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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
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1 कुरिन्‍थुस 14:20-33

20 हे भाईमन हो, अपन सोच-समझ म, लइकामन सहीं झन बनव। बुरई के बात म छोटे लइका सहीं बने रहव, पर अपन सोच-समझ म सियान बनव। 21 मूसा के कानून म लिखे हवय:

“परभू ह कहिथे,
    ‘अनजान भासा बोलइया मनखे के जरिये अऊ
परदेसी मनखेमन के जरिये
    मेंह मनखेमन ले गोठियाहूं।’[a]

22 अनजान भासा ह बिसवासीमन बर नइं, पर अबिसवासीमन बर एक चिन्‍हां अय, जबकि अगमबानी ह अबिसवासीमन बर नइं, पर बिसवासीमन बर चिन्‍हां ए। 23 एकरसेति कहूं जम्मो कलीसिया एक जगह जुरथे अऊ हर एक जन अनजान भासा म गोठियाय लगथे; तब कहूं कुछू बाहिर के मनखे या फेर कुछू अबिसवासी मनखे उहां आथें, त का ओमन ए नइं कहिहीं कि तुम्‍हर दिमाग ह खराप हो गे हवय? 24 पर यदि जम्मो झन अगमबानी करे लगंय अऊ कोनो अबिसवासी या फेर कोनो बाहिर के मनखे उहां आ जावय, त उहां जऊन कुछू सुनथे, ओकर दुवारा ओला बिसवास हो जाही कि ओह एक पापी मनखे ए, अऊ जऊन कुछू ओह सुनथे, ओकर दुवारा ओह परखे जाही, 25 अऊ ओकर मन के भेद ह खुल जाही। तब ओह माड़ी के भार गिरके परमेसर के अराधना करही अऊ चिचियाके कहिही, “परमेसर ह सही म तुम्‍हर बीच म हवय।”

सही ढंग ले अराधना करई

26 हे भाईमन हो, तब हमन ला का करना चाही? जब तुमन एक जगह म जूरथव, त हर एक जन करा एक भजन या निरदेस, परमेसर के बात के परकासन, अनजान भासा या अनजान भासा के अर्थ बताय के गुन रहिथे। ए जम्मो चीज कलीसिया के बढ़ोतरी बर होना चाही। 27 यदि कोनो अनजान भासा म गोठियाथे, त दू झन या जादा से जादा तीन झन एक-एक करके बोलंय, अऊ कोनो एक झन ओकर अर्थ ला जरूर बतावय। 28 यदि कोनो अर्थ बतइया नइं ए, त अनजान भासा म बात करइया ला कलीसिया म चुप रहना चाही, अऊ ओला अपन-आप ले अऊ परमेसर ले बात करना चाही।

29 अगमजानीमन के दू या तीन झन बोलंय अऊ आने मन ओमन के बात ला परखें। 30 अऊ जऊन मन उहां बईठे हवंय, यदि ओम के कोनो ला परमेसर ले कोनो संदेस मिलथे, त जऊन ह गोठियावत हवय, ओह चुप हो जावय। 31 काबरकि तुमन जम्मो झन एक-एक करके अगमबानी कर सकथव ताकि हर एक जन ह सिखय अऊ उत्साहित होवय। 32 अगमजानीमन के आतमा ला अगमजानीमन के अधीन रहना चाही। 33 काबरकि परमेसर ह गड़बड़ी के परमेसर नो हय, पर सांति के परमेसर अय।

जइसने कि पबितर मनखेमन के जम्मो कलीसिया म हवय,

1 कुरिन्‍थुस 14:39-40

39 एकरसेति, हे मोर भाईमन हो, अगमबानी करे बर उत्सुक रहव, अऊ जऊन ह अनजान भासा म गोठियाथे, ओला मना झन करव। 40 पर हर एक चीज उचित ढंग अऊ तरिका ले करे जावय।

मरकुस 9:42-50

दूसर ला पाप म फंसई

(मत्ती 18:6-9; लूका 17:1-2)

42 “अऊ ए छोटे मन, जऊन मन मोर ऊपर बिसवास करथें, कहूं कोनो एमन के पाप म परे के कारन बनथे, त ओकर बर बने होतिस कि एक ठन बड़े चकिया के पथरा ला ओकर घेंच म बांधके ओला समुंदर म फटिक दिये जावय। 43-44 कहूं तोर हांथ ह तोर ले पाप करवाथे, त ओला काट डार। ठुठुवा होके सदाकाल के जिनगी म परवेस करई ह बने अय, एकर बनिस‍पत कि दूनों हांथ के रहत, तोला नरक के आगी म डारे जावय, जऊन ह कभू नइं बुथावय। 45 अऊ कहूं तोर गोड़ ह तोर ले पाप करवाथे, त ओला काट डार। 46 तोर बर ए बने होही कि तेंह खोरवा होके सदाकाल के जिनगी म परवेस कर, एकर बनिस‍पत कि दूनों गोड़ के रहत, तोला नरक म डारे जावय। 47 अऊ कहूं तोर आंखी ह तोर ले पाप करवाथे, त ओ आंखी ला निकार दे। तोर बर ए बने होही कि कनवां होके परमेसर के राज म परवेस कर, एकर बनिस‍पत कि दूनों आंखी के रहत, तोला नरक म डारे जावय, 48 जिहां कीरा ह कभू नइं मरय अऊ आगी ह कभू नइं बुथावय।[a] 49 काबरकि हर एक मनखे आगी के दुवारा नूनचूर करे जाही।

50 नून ह बने ए। पर कहूं एह अपन सुवाद ला गंवा देथे, त तुमन एला फेर कइसने नूनचूर कर सकथव? एकर खातिर सुध जिनगी जीये के दुवारा अपन म नून के सुवाद रखव, अऊ एक-दूसर के संग मिल जुरके रहव।”

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)

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