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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 55:16-23

16 मैं तो सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारुँगा।
    यहोवा उसका उत्तर मुझे देगा।
17 मैं तो अपने दु:ख को परमेश्वर से प्रात,
    दोपहर और रात में कहूँगा। वह मेरी सुनेगा।
18 मैंने कितने ही युद्धों में लड़ायी लड़ी है।
    किन्तु परमेश्वर मेरे साथ है, और हर युद्ध से मुझे सुरक्षित लौटायेगा।
19 वह शाश्वत सम्राट परमेश्वर मेरी सुनेगा
    और उन्हें नीचा दिखायेगा।
मेरे शत्रु अपने जीवन को नहीं बदलेंगे।
    वे परमेश्वर से नहीं डरते, और न ही उसका आदर करते।

20 मेरे शत्रु अपने ही मित्रों पर वार करते।
    वे उन बातों को नहीं करते, जिनके करने को वे सहमत हो गये थे।
21 मेरे शत्रु सचमुच मीठा बोलते हैं, और सुशांति की बातें करते रहते हैं।
    किन्तु वास्तव में, वे युद्ध का कुचक्र रचते हैं।
उनके शब्द काट करते छुरी की सी
    और फिसलन भरे हैं जैसे तेल होता है।

22 अपनी चिंताये तुम यहोवा को सौंप दो।
    फिर वह तुम्हारी रखवाली करेगा।
    यहोव सज्जन को कभी हारने नहीं देगा।
23 इससे पहले कि उनकी आधी आयु बीते।
    हे परमेश्वर उन हत्यारों को और उन झूठों को कब्रों में भेज!
जहाँ तक मेरा है, मैं तो तुझ पर ही भरोसा रखूँगा।

एस्तेर 5

एस्तेर की राजा से विनती

तीसरे दिन एस्तेