Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
25 एकरसेति, लबारी गोठियाय ला छोंड़ देवव अऊ तुमन ले हर एक झन अपन पड़ोसी ले सच गोठियावय, काबरकि हमन जम्मो झन एके देहें के सदस्य अन। 26 गुस्सा त करव, फेर पाप झन करव; सूरज के बुड़त के पहिली अपन गुस्सा ला थूक देवव। 27 अऊ सैतान ला कोनो मऊका झन देवव। 28 जऊन ह चोरी करथे, ओह अब चोरी झन करय, पर ईमानदारी के काम म अपन हांथ ले मिहनत करय; ताकि जऊन मन ला जरूरत हवय, ओमन ला देय बर ओकर करा कुछू रहय।
29 तुम्हर मुहूं ले कोनो खराप बात झन निकरय, पर सिरिप ओहीच बात निकरय, जऊन ह जरूरत के मुताबिक आने मन के बढ़ती म मददगार होथे, ताकि जऊन मन सुनंय, ओमन ला एकर ले फायदा होवय। 30 अऊ परमेसर के पबितर आतमा ला उदास झन करव, जेकर दुवारा तुम्हर ऊपर ओ दिन बर मुहर लगे हवय, जब पाप ले मुक्ति होही। 31 जम्मो किसम के करू बात, रोस, गुस्सा, कलह, निन्दा अऊ जम्मो किसम के बईरता ला छोंड़ देवव। 32 एक-दूसर के ऊपर दया अऊ किरपा करव, अऊ जइसने परमेसर ह मसीह म तुमन ला छेमा करिस, वइसने तुमन घलो एक-दूसर ला छेमा करव।
5 एकरसेति, मयारू लइकामन सहीं परमेसर के अनुकरन (नकल) करव, 2 अऊ मया के जिनगी जीयव, जइसने मसीह ह हमन ला मया करिस अऊ अपन-आप ला हमर बर महकत भेंट अऊ बलिदान के रूप म परमेसर ला दे दीस।
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.