Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आरोहण गीत।
1 जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
जैसे कोई सपना हो!
2 हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
“यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
3 दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।
4 हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
5 जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
6 हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।
इस्राएल के लोगों द्वारा अपने पापों का अंगीकार
9 फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली। 2 वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया। 3 वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था के विधान की पुस्तक का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया।
4 फिर लेवीवंशी येशू, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी सीढ़ियों पर खड़े हो गये और उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारा। 5 इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो!
“परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा!
लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की!
सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा!
6 तू तो परमेश्वर है! यहोवा,
बस तू ही परमेश्वर है!
आकाश को तूने बनाया है! सर्वोच्च आकाशों की रचना की तूने,
और जो कुछ है उनमें सब तेरा बनाया है!
धरती की रचना की तूने ही,
और जो कुछ धरती पर है!
सागर को,
और जो कुछ है सागर में!
तूने बनाया है हर किसी वस्तु को जीवन तू देता है!
सितारे सारे आकाश के, झुकते हैं सामने तेरे और उपासना करते हैं तेरी!
7 यहोवा परमेश्वर तू ही है,
अब्राम को तूने चुना था।
राह उसको तूने दिखाई थी,
बाबेल के उर से निकल जाने की तूने ही बदला था।
उसका नाम और उसे दिया नाम इब्राहीम का।
8 तूने यह देखा था कि वह सच्चा और निष्ठावान था तेरे प्रति।
कर लीया तूने साथ उसके वाचा एक
उसे देने को धरती
कनान की वचन दिया तूने धरती, जो हुआ करती थी हित्तियों की और एमोरीयों की।
धरती, जो हुआ करती थी परिज्जियों, यबूसियों और गिर्गाशियों की!
किन्तु वचन दिया तूने उस धरती को देने का इब्राहीम की संतानों को
और अपना वचन वह पूरा किया तूने क्यों? क्योंकि तू उत्तम है।
बारह प्रेरितों का चुना जाना
(मत्ती 10:1-4; मरकुस 3:13-19)
12 उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु प्रार्थना करने के लिये एक पहाड़ पर गया और सारी रात परमेश्वर की प्रार्थना करते हुए बिता दी। 13 फिर जब भोर हुई तो उसने अपने अनुयायियों को पास बुलाया। उनमें से उसने बारह को चुना जिन्हें उसने “प्रेरित” नाम दिया:
14 शमौन (जिसे उसने पतरस भी कहा)
और उसका भाई अन्द्रियास,
याकूब और
यूहन्ना,
फिलिप्पुस,
बरतुलमै,
15 मत्ती,
थोमा,
हलफ़ई का बेटा याकूब, और
शमौन जिलौती;
16 याकूब का बेटा यहूदा, और
यहूदा इस्करियोती (जो विश्वासघाती बना।)
यीशु का लोगों को उपदेश देना और चंगा करना
(मत्ती 4:23-25; 5:1-12)
17 फिर यीशु उनके साथ पहाड़ी से नीचे उतर कर समतल स्थान पर आ खड़ा हुआ। वहीं उसके शिष्यों की भी एक बड़ी भीड़ थी। साथ ही समूचे यहूदिया, यरूशलेम, सूर और सैदा के सागर तट से अनगिनत लोग वहाँ आ इकट्ठे हुए। 18 वे उसे सुनने और रोगों से छुटकारा पाने वहाँ आये थे। जो दुष्टात्माओं से पीड़ित थे, वे भी वहाँ आकर अच्छे हुए। 19 समूची भीड़ उसे छू भर लेने के प्रयत्न में थी क्योंकि उसमें से शक्ति निकल रही थी और उन सब को निरोग बना रही थी!
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