Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दमिस्क अऊ यरूसलेम सहर म साऊल
19 साऊल ह कुछू दिन तक चेलामन के संग दमिस्क म रिहिस। 20 ओह तुरते सभा घरमन म यीसू के बारे परचार करे लगिस कि ओह परमेसर के बेटा अय। 21 जम्मो सुनइयामन चकित होके कहे लगिन, “का एह ओही मनखे नो हय, जऊन ह यरूसलेम म यीसू के नांव लेवइयामन ला नास करत रिहिस? ओह इहां घलो एकर बर आय रिहिस कि यीसू के नांव लेवइयामन ला बंदी बनाके मुखिया पुरोहितमन करा ले जावय।” 22 पर साऊल अऊ सामरथी होवत गीस। ओह ए बात के सबूत दे देके कि यीसू ही मसीह अय, दमिस्क म रहइया यहूदीमन के मुहूं बंद कर दीस।
23 जब बहुंत दिन बीत गे, तब यहूदीमन मिलके साऊल ला मार डारे के उपाय करिन। 24 पर ओमन के उपाय ला साऊल जान डारिस। यहूदीमन साऊल ला मार डारे खातिर रात-दिन दमिस्क के दुवारी म घात लगाके बईठे रहंय। 25 पर रतिहा साऊल के चेलामन ओला टोकना म बइठाईन अऊ भिथी के छेदा ले लटकाके ओला सहर के बाहिर उतार दीन[a]।
26 जब साऊल ह यरूसलेम म आईस, त ओह चेलामन संग मिले के कोसिस करिस, पर ओ जम्मो झन ओकर ले डर्रावत रिहिन, काबरकि ओमन ला बिसवास नइं होवत रहय कि ओह घलो यीसू के चेला बन गे हवय। 27 पर बरनबास ह ओला अपन संग प्रेरितमन करा ले गीस अऊ ओमन ला बताईस कि साऊल ह कइसने रसता म परभू ला देखिस अऊ परभू ह ओकर ले बात करिस अऊ दमिस्क म ओह कइसने हिम्मत के संग यीसू के नांव के परचार करिस। 28 तब साऊल ह ओमन के संग रहिके यरूसलेम म जम्मो जगह आवत-जावत रिहिस। ओह निडर होके परभू के नांव के परचार करत रिहिस। 29 ओह यूनानी भासा बोलइया यहूदीमन के संग बातचीत अऊ बाद-बिवाद करय, पर ओमन ओला मार डारे के कोसिस करिन। 30 जब बिसवासी भाईमन ला ए बात के पता चलिस, त ओमन ओला कैसरिया ले गीन अऊ उहां ले ओला तरसुस पठो दीन।
31 तब जम्मो यहूदिया, गलील अऊ सामरिया प्रदेस म कलीसिया ला सांति मिलिस अऊ कलीसिया ह मजबूत होवत गीस अऊ पबितर आतमा के मदद ले परभू के डर म रहत गनती म बढ़त गीस।
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