Revised Common Lectionary (Complementary)
5 जो लोग, याकूब के परमेश्वर से अति सहायता माँगते, वे अति प्रसन्न रहते हैं।
वे लोग अपने परमेश्वर यहोवा के भरोसे रहा करते हैं।
6 यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।
यहोवा ने सागर और उसमें की हर वस्तु बनाई है।
यहोवा उनको सदा रक्षा करेगा।
7 जिन्हें दु:ख दिया गया, यहोवा ऐसे लोगों के संग उचित बात करता है।
यहोवा भूखे लोगों को भोजन देता है।
यहोवा बन्दी लोगों को छुड़ा दिया करता है।
8 यहोवा के प्रताप से अंधे फिर देखने लग जाते हैं।
यहोवा उन लोगों को सहारा देता जो विपदा में पड़े हैं।
यहोवा सज्जन लोगों से प्रेम करता है।
9 यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं।
यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है
किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।
10 यहोवा सदा राज करता रहे!
सिय्योन तुम्हारा परमेश्वर पर सदा राज करता रहे!
यहोवा का गुणगान करो!
हन्ना धन्यवाद देती है
2 हन्ना ने कहा:
“यहोवा, में, मेरा हृदय प्रसन्न है!
मैं अपने परमेश्वर में शक्तिमती[a] अनुभव करती हूँ!
मैं अपनी विजय से पूर्ण प्रसन्न हूँ!
और अपने शत्रुओं की हँसी उड़ाई हूँ।
2 यहोवा के सदृश कोई पवित्र परमेश्वर नहीं।
तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं!
परमेश्वर के अतिरिक्त कोई आश्रय शिला[b] नहीं।
3 बन्द करो डींगों का हाँकना!
घमण्ड भरी बातें न करो! क्यों?
क्योंकि यहोवा परमेश्वर सब कुछ जानता है,
परमेश्वर लोगों को राह दिखाता है और उनका न्याय करता है।
4 शक्तिशाली योद्धाओं के धनुष टूटते हैं!
और दुर्बल शक्तिशाली बनते हैं!
5 जो लोग बीते समय में बहुत भोजन वाले थे,
उन्हें अब भोजन पाने के लिये काम करना होगा।
किन्तु जो बीते समय में भूखे थे,
वे अब भोजन पाकर मोटे हो रहे हैं!
जो स्त्री बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकती थी
अब सात ब्च्चों वाली है!
किन्तु जो बहुत बच्चों वाली थी,
दु:खी है क्योंकि उसके बच्चे चले गये।
6 “यहोवा लोगों को मृत्यु देता है,
और वह उन्हें जीवित रहने देता है।
यहोवा लोगों को मृत्युस्थल व अधोलोक को पहुँचाता है,
और पुन: वह उन्हें जीवन देकर उठाता है।
7 यहोवा लोगों को दीन बनाता है,
और यहोवा ही लोगों को धनी बनाता है।
यहोवा लोगों को नीचा करता है,
और वह लोगों को ऊँचा उठाता है।
8 यहोवा कंगालों को धूलि से उठाता है।
यहोवा उनके दुःख को दूर करता है।
यहोवा कंगालों को राजाओं के साथ बिठाता है।
यहोवा कंगालों को प्रतिष्ठित सिंहासन पर बिठाता है।
पूरा जगत अपनी नींव तक यहोवा का है!
यहोवा जगत को उन खम्भों पर टिकाया है!
यूहन्ना का संदेश
(मत्ती 3:1-12; मरकुस 1:1-8; यूहन्ना 1:19-28)
3 तिबिरियुस कैसर के शासन के पन्द्रहवें साल में जब
यहूदिया का राज्यपाल पुन्तियुस पिलातुस था
और उस प्रदेश के चौथाई भाग के राजाओं में हेरोदेस गलील का,
उसका भाई फिलिप्पुस इतूरैया और त्रखोनीतिस का,
तथा लिसानियास अबिलेने का अधीनस्थ शासक था।
2 और हन्ना तथा कैफा महायाजक थे, तभी जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास जंगल में परमेश्वर का वचन पहुँचा। 3 सो यर्दन के आसपास के समूचे क्षेत्र में घूम घूम कर वह पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के हेतु बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। 4 भविष्यवक्ता यशायाह के वचनों की पुस्तक में जैसा लिखा है:
“किसी का जंगल में पुकारता हुआ शब्द:
‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो
और उसके लिये राहें सीधी करो।
5 हर घाटी भर दी जायेगी
और हर पहाड़ और पहाड़ी सपाट हो जायेंगे
टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ राहें
समतल कर दी जायेंगी।
6 और सभी लोग परमेश्वर के उद्धार का दर्शन करेंगे!’”(A)
7 यूहन्ना उससे बपतिस्मा लेने आये अपार जन समूह से कहता, “अरे साँप के बच्चो! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम आने वाले क्रोध से बच निकलो? 8 परिणामों द्वारा तुम्हें प्रमाण देना होगा कि वास्तव में तुम्हारा मन फिरा है। और आपस में यह कहना तक आरंभ मत करो कि ‘इब्राहीम हमारा पिता है।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है। 9 पेड़ों की जड़ों पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है और हर उस पेड़ को जो उत्तम फल नहीं देता, काट गिराया जायेगा और फिर उसे आग में झोंक दिया जायेगा।”
10 तब भीड़ ने उससे पूछा, “तो हमें क्या करना चाहिये?”
11 उत्तर में उसने उनसे कहा, “जिस किसी के पास दो कुर्ते हों, वह उन्हें, जिसके पास न हों, उनके साथ बाँट ले। और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।”
12 फिर उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, हमें क्या करना चाहिये?”
13 इस पर उसने उनसे कहा, “जितना चाहिये उससे अधिक एकत्र मत करो।”
14 कुछ सैनिकों ने उससे पूछा, “और हमें क्या करना चाहिये?”
सो उसने उन्हें बताया, “बलपूर्वक किसी से धन मत लो। किसी पर झूठा दोष मत लगाओ। अपने वेतन में संतोष करो।”
15 लोग जब बड़ी आशा के साथ बाट जोह रहे थे और यूहन्ना के बारे में अपने मन में यह सोच रहे थे कि कहीं यही तो मसीह नहीं है,
16 तभी यूहन्ना ने यह कहते हुए उन सब को उत्तर दिया: “मैं तो तुम्हें जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मुझ से अधिक सामर्थ्यवान है, आ रहा है, और मैं उसके जूतों की तनी खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि द्वारा बपतिस्मा देगा। 17 उसके हाथ में फटकने की डाँगी है, जिससे वह अनाज को भूसे से अलग कर अपने खलिहान में उठा कर रखता है। किन्तु वह भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी नहीं बुझने वाली।” 18 इस प्रकार ऐसे ही और बहुत से शब्दों से वह उन्हें समझाते हुए सुसमाचार सुनाया करता था।
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