Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आभार व्यक्ति तथा प्रार्थना
3 जब-जब मैं तुम्हें याद करता हूँ, अपने परमेश्वर का आभार मानता हूँ 4 और आनन्दपूर्वक अपनी हर एक प्रार्थना में तुम सब के लिए हमेशा परमेश्वर से सहायता की विनती करता हूँ, 5 क्योंकि तुम प्रारम्भ ही से अब तक ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहभागी रहे हो. 6 मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि परमेश्वर ने तुम में जो उत्तम काम प्रारम्भ किया है, वह उसे मसीह येशु के दिन तक पूरा कर देंगे.
7 तुम्हारे लिए मेरी यह भावना सही ही है क्योंकि मेरे हृदय में तुम्हारा विशेष स्थान है. यह इसलिए कि मेरी बेड़ियों में तथा ईश्वरीय सुसमाचार की रक्षा और प्रमाण की प्रक्रिया में तुम सब अनुग्रह में मेरे सहभागी रहे हो. 8 इस विषय में परमेश्वर मेरे गवाह हैं कि मसीह येशु की सुकुमार करुणा में तुम्हारे लिए मैं कितना लालायित हूँ.
9 मेरी प्रार्थना यह है कि तुम्हारा प्रेम वास्तविक ज्ञान और विवेक में और भी अधिक समृद्ध होता जाए 10 ताकि तुम्हारी सहायता हो वह सब पहचान सकने में, जो सर्वश्रेष्ठ है, जिससे तुम मसीह के दिन तक सच्चे और निष्कलंक रह सको. 11 तथा मसीह येशु के द्वारा प्रभावी धार्मिकता से परमेश्वर की महिमा और स्तुति के लिए फल लाओ.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.