेंह ए चीजमन ला करत हवस? कोन ह तोला ए अधिकार दे हवय?”
3 ओह ओमन ला जबाब देवत कहिस, “मेंह घलो तुमन ले एक सवाल पुछत हंव। मोला बतावव, 4 यूहन्ना ला बतिसमा देय के अधिकार स्वरग (परमेसर) ले मिले रिहिस कि मनखेमन ले?”
5 ओमन आपस म सोच-बिचार करिन अऊ कहिन, “यदि हमन कहन, ‘स्वरग ले,’ तब ओह पुछही, ‘तब तुमन काबर ओकर ऊपर बिसवास नइं करेव?’ 6 पर यदि हमन कहन, ‘मनखेमन ले,’ त जम्मो मनखे हमन ला पथरा फेंकके मारहीं, काबरकि ओमन बिसवास करथंय कि यूहन्ना ह एक अगमजानी रिहिस।”
7 एकरसेति ओमन जबाब दीन, “हमन नइं जानन कि ओह काकर कोति ले रिहिस।”
8 तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “त मेंह घलो तुमन ला नइं बतावंव कि कोन अधिकार ले मेंह ए चीजमन ला करत हवंव।”
रेगहा म खेत कमइया किसानमन के पटंतर
(मत्ती 21:33-46; मरकुस 12:1-12)
9 तब यीसू ह मनखेमन ला ए पटंतर कहिस, “एक मनखे एक अंगूर के बारी लगाईस, अऊ ओला कुछू किसानमन ला रेगहा म दे दीस अऊ बहुंत दिन बर परदेस चल दीस। 10 जब अंगूर के फसल के समय आईस, त ओह अपन एक सेवक ला ओ किसानमन करा पठोईस ताकि ओमन अंगूर के बारी के कुछू फर ओला देवंय। पर किसानमन ओ सेवक ला मारिन-पीटिन अऊ ओला जुछा हांथ वापिस पठो दीन। 11 तब ओह दूसर सेवक ला पठोईस, पर किसानमन ओला घलो मारिन-पीटिन; ओकर बेजत्ती करिन अऊ ओला जुछा हांथ वापिस पठो दीन। 12 फेर ओह तीसरा सेवक ला पठोईस, अऊ किसानमन ओला घायल करके बारी के बाहिर फटिक दीन।
13 तब अंगूर के बारी के मालिक ह कहिस, ‘मेंह का करंव? मेंह अपन मयारू बेटा ला पठोहूं। हो सकथे कि ओमन ह ओकर आदर करंय।’
14 पर जब किसानमन मालिक के बेटा ला देखिन, त ओमन आपस म कहिन, ‘एह तो बारी के वारिस ए। आवव, हमन ओला मार डारन, तब ओकर संपत्ति ह हमर हो जाही।’ 15 अऊ ओमन ओला अंगूर के बारी ले बाहिर फटिक दीन अऊ ओला मार डारिन।
तब बारी के मालिक ह ओमन के संग का करही? 16 ओह आही अऊ ओ किसानमन ला मार डारही अऊ अंगूर के बारी ला आने मन ला दे दिही।”
जब मनखेमन एला सुनिन, त ओमन कहिन, “अइसने कभू झन होवय।”
17 यीसू ह ओमन ला देखके कहिस, “तब परमेसर के बचन म लिखे ए बात के का मतलब होथे?
‘जऊन पथरा ला राज-मिस्त्रीमन बेकार समझिन,
ओहीच ह कोना के पथरा बन गीस।’[c]
18 जऊन कोनो ओ पथरा ऊपर गिरही, ओह कुटी-कुटी हो जाही, पर जेकर ऊपर ए पथरा ह गिरही, ओह चकनाचूर हो जाही।”
19 कानून के गुरू अऊ मुखिया पुरोहित मन ओतकीच बेरा यीसू ला पकड़े के कोसिस करिन, काबरकि ओमन जानत रिहिन कि ओह ए पटंतर ला ओमन के बिरोध म कहे हवय। पर ओमन मनखेमन ले डर्राईन।
महाराजा ला लगान पटाय के बारे म सवाल
(मत्ती 22:15-22; मरकुस 12:13-17)
20 ओमन यीसू ऊपर नजर रखे रहंय अऊ ओमन भेदियामन ला पठोईन, जऊन मन ईमानदार होय के ढोंग करत रहंय। ओमन ए आसा करत रहंय कि यीसू के मुहूं ले कोनो अइसने बात निकरे, जेकर ले ओला ओमन पकड़ंय अऊ राजपाल के हांथ अऊ अधिकार म सऊंप सकंय। 21 एकरसेति ओ भेदियामन यीसू ले पुछिन, “हे गुरू, हमन जानथन कि तेंह ओ बात ला कहिथस अऊ सिखोथस जऊन ह सही ए, अऊ तेंह मुहूं देखके नइं गोठियावस, पर सच्चई के संग परमेसर के बात ला सिखोथस। 22 हमन ला बता कि महाराजा ला लगान पटाना हमर बर ठीक अय कि नइं?”
