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New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
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मरकुस 12-13

अंगूर के बारी के किरायादारमन के पटं‍तर

(मत्ती 21:33-46; लूका 20:9-19)

12 तब यीसू ह ओमन ले पटं‍तर म गोठियाय लगिस अऊ कहिस, “एक मनखे ह अंगूर के बारी लगाईस अऊ बारी के चारों खूंट बाड़ा बांधिस अऊ रस बनाय के खातिर एक ठन खंचवा कोड़िस, अऊ एक ठन मचान घलो बनाईस। अऊ ओ अंगूर के बारी ला, ओह किसानमन ला रेगहा म देके परदेस चल दीस। जब फर के समय आईस, त ओह अपन एक सेवक ला किसानमन करा पठोईस कि ओह अंगूर के बारी ले ओकर बांटा के फर लानय। पर किसानमन ओला धरके मारिन-पीटिन अऊ ओला जुछा हांथ लहुंटा दीन। तब बारी के मालिक ह एक आने सेवक ला ओमन करा पठोईस, पर ओमन ओकर मुड़ी ला फोर दीन अऊ ओकर बेजत्ती करिन। बारी के मालिक ह अऊ एक झन ला पठोईस, पर ओमन ओला मार डारिन। ओह अऊ बहुंत झन ला पठोईस, पर ओमन कतको झन ला पीटिन अऊ कतको झन ला मार डारिन। अब ओकर करा सिरिप एक झन बांचिस, ओकर एके मयारू बेटा! आखिर म ओह ए सोचके ओला पठोईस कि ओमन मोर बेटा के आदर करहीं। पर जब ओ किसानमन ओला आवत देखिन, त एक-दूसर ला कहिन, ‘एह वारिस ए। आवव, एला मार डारी, तब अंगूर के बारी ह हमर हो जाही।’ अऊ ओमन ओला धरके मार डारिन अऊ अंगूर के बारी के बाहिर फटिक दीन।

तब अंगूर के बारी के मालिक ह का करही? ओह आके ओ किसानमन ला मार डारही अऊ अंगूर के बारी ला आने मन ला दे दिही। 10 का तुमन परमेसर के ए बचन ला नइं पढ़े हवव:

जऊन पथरा ला राज मिस्‍त्रीमन बेकार ठहराय रिहिन, ओहीच ह कोना के मुख पथरा हो गीस। 11 एह परभू के दुवारा होईस अऊ एह हमर नजर म अद्भूत ए।[a]

12 तब ओमन यीसू ला पकड़े बर चाहिन काबरकि ओमन समझ गे रहंय कि ओह ए पटं‍तर ओमन के बिरोध म कहे हवय। पर ओमन मनखेमन ले डर्रावत रिहिन। एकरसेति ओमन ओला छोंड़के चल दीन।

लगान देवई के बारे म सवाल

(मत्ती 22:15-22; लूका 20:20-26)

13 बाद म, ओमन यीसू ला गोठ म फंसाय बर कुछू फरीसी अऊ हेरोदी मन ला ओकर करा पठोईन। 14 ओमन आके ओकर ले कहिन, “हे गुरू! हमन जानत हवन कि तेंह सत मनखे अस। अऊ काकरो परवाह नइं करस, काबरकि तेंह मनखे के मुहूं देखके नइं गोठियावस, पर परमेसर के रसता ला सही-सही बताथस। हमन ए जाने बर चाहथन कि – का महाराजा ला लगान देवई सही ए या गलत? 15 हमन ला लगान देना चाही या नइं देना चाही?”

यीसू ह ओमन के कपट ला जानके ओमन ला कहिस, “तुमन काबर मोला फंसाय के कोसिस करत हव? मोर करा एक ठन चिल्‍हर पईसा लानव कि में देखंव।” 16 ओमन पईसा ला लानिन अऊ ओह ओमन ले पुछिस, “एम काकर मूरती अऊ नांव लिखाय हवय?”

ओमन कहिन, “महाराजा के।”

17 तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “जऊन ह महाराजा के अय, ओला महाराजा ला देवव अऊ जऊन ह परमेसर के अय, ओला परमेसर ला देवव।” एला सुनके ओमन अब्‍बड़ चकित हो गीन।

मरे मन के जी उठे के पाछू – बिहाव

(मत्ती 22:23-33; लूका 20:27-40)

18 तब सदूकी, जऊन मन कहिथंय कि मरे मन के जी उठई होवेच नइं, यीसू करा आके पुछिन, 19 “हे गुरू! मूसा ह हमर बर लिखे हवय कि कहूं काकरो भाई ह बिगर संतान के मर जावय अऊ ओकर बिधवा ह रहि जावय, त ओकर भाई ह ओ बिधवा ले बिहाव कर ले, अऊ अपन भाई बर संतान पैदा करय। 20 सात झन भाई रिहिन। पहिली भाई ह बिहाव करिस अऊ बिगर संतान के मर गीस। 21 तब दूसर भाई ह ओकर बिधवा ले बिहाव करिस अऊ ओह घलो बिगर संतान के मर गीस, अऊ वइसनेच तीसरा भाई घलो। 22 अइसने होईस कि सातों म के काकरो संतान नइं होईस अऊ ओमन मर गीन। सबले पाछू ओ माईलोगन घलो मर गीस। 23 तब जी उठे के बाद ओह काकर घरवाली होही? काबरकि ओह सातों भाईमन ले बिहाव करे रिहिस।”

24 यीसू ह ओमन ला कहिस, “का तुमन एकरसेति गलती म नइं हवव कि तुमन न तो परमेसर के बचन ला जानत हव अऊ न परमेसर के सक्ति ला। 25 जब मरे मन जी उठहीं, त ओमन न तो बिहाव करहीं अऊ न कोनो ओमन ले बिहाव करही। पर ओमन स्‍वरग म स्वरगदूतमन सहीं होहीं। 26 मरे मन के जी उठे के बारे म, का तुमन मूसा के किताब म बरत झाड़ी के बारे म नइं पढ़ेव? जिहां परमेसर ह मूसा ले कहिस, ‘मेंह अब्राहम के परमेसर अऊ इसहाक के परमेसर अऊ याकूब के परमेसर अंव।’[b] 27 परमेसर ह मुरदामन के नइं, पर जीयत मन के परमेसर अय। तुमन भारी गलती म परे हवव।”

सबले बड़े हुकूम

(मत्ती 22:34-40; लूका 10:25-28)

28 कानून के गुरूमन ले एक झन आके ओमन ला बहस करत सुनिस अऊ ए जानके कि यीसू ह ओमन ला सही जबाब दे हवय, ओह यीसू ले पुछिस, “सबले बड़े हुकूम कते ह अय?” 29 यीसू ह कहिस, “सबले बड़े हुकूम ए अय: हे इसरायल सुन! परभू हमर परमेसर ह एके झन परभू अय। 30 अऊ तें अपन परभू परमेसर ला अपन जम्मो हिरदय ले, अऊ अपन जम्मो परान ले, अऊ अपन जम्मो बुद्धि अऊ अपन जम्मो ताकत ले मया कर।[c] 31 अऊ दूसरा हुकूम ए अय कि तें अपन पड़ोसी ले अपन सहीं मया कर।[d] एकर ले बड़े अऊ कोनो हुकूम नइं ए।”

32 ओ मनखे ह कहिस, “तेंह बने कहय गुरू! तोर ए कहई सही अय कि परमेसर एके झन अय अऊ ओला छोंड़ कोनो दूसर परमेसर नइं ए। 33 ओला अपन जम्मो हिरदय अऊ अपन जम्मो समझ अऊ अपन जम्मो ताकत सहित मया करई अऊ अपन पड़ोसी ला अपन सहीं मया करई, जम्मो दान अऊ बलिदान ले बढ़ के अय।”

34 जब यीसू ह देखिस कि ओ मनखे ह समझके जबाब दे हवय, तब ओह ओला कहिस, “तेंह परमेसर के राज के लकठा म हवस।” अऊ ओकर बाद कोनो ओला कुछू पुछे के हिम्मत नइं करिन।

मसीह ह काकर बेटा अय?

(मत्ती 22:41-46; लूका 20:41-44)

35 जब यीसू ह मंदिर म उपदेस करत रिहिस, त पुछिस, “कानून के गुरूमन काबर कहिथें कि मसीह ह दाऊद के बेटा अय? 36 दाऊद ह खुदे पबितर आतमा म होके कहे हवय:

‘परभू परमेसर ह मोर परभू ले कहिस,
    “मोर जेवनी हांथ कोति बईठ,
जब तक कि मेंह तोर बईरीमन ला तोर गोड़ खाल्‍हे नइं कर देवंव।” ’[e]

37 दाऊद ह खुदे ओला परभू कहत हवय। तब मसीह ह ओकर बेटा कइसने होईस?”

