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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
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रोमीमन 11:33-12:2

परमेसर के इस्तुति

33 अहा! परमेसर के धन, बुद्धि अऊ गियान ह कतेक अथाह अय!
    ओकर सहीं नियाय कोनो नइं कर सकंय,
    अऊ ओकर काम करे के तरिका ला कोनो नइं जान सकंय!
34 “परभू के मन के बिचार ला कोनो नइं जान सकंय।
    अऊ कोनो ओला सलाह देय के लइक नो हंय।”[a]
35 “आज तक परमेसर ला कोनो कुछू
    नइं दे हवंय कि परमेसर ह ओला वापिस देवय।”[b]
36 काबरकि जम्मो चीज ह परमेसर ले आय हवय, अऊ ओकर दुवारा बनाय गे हवय अऊ ओकर खातिर बनाय गे हवय।
    ओकर महिमा सदाकाल तक होवत रहय! आमीन।

परमेसर के सेवा म जिनगी

12 एकरसेति, हे भाईमन हो! परमेसर के दया के कारन, मेंह तुम्‍हर ले बिनती करत हंव कि अपन-आप ला जीयत बलिदान के रूप म परमेसर ला दे दव अऊ अपन-आप ला निस्कलंक बनाके परमेसर के अइसने सेवा करव कि ओह खुस होवय – एहीच ह परमेसर बर तुम्‍हर सही अराधना अय। तुमन ए संसार के मनखेमन सहीं झन बनव, पर तुमन के मन ह नवां हो जाय के कारन, तुम्‍हर चाल-चलन घलो बदल जावय। तब तुमन परमेसर के ओ ईछा ला परखके जान सकहू जऊन ह बने, मन-भावन अऊ सिद्ध अय।

मत्ती 25:14-30

सिक्‍कामन के पटं‍तर

(लूका 19:11-27)

14 “स्‍वरग के राज ह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जावत बेरा अपन सेवकमन ला बलाईस अऊ ओमन ला अपन संपत्ति सऊंप दीस। 15 हर एक ला ओह ओमन के काबिलियत के मुताबिक दीस; एक सेवक ला ओह पांच सिक्‍का, दूसर ला दू सिक्‍का अऊ तीसरा ला एक सिक्‍का दीस। अऊ तब ओह परदेस चल दीस[a] 16 जऊन सेवक ला पांच सिक्‍का मिले रिहिस, ओह तुरते गीस अऊ ओ सिक्‍का ले लेन-देन करके पांच सिक्‍का अऊ कमा लीस। 17 वइसने जऊन सेवक ला दू सिक्‍का मिले रिहिस, ओह घलो दू सिक्‍का अऊ कमाईस। 18 पर जऊन सेवक ला एक ठन सिक्‍का मिले रिहिस, ओह गीस अऊ भुइयां ला खन के अपन मालिक के पईसा ला उहां लुका दीस।

19 बहुंत समय के बाद, ओ सेवकमन के मालिक ह लहुंटिस अऊ ओमन ले हिसाब मांगिस। 20 जऊन सेवक ला पांच सिक्‍का मिले रिहिस, ओह पांच सिक्‍का अऊ लेके आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला पांच सिक्‍का देय रहय। देख, मेंह पांच सिक्‍का अऊ कमाय हवंव।’

21 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’

22 जऊन सेवक ला दू सिक्‍का मिले रिहिस, ओह घलो आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला दू ठन सिक्‍का देय रहय। देख, मेंह दू ठन सिक्‍का अऊ कमाय हवंव।’

23 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’

24 तब जऊन सेवक ला एक सिक्‍का मिले रिहिस, ओह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, मेंह जानत रहेंव कि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह जिहां नइं बोए रहस, उहां ले लूथस, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहस, उहां ले संकेलथस। 25 एकरसेति मेंह डर्रा गेंव अऊ बाहिर जाके मेंह तोर सिक्‍का ला भुइयां म गड़िया देंव; ए हवय तोर सिक्‍का।’

26 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘दुस्‍ट अऊ अलाल सेवक! जब तेंह जानत रहय कि जिहां मेंह नइं बोए रहंव, उहां ले लूथंव, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहंव, उहां ले संकेलथंव। 27 त तोला मोर पईसा ला साहूकारमन के इहां जमा कर देना रिहिस, ताकि जब मेंह वापिस आयेंव, त ओला बियाज सहित ले लेतेंव।’

28 मालिक ह अपन आने सेवकमन ला कहिस, ‘ए सिक्‍का ला एकर ले लेय लव, अऊ ओला दे दव, जेकर करा दस ठन सिक्‍का हवय। 29 काबरकि जेकर करा हवय ओला अऊ देय जाही अऊ ओकर करा बहुंत हो जाही; पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओला घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा हवय। 30 ए बेकार सेवक ला बाहिर अंधियार म फटिक दव, जिहां ओह रोही अऊ अपन दांत पीसही।’ ”

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)

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