Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
39 तुमन परमेसर के बचन ला लगन से पढ़थव, काबरकि तुमन सोचथव कि ओम तुमन ला परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी मिलही; एह परमेसर के ओही बचन अय, जऊन ह मोर बारे म गवाही देथे। 40 तभो ले तुमन जिनगी पाय बर मोर करा नइं आय चाहव।
41 मेंह मनखेमन ले महिमा पाय बर नइं चाहंव, 42 पर मेंह जानत हंव कि तुम्हर हिरदय म परमेसर बर मया नइं ए। 43 मेंह अपन ददा परमेसर के नांव म आय हवंव, अऊ तुमन मोला गरहन नइं करव; पर यदि कोनो आने मनखे अपन खुद के नांव म आही, त तुमन ओला गरहन कर लूहू। 44 तुमन एक-दूसर ले महिमा पाय बर चाहथव, अऊ ओ महिमा जऊन ह सिरिप परमेसर करा ले आथे, ओला पाय के कोनो कोसिस नइं करव; तब तुमन कइसने बिसवास कर सकथव? 45 ए झन सोचव कि मेंह ददा के आघू म तुम्हर ऊपर दोस लगाहूं। ओह मूसा ए, जऊन ह तुम्हर ऊपर दोस लगाथे, जेकर ऊपर तुमन अपन आसा रखे हवव। 46 यदि तुमन मूसा ऊपर बिसवास करे होतेव, त मोर ऊपर घलो बिसवास करतेव, काबरकि ओह मोर बारे म लिखे हवय। 47 जब तुमन मूसा के लिखे बातमन ला बिसवास नइं करव, तब तुमन मोर बात ला कइसने बिसवास करहू?”
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