भीड़ के मनखेमन ओकर गोठ ला बड़े खुसी से सुनत रिहिन।

38 यीसू ह अपन उपदेस म कहिस, “कानून के गुरूमन ले सचेत रहव, काबरकि ओमन ला महंगा ओन्ढा पहिरके बजार म घुमई अऊ जोहार झोंकई बने लगथे, 39 अऊ ओमन सभा के घर म ऊंचहा आसन अऊ जेवनार म आदर के ठऊर म बईठे बर पसंद करथें। 40 ओमन बिधवामन ला धोखा देथें, इहां तक कि ओमन के घर ला घलो हड़प लेथें, अऊ देखाय बर अब्‍बड़ बेर तक पराथना करथंय। अइसने मनखेमन बहुंत दंड पाहीं।”

गरीब बिधवा के दान

(लूका 21:1-4)

41 यीसू ह चढ़ौतरी के आघू म बईठके मनखेमन ला मंदिर के भंडार म दान चघावत देखत रिहिस। कतको धनवान मनखेमन अब्‍बड़ अकन पईसा ओम डारिन। 42 अतकी म एक झन गरीब बिधवा आईस अऊ “दू पईसा” डारिस।

43 यीसू ह अपन चेलामन ला बलाके कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ए गरीब बिधवा ह मंदिर के भंडार म सबले जादा डारे हवय। 44 ओ जम्मो झन अपन बढ़ती धन म ले दे हवंय, पर एह अपन गरीबी म जऊन कुछू ओकर करा रिहिस, ओ जम्मो ला चघा दीस, जेम ओकर गुजारा होवत रिहिस।”

संसार के अंत समय के चिन्‍हां

(मत्ती 24:1-2; लूका 21:5-6)

13 जब यीसू ह मंदिर ले निकरत रिहिस, तब ओकर चेलामन ले एक झन ओला कहिस, “हे गुरू! देख, कइसने सुन्‍दर-सुन्‍दर पथरा अऊ ओम ले बने सुन्‍दर-सुन्‍दर भवन।”

यीसू ह ओला कहिस, “तेंह जऊन बड़े-बड़े भवन ला देखत हवस? इहां एको ठन पथरा नइं बांचय; जम्मो ह गिराय जाही।”

जब यीसू ह जैतून पहाड़ ऊपर मंदिर कोति मुहूं करके बईठे रिहिस, तब पतरस, याकूब, यूहन्ना अऊ अन्द्रियास अलग म ओकर ले पुछिन, “हमन ला बता कि ए बातमन कब होही? अऊ जब ए बातमन पूरा होय के समय आही, तब ओ बखत का चिन्‍हां दिखही?”

यीसू ह ओमन ला कहिस, “सचेत रहव कि कोनो तुमन ला झन भरमावय। कतको झन मोर नांव म आके कहिहीं कि मेंह मसीह अंव, अऊ बहुंते झन ला भरमाहीं। जब तुमन लड़ई अऊ युद्ध के चरचा सुनव, त झन घबराहू काबरकि ए बात के होवई जरूरी ए, पर ओ बखत अंत नइं होवय। काबरकि देस ऊपर देस अऊ राज ऊपर राज चढ़ई करहीं। जगह-जगह म भुइंडोल होही अऊ अकाल पड़ही। एह लइका जने के पीरा के सुरूआत सहीं होही।

अपन बारे म सचेत रहव काबरकि मनखेमन तुमन ला धरके अदालत म ले जाहीं अऊ तुमन ला यहूदीमन के सभा घर म पीटहीं। मोर खातिर तुमन हाकिम, अऊ राजामन के आघू म ठाढ़ होहू कि ओमन ला मोर गवाही देवव। 10 अऊ एह जरूरी ए कि सुघर संदेस ह पहिली जम्मो देस म मनखेमन ला परचार करे जावय। 11 जब ओमन तुमन ला पकड़के अदालत म ले जावंय, तब आघू ले फिकर झन करहू कि हमन का कहिबो। पर जऊन कुछू तुमन ला ओ घड़ी बताय जाथे, ओही कहव काबरकि बोलइया तुमन नइं, पर पबितर आतमा अय।

12 ओ समय भाई ह भाई ला अऊ बाप ह बेटा ला मरवाय बर दूसर के हांथ म सऊंपही अऊ लइकामन अपन दाई-ददा के बिरोध म होके ओमन ला मरवाय बर दूसर के हांथ म सऊंपहीं। 13 मोर खातिर, जम्मो मनखेमन तुमन ले बईरता करहीं, पर जऊन ह आखिरी तक धीरज धरे रहिही, ओही ह उद्धार पाही।

