Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
तार के वाद्यों के संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे परमेश्वर, मेरा प्रार्थना गीत सुन।
मेरी विनती सुन।
2 जहाँ भी मैं कितनी ही निर्बलता में होऊँ,
मैं सहायता पाने को तुझको पुकारूँगा!
जब मेरा मन भारी हो और बहुत दु:खी हो,
तू मुझको बहुत ऊँचे सुरक्षित स्थान पर ले चल।
3 तू ही मेरा शरणस्थल है!
तू ही मेरा सुदृढ़ गढ़ है, जो मुझे मेरे शत्रुओं से बचाता है।
4 तेरे डेरे में, मैं सदा सदा के लिए निवास करूँगा।
मैं वहाँ छिपूँगा जहाँ तू मुझे बचा सके।
5 हे परमेश्वर, तूने मेरी वह मन्नत सुनी है, जिसे तुझ पर चढ़ाऊँगा,
किन्तु तेरे भक्तों के पास हर वस्तु उन्हें तुझसे ही मिली है।
6 राजा को लम्बी आयु दे।
उसको चिरकाल तक जीने दे!
7 उसको सदा परमेश्वर के साथ में बना रहने दे!
तू उसकी रक्षा निज सच्चे प्रेम से कर।
8 मैं तेरे नाम का गुण सदा गाऊँगा।
उन बातों को करूँगा जिनके करने का वचन मैंने दिया है।
दाऊद परमेश्वर से प्रार्थना करता है
18 तब राजा दाऊद भीतर गया और यहोवा के सामने बैठ गया। दाऊद ने कहा,
“यहोवा, मेरे स्वामी, मैं तेरे लिये इतना महत्वपूर्ण क्यों हूँ? मेरा परिवार महत्वपूर्ण क्यों है? तूने मुझे महत्वपूर्ण क्यों बना दिया। 19 मैं तेरे सेवक के अतिरिक्त और कुछ नहीं हूँ, और तू मुझ पर इतना अधिक कृपालु रहा है। किन्तु तूने ये कृपायें मेरे भविष्य के पिरवार के लिये भी करने को कहा है। यहोवा मेरे स्वामी, तू सदा लोगों के लिये ऐसी ही बातें नहीं कहता, क्या तू कहता है? 20 मैं तुझसे और अधिक, क्या कह सकता हूँ? यहोवा, मेरे स्वामी, तू जानता है कि मैं केवल तेरा सेवक हूँ। 21 तूने ये अद्भुत कार्य इसलिये किया है क्योंकि तूने कहा है कि तू इनको करेगा और क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसे तू करना चाहता है, और तूने निश्चय किया है कि मैं इन बड़े कार्यों को जानूँ। 22 हे यहोवा! मेरे स्वामी यही कारण है कि तू महान है! तेरे समान कोई नहीं है। तेरी तरह कोई देवता नहीं है। हम यह जानते हैं क्योंकि हम लोगों ने स्वयं यह सब सुना है। उन कार्यों के बारे में जो तूने किये।
23 “तेरे इस्राएल के लोगों की तरह पृथ्वी पर कोई राष्ट्र नहीं है। ये विशेष लोग हैं। वे दास थे। किन्तु तूने उन्हें मिस्र से निकाला और उन्हें स्वतन्त्र किया। तूने उन्हें अपने लोग बनाया। तूने इस्राएलियों के लिये महान और अद्भुत काम किये। तूने अपने देश के लिये आश्चर्यजनक काम किये। 24 तूने इस्राएल के लोगों को सदा के लिये अपने लोग बनाया, और यहोवा तू उनका परमेश्वर हुआ।
25 “यहोवा परमेश्वर, तूने अभी, मेरे बारे में बातें कीं। मैं तेरा सेवक हूँ। तूने मेरे परिवार के बारे में भी बातें कीं। अपने वचनों को सदा सत्य कर जो तूने करने की प्रतिज्ञा की है। मेरे परिवार को राजाओं का परिवार हमेशा के लिये बना। 26 तब तेरा नाम सदा सम्मानित रहेगा, और लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर इस्राएल पर शासन करता है और होने दे कि तेरे सेवक दाऊद का परिवार तेरे सामने सदा चलता रहे।’
27 “सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर, तूने मुझे बहुत कुछ दिखाया है। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा।’ यही कारण है कि मैं तेरे सेवक ने, तेरे प्रति यह प्रार्थना करने का निश्चय किया। 28 यहोवा मेरे स्वामी, तू परमेश्वर है और तेरे कथन सत्य होते हैं और तूने इस अपने सेवक के लिये, यह अच्छी चीज का वचन दिया है। 29 कृपया मेरे परिवार को आशीष दे। हे यहोवा! हे स्वामी! जससे वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे। तूने ये ही वचन दिया था। अपने आशीर्वाद से मेरे परिवार को सदा के लिये आशीष दे।”
17 अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।
18 हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है। 19 मैं विशेष रूप से आग्रह करता हूँ कि तुम प्रार्थना किया करो ताकि शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आ सकूँ।
20 जिसने भेड़ों के उस महान रखवाले हमारे प्रभु यीशु के लहू द्वारा उस सनातन करार पर मुहर लगाकर मरे हुओं में से जिला उठाया, वह शांतिदाता परमेश्वर 21 तुम्हें सभी उत्तम साधनों से सम्पन्न करे। जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी कर सको। और यीशु मसीह के द्वारा वह हमारे भीतर उस सब कुछ को सक्रिय करे जो उसे भाता है। युग-युगान्तर तक उसकी महिमा होती रहे। आमीन!
22 हे भाईयों, मेरा आग्रह है कि तुम प्रेरणा देने वाले मेरे इस वचन को धारण करो मैंने तुम्हें यह पत्र बहुत संक्षेप में लिखा है। 23 मैं चाहता हूँ कि तुम्हें ज्ञात हो कि हमारा भाई तीमुथियुस रिहा कर दिया गया है। यदि वह शीघ्र ही आ पहुँचा तो मैं उसी के साथ तुमसे मिलने आऊँगा।
24 अपने सभी अग्रणियों और संत जनों को नमस्कार कहना। इटली से आये लोग तुम्हें नमस्कार भेजते हैं।
25 परमेश्वर का अनुग्रह तुम सबके साथ रहे।
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