23 पर यीसू ह ओमन के चाल ला समझ गीस अऊ कहिस, 24 “मोला एक ठन सिक्का देखावव। एकर ऊपर काकर चेहरा अऊ नांव हवय?”
ओमन कहिन, “महाराजा के।”
25 यीसू ह ओमन ला कहिस, “जऊन ह महाराजा के अय, ओला महाराजा ला देवव, अऊ जऊन ह परमेसर के अय, ओेला परमेसर ला देवव।”
26 जऊन बात, ओह मनखेमन के आघू म कहिस, ओम ओमन ह ओला फंसाय नइं सकिन। अऊ ओकर जबाब ले चकित होके, ओमन चुप हो गीन।
मरे म ले फेर जी उठे के बारे म सवाल
(मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27)
27 सदूकीमन कहिथें कि जऊन मन मर गे हवंय, ओमन फेर नइं जी उठंय। ओम के कुछू झन यीसू करा आईन अऊ ओकर ले पुछिन, 28 “हे गुरू, मूसा ह हमर बर लिखे हवय कि यदि कोनो मनखे के भाई ह अपन घरवाली के रहत बिगर संतान के मर जावय, त एह जरूरी ए कि ओ मनखे ह अपन भाई के बिधवा ले बिहाव करय अऊ अपन भाई बर संतान पैदा करय। 29 एक जगह सात भाईमन रिहिन। बड़े भाई ह एक माईलोगन ले बिहाव करिस अऊ बिगर कोनो लइका के मर गीस। 30 तब दूसरा भाई ह ओ माईलोगन ले बिहाव करिस, 31 अऊ तब तीसरा भाई ह ओकर ले बिहाव करिस, अऊ इही किसम ले सातों भाई बिगर कोनो संतान के मर गीन। 32 आखिर म ओ माईलोगन घलो मर गीस। 33 तब ओ दिन जब मरे मनखेमन फेर जी उठहीं, त ओह काकर घरवाली होही, जबकि ओकर ले सात झन बिहाव करे रिहिन?”
34 यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “ए जुग के आदमी अऊ माईलोगन मन सादी-बिहाव करथें, 35 पर जऊन आदमी अऊ माईलोगन मन ए लइक ठहरथें कि ओमन मरे म ले जी उठंय अऊ ओ जुग म जीयंय; उहां ओमन के बीच म सादी-बिहाव नइं होवय। 36 ओमन फेर कभू नइं मरंय; काबरकि ओमन स्वरगदूतमन सहीं होथें। ओमन परमेसर के संतान अंय काबरकि ओमन मरे म ले जी उठे हवंय। 37 मरे मन जी उठथें, एला मूसा ह घलो जरत झाड़ी के घटना म बताथे, जिहां ओह परभू ला ‘अब्राहम के परमेसर, अऊ इसहाक के परमेसर, अऊ याकूब के परमेसर,’[d] कहिथे[e]। 38 एकर मतलब होथे कि ओह मरे मन के नइं, पर जीयत मन के परमेसर अय, काबरकि ओकर बर जम्मो झन जीयत हवंय।”
39 कुछू कानून के गुरूमन कहिन, “हे गुरू, तेंह बने कहय!” 40 एकर बाद ओमन ओला अऊ कोनो सवाल करे के हिम्मत नइं करिन।
मसीह ह काकर बेटा अय?
(मत्ती 22:41-46; मरकुस 12:35-37)
41 तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “ओमन कइसने कह सकथें कि मसीह ह दाऊद के संतान अय? 42 काबरकि दाऊद ह खुदे भजन-संहिता के किताब म कहिथे:
‘परभू ह मोर परभू ले कहिस:
“मोर जेवनी हांथ अंग बईठ,
43 जब तक कि मेंह तोर बईरीमन
ला तोर गोड़ रखे के चउकी नइं बना देवंव।” ’[f]
44 जब दाऊद ह ओला ‘परभू’ कहिथे, तब मसीह ह दाऊद के संतान कइसने हो सकथे?”
45 जब जम्मो मनखेमन यीसू के बात ला सुनत रिहिन, त यीसू ह अपन चेलामन ला कहिस, 46 “कानून के गुरूमन ले सचेत रहव। ओमन लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरे एती-ओती घूमना पसंद करथें, अऊ ओमन ला बजार के जगह म जोहार झोंकना, यहूदीमन के सभा घर म सबले बने आसन म बईठना अऊ भोज म आदर के जगह म बईठना बहुंत बने लगथे। 47 ओमन बिधवामन के घरमन ला छीन लेथें अऊ देखाय बर लम्बा पराथना करथें। अइसने मनखेमन बहुंत कठोर दंड पाहीं।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.