Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
13 मेरे विचार से मैं इसे अब तक पा नहीं सका हूँ किन्तु हाँ, मैं यह अवश्य कर रहा हूँ: बीती बातों को भुलाते हुए, आगे की ओर बढ़ते हुए 14 मसीह येशु में परमेश्वर की स्वर्गीय बुलाहट के इनाम को प्राप्त करने के लिए निशाने की ओर बढ़ता जाता हूँ.
15 इसलिए हममें से जितने भी आत्मिक क्षेत्र में सिद्ध कहलाते हैं, उनका भी यही विचार हो; किन्तु यदि किसी विषय में तुम्हारा मानना अलग है, परमेश्वर उसे तुम पर प्रकट कर देंगे. 16 फिर भी हमारा स्वभाव उसी नमूने के अनुसार हो, जहाँ तक हम पहुँच चुके हैं.
17 प्रियजन, अन्यों के साथ मिल कर मेरी सी चाल चलो और उनको पहचानो जिनका स्वभाव उस आदर्श के अनुसार है, जो तुम हममें देखते हो. 18 बहुत हैं जिनके विषय में मैंने पहले भी स्पष्ट किया है और अब आँसू बहाते हुए प्रकट कर रहा हूँ कि वे मसीह के क्रूस के शत्रु हैं. 19 नाश होना ही उनका अन्त है, उनका पेट ही उनका ईश्वर है, वे अपनी निर्लज्जता पर गौरव करते हैं, उन्होंने अपना मन पृथ्वी की वस्तुओं में लगा रखा है. 20 इसके विपरीत हमारी नागरिकता स्वर्ग में है, जहाँ से उद्धारकर्ता प्रभु मसीह येशु के आने का हम उत्सुकता से इन्तज़ार कर रहे हैं. 21 मसीह येशु अपने उसी सामर्थ्य के प्रयोग के द्वारा, जिससे उन्होंने हर एक वस्तु को अपने अधीन किया है, हमारे मरणहार शरीर का रूप बदलकर अपने महिमा के शरीर के समान कर देंगे.
अन्तिम सलाह
4 इसलिए प्रियजन, तुम, जिनसे भेंट करने के लिए मैं लालायित हूँ; तुम, जो मेरा आनन्द और मुकुट हो, प्रभु में स्थिर बने रहो.
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