Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
15 अऊ ओमन ओकर परचार कइसने कर सकथें, जब तक ओमन ला पठोय नइं जावय? जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय, “कतेक सुघर होथे ओमन के अवई ह, जऊन मन सुघर संदेस लेके आथें।”[a]
16 पर जम्मो इसरायलीमन सुघर संदेस ला नइं मानिन। यसायाह अगमजानी ह कहे हवय, “हे परभू! कोन ह हमर संदेस ऊपर बिसवास करिस?”[b] 17 बिसवास ह संदेस के सुने ले होथे, अऊ संदेस के सुनई ह मसीह के बचन ले होथे। 18 पर मेंह पुछत हंव – का ओमन नइं सुनिन? ओमन जरूर सुनिन; काबरकि परमेसर के बचन म लिखे हवय:
“ओमन के अवाज ह जम्मो धरती म,
अऊ ओमन के बचन ह संसार के छोर तक हबर गे हवय।”[c]
19 मेंह फेर पुछत हंव – का इसरायलीमन नइं समझिन? पहिली मूसा ह कहिस,
“जऊन मन जाति नो हंय, ओमन के दुवारा मेंह तुमन म जलन पैदा करहूं,
एक मुरुख जाति के दुवारा, मेंह तुमन म कोरोध पैदा करहूं।”[d]
20 यसायाह अगमजानी ह बहुंत हिम्मत के संग कहिथे,
“जऊन मन मोला नइं खोजत रिहिन,
ओमन मोला पा गीन,
अऊ जऊन मन मोर बारे म पुछत घलो नइं रिहिन,
ओमन ऊपर मेंह अपन-आप ला परगट करेंव।”[e]
21 पर इसरायलीमन के बारे म, ओह कहिथे,
“मेंह दिन भर अइसने मनखेमन कोति अपन हांथ ला ओमन के सुवागत खातिर पसारे रहेंव,
जऊन मन हुकूम मनइया नो हंय अऊ ढीठ अंय।”[f]
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