Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
वाचा की कुमुदिनी धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीता।
1 हे इस्राएल के चरवाहे, तू मेरी सुन ले।
तूने यूसुफ के भेड़ों (लोगों) की अगुवाई की।
तू राजा सा करूब पर विराजता है।
हमको निज दर्शन दे।
2 हे इस्राएल के चरवाहे, एप्रैम, बिन्यामीन और मनश्शे के सामने तू अपनी महिमा दिखा,
और हमको बचा ले।
8 प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
9 तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11 इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।
12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
16 तेरी दाखलता को सूखे हुए उपलों सा आग में जलाया गया।
तू इससे क्रोधित था और तूने उजाड़ दिया।
17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।
5 हे याकूब के परिवार, तू यहोवा का अनुसरण कर।
6 हे यहोवा! तूने अपने लोगों का त्याग कर दिया है। तेरे लोग पूर्व के बुरे विचारों से भर गये हैं। तेरे लोग पलिश्तियों के समान भविष्य बताने का यत्न करने लगे हैं। तेरे लोगों ने पूरी तरह से उन विचित्र विचारों को स्वीकार कर लिया है। 7 तेरे लोगों की धरती दूसरे देशों के सोने चाँदी से भर गयी है। वहाँ अनगिनत खजाने हैं। तेरे लोगों की धरती घोड़ों से भरपूर हैं। वहाँ बहुत सारे रथ भी हैं। 8 उनकी धरती पर मूर्तियाँ भरी पड़ी हैं, लोग जिनकी पूजा करते हैं। लोगों ने ही इन मूर्तियों को बनाया है और वे ही उन की पूजा करते हैं। 9 लोग बुरे से बुरे हो गये हैं। लोग बहुत नीच हो गये हैं। हे परमेश्वर, निश्चय ही तू उन्हें क्षमा नहीं करेगा, क्या तू ऐसा करेगा परमेश्वर के शत्रु भयभीत होंगे
10 जा, कहीं किसी गक़े में या किसी चट्टान के पीछे छुप जा! तू परमेश्वर से डर और उसकी महान शक्ति के सामने से ओझल हो जा!
11 अहंकारी लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। अहंकारी लोग धरती पर लाज से सिर नीचे झुका लेंगे। उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे स्थान पर विराजमान होगा।
मसीह से मुँह मत फेरो
26 सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता। 27 बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी। 28 जो कोई मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करने से मना करता है, उसे बिना दया दिखाए दो या तीन साक्षियों की साक्षी पर मार डाला जाता है। 29 सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। 30 क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने कहा था: “बदला लेना काम है मेरा, मैं ही बदला लूँगा।”(A) और फिर, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।”(B) 31 किसी पापी का सजीव परमेश्वर के हाथों में पड़ जाना एक भयानक बात है।
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