14 जब तुमन बिनासकारी अब्‍बड़ घिन मनखे ला उहां ठाढ़े देखव जिहां ओकर होना उचित नो हय – पढ़इया ह समझ ले – तब जऊन मन यहूदिया म होवंय, ओमन पहाड़ ऊपर भाग जावंय। 15 जऊन मनखे ह अपन घर के छानी म होवय, ओह घर के भीतरी ले कुछू लाने बर झन उतरय। 16 अऊ जऊन ह खेत म होवय, ओह अपन ओढ़ना लाने बर झन लहुंटय। 17 ओ दिन म जऊन माईलोगनमन आसरा (पेट) म होहीं अऊ जऊन दाईमन लइकामन ला गोरस पीयावत होहीं, ओमन खातिर हाय-हाय। 18 परमेसर ले बिनती करत रहव कि एह जड़काला म झन होवय। 19 काबरकि ओ दिनमन म अइसने बिपत्ती आही कि जब ले परमेसर ह संसार ला रचे हवय, तब ले लेके अब तक न तो अइसने होय हवय अऊ न कभू फेर होही। 20 अऊ कहूं परभू ह ओ दिनमन ला घटाय नइं होतिस, त कोनो जीवमन नइं बांचतिन। पर अपन चुने मनखेमन के खातिर, ओह ओ दिनमन ला घटाईस। 21 ओ बखत कहूं कोनो तुमन ला ए कहय कि देखव मसीह ह इहां हवय, या देखव मसीह ह उहां हवय, त बिसवास झन करहू। 22 काबरकि लबरा मसीह अऊ लबरा अगमजानीमन परगट होहीं अऊ अइसने चिन्‍हां अऊ चमतकार देखाहीं कि कहूं हो सकय, त चुने मनखेमन ला घलो भरमा देवंय। 23 एकरसेति सचेत रहव। मेंह तुमन ला जम्मो बात आघू ले बता दे हवंव।”

मनखे के बेटा के अवई

(मत्ती 24:29-31; लूका 21:25-28)

24 “ओ बिपत पड़े के बाद,
    ओ दिनमन म सूरज ह अंधियार हो जाही अऊ चंदा ह अपन अंजोर नइं दिही।
25 अऊ अकास के जम्मो सक्तिमन हलाय जाहीं अऊ तारामन गिर जाहीं।[f]

26 तब मनखेमन मनखे के बेटा ला अब्‍बड़ सक्ति अऊ महिमा के संग बादर म आवत देखहीं। 27 अऊ ओह अपन स्वरगदूतमन ला पठोके धरती के ए छोर ले लेके धरती के ओ छोर तक – चारों दिग ले, अपन चुने मनखेमन ला संकेलही।

28 अंजीर के रूख ले ए बात सिखव। जब ओकर डंगालीमन कोंवर हो जाथें अऊ पानामन निकरे लगथें, तब तुमन जान लेथव कि धूपकाला ह लकठा म हवय। 29 ओही किसम ले जब तुमन ए बातमन ला होवत देखव, त जान लेवव कि समय ह लकठा म आ गे हवय अऊ सुरू होवइयाच हवय। 30 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए बातमन नइं हो लिहीं, तब तक ए पीढ़ी के मनखेमन नइं मरंय। 31 अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बचन ह कभू नइं टरय।”

ओ दिन अऊ समय ह अनजान

(मत्ती 24:36-44)

32 “ओ दिन अऊ समय के बारे म कोनो नइं जानंय, न स्‍वरग के दूतमन, न बेटा, पर ओला सिरिप ददा जानथे। 33 सचेत अऊ सावधान रहव काबरकि तुमन नइं जानव कि ओ समय ह कब आही। 34 एह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जाथे अऊ जाय के पहिली अपन घर ला अपन सेवकमन के भरोसा म छोंड़के ओमन ला अपन-अपन काम बता देथे अऊ घर के चौकीदार ला सचेत रहे के हुकूम देथे।

35 ए खातिर सचेत रहव काबरकि तुमन नइं जानत हव कि घर के मालिक ह कब आ जाही, संझा बखत या आधा रतिहा या कुकरा बासत या बड़े बिहनियां। 36 अइसने झन होवय कि ओह अचानक आवय अऊ तुमन ला सुतत पावय। 37 जऊन बात मेंह तुमन ला कहत हंव, ओहीच बात मेंह जम्मो झन ला कहत हंव – सचेत रहव।”

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