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परमेश्वर-पुत्र में विश्वास द्वारा प्रेम
5 हर एक, जिसका विश्वास यह है कि येशु ही मसीह हैं, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है तथा हर एक जिसे पिता से प्रेम है, उसे उससे भी प्रेम है, जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है. 2 परमेश्वर की सन्तान से हमारे प्रेम की पुष्टि परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम और उनकी आज्ञाओं का पालन करने के द्वारा होती है. 3 परमेश्वर के आदेशों का पालन करना ही परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का प्रमाण है. उनकी आज्ञा बोझिल नहीं हैं.
4 जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जयवन्त है. वह विजय, जो संसार पर जयवन्त है, यह है: हमारा विश्वास. 5 कौन है वह, जो संसार पर जयवन्त होता है? क्या वही नहीं, जिसका यह विश्वास है कि मसीह येशु ही परमेश्वर-पुत्र हैं?
6 यह वही हैं, जो जल व लहू के द्वारा प्रकट हुए मसीह येशु. उनका आगमन न केवल जल से परन्तु जल तथा लहू से हुआ इसके साक्षी पवित्रात्मा हैं क्योंकि पवित्रात्मा ही वह सच हैं
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