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यीशु का उपदेश

(लूका 6:20-23)

यीशु ने जब यह बड़ी भीड़ देखी, तो वह एक पहाड़ पर चला गया। वहाँ वह बैठ गया और उसके अनुयायी उसके पास आ गये। तब यीशु ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा:

“धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं,
    स्वर्ग का राज्य उनके लिए है।
धन्य हैं वे जो शोक करते हैं,
    क्योंकि परमेश्वर उन्हें सांत्वना देता है
धन्य हैं वे जो नम्र हैं
    क्योंकि यह पृथ्वी उन्हीं की है।
धन्य हैं वे जो नीति के प्रति भूखे और प्यासे रहते हैं!
    क्योंकि परमेश्वर उन्हें संतोष देगा, तृप्ति देगा।
धन्य हैं वे जो दयालु हैं
    क्योंकि उन पर दया गगन से बरसेगी।
धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं
    क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।
धन्य हैं वे जो शान्ति के काम करते हैं।
    क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे।
10 धन्य हैं वे जो नीति के हित में यातनाएँ भोगते हैं।
    स्वर्ग का राज्य उनके लिये ही है।

11 “और तुम भी धन्य हो क्योंकि जब लोग तुम्हारा अपमान करें, तुम्हें यातनाएँ दें, और मेरे लिये तुम्हारे विरोध में तरह तरह की झूठी बातें कहें, बस इसलिये कि तुम मेरे अनुयायी हो, 12 तब तुम प्रसन्न रहना, आनन्द से रहना, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें इसका प्रतिफल मिलेगा। यह वैसा ही है जैसे तुमसे पहले के भविष्यवक्ताओं को लोगों ने सताया था।

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