Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
14 किन्तु तुम स्वयं उन शिक्षाओं में, जो तुमने प्राप्त कीं तथा जिनकें विषय में तुम आश्वस्त हो चुके हो, स्थिर रहो, यह याद रखते हुए कि किन्होंने तुम्हें ये शिक्षाएं दी हैं. 15 यह भी कि बचपन से तुम पवित्र अभिलेखों से परिचित हो, जो तुम्हें वह बुद्धिमता देने में समर्थ हैं, जिससे मसीह येशु में विश्वास के द्वारा उद्धार प्राप्त होता है. 16 सारा पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है. यह शिक्षा देने, गलत धारणाओं का विरोध करने, दोष-सुधार तथा धार्मिकता की शिक्षा के लिए सही है 17 कि परमेश्वर का जन पूरी तरह से हर एक अच्छे कार्य के लिए सुसज्जित पाया जाए.
4 मैं परमेश्वर तथा मसीह येशु की उपस्थिति में, जो जीवितों तथा मरे हुओं का न्याय करेंगे तथा उनके दोबारा आगमन तथा उनके राज्य के विषय को ध्यान में रखते हुए तुम्हें चेतावनी देता हूँ: 2 वचन का प्रचार करो. समय अनुकूल हो या प्रतिकूल, हमेशा तैयार रहो, अत्यन्त धीरज के साथ तथा शिक्षा के लक्ष्य से गलत धारणाओं का विरोध करो, कर्तव्य का अहसास कराओ तथा प्रोत्साहित करो, 3 क्योंकि एक ऐसा समय आएगा जब वे खरी शिक्षाओं को सह न सकेंगे. वे अपनी लालसा पूरी करने के लिए ऐसे उपदेशकों को इकट्ठा करेंगे, जो उन्हें सिर्फ कानों को अच्छा लगने वाले उपदेश देंगे. 4 एक ओर तो वे सच्चाई से कान फेर लेंगे तथा दूसरी ओर कहानियों पर ध्यान लगाएँगे 5 परन्तु तुम इन सब विषयों में सावधान रहना; कठिनाइयाँ सह लेना; ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचारक का काम करना; अपनी सेवकाई को पूरा करना.
दुराग्रही विधवा
18 तब मसीह येशु ने शिष्यों को यह समझाने के उद्देश्य से कि हतोत्साहित हुए बिना निरन्तर प्रार्थना करते रहना ही सही है, यह दृष्टान्त प्रस्तुत किया. 2 “किसी नगर में एक न्यायाधीश था. वह न तो परमेश्वर से डरता था और न किसी को कुछ समझता था. 3 उसी नगर में एक विधवा भी थी, जो बार-बार उस न्यायाधीश के पास ‘आकर विनती करती थी कि उसे न्याय दिलाया जाए.’
4 “कुछ समय तक तो वह न्यायाधीश उसे टालता रहा किन्तु फिर उसने मन में विचार किया, ‘यद्यपि मैं न तो परमेश्वर से डरता हूँ और न लोगों से प्रभावित होता हूँ 5 फिर भी यह विधवा आ-आकर मेरी नाक में दम किए दे रही है. इसलिए उत्तम यही होगा कि मैं इसका न्याय कर ही दूँ कि यह बार-बार आ कर मेरी नाक में दम तो न करे.’”
6 प्रभु ने आगे कहा, “उस अधर्मी न्यायाधीश के शब्दों पर ध्यान दो कि उसने क्या कहा. 7 तब क्या परमेश्वर अपने उन चुने हुओं का न्याय न करेंगे, जो दिन-रात उनके नाम की दोहाई दिया करते हैं? क्या वह उनके सम्बन्ध में देर करेंगे? 8 सच मानो, परमेश्वर बिना देर किए उनके पक्ष में सक्रिय हो जाएँगे. फिर भी, क्या मनुष्य के पुत्र के पुनरागमन पर विश्वास बना रहेगा?”
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