Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
गलातीमन बर पौलुस के फिकर
8 पहिली जब तुमन परमेसर ला नइं जानत रहेव, त तुमन ओमन के गुलाम रहेव, जऊन मन बिलकुल ही परमेसर नो हंय। 9 पर अब तुमन परमेसर ला जानथव, या फेर मोला ए कहना चाही कि परमेसर ह तुमन ला जानथे, त का बात ए कि तुमन ओ निरबल अऊ दयनीय अंधियार के सक्तिमन कोति फेर वापिस लहुंटत हवव? का तुमन ओमन के फेर गुलाम बने चाहथव? 10 तुमन बिसेस दिन, महिना, मौसम अऊ साल मन ला मानथव। 11 मेंह तुम्हर बारे म डरत हवंव कि तुम्हर बर जऊन मिहनत मेंह करे हवंव, ओह बेकार झन हो जावय।
12 हे भाईमन हो, तुमन मोर सहीं बन जावव, काबरकि मेंह तुम्हर सहीं बन गे हवंव। तुमन मोर कुछू गलत नइं करे हवव। 13 जइसने कि तुमन जानथव कि पहिली बार एक बेमारी के कारन, मेंह तुमन ला सुघर संदेस सुनाय रहेंव। 14 हालाकि मोर बेमारी ह तुम्हर बर एक परिछा के बेरा रिहिस, फेर तुमन मोर अनादर या अपमान नइं करेव। एकर बदले, तुमन मोर अइसने सुवागत करेव जइसने कि मेंह परमेसर के एक स्वरगदूत रहेंव या फेर मेंह खुद मसीह यीसू रहेंव। 15 तुम्हर ओ जम्मो आनंद ला का होईस? मेंह तुम्हर बर गवाही दे सकथंव कि यदि संभव होतिस, त तुमन अपन आंखी निकारके मोला दे देतेव। 16 तुमन ला सच कहे के कारन, का अब मेंह तुम्हर बईरी हो गे हवंव?
17 ओ आने मनखेमन तुम्हर बर बहुंत लगाव रखथें, पर ओमन के मनसा ठीक नइं ए। ओमन तुमन ला हमर ले अलग करे चाहथें, ताकि तुमन ओमन के प्रति लगाव बनाय रखव। 18 कहूं मनसा ह सही हवय, त लगाव रखई हमेसा बने बात होथे, अऊ हमेसा अइसने होना चाही, ए नइं कि जब मेंह तुम्हर संग रहिथंव, सिरिप ओही समय तुमन लगाव बनाय रखव। 19 हे मोर मयारू लइकामन हो, जब तक मसीह के सुभाव ह तुमन म नइं बन जावय, मेंह फेर ओ पीरा ला सहथंव, जइसने एक दाई ह लइका जनमे के बेरा सहथे। 20 मोर बहुंत ईछा हवय कि अब मेंह तुम्हर संग रहंव अऊ तुम्हर बर अपन बोले के ढंग ला बदलंव, काबरकि मेंह तुम्हर बारे म दुबिधा म हवंव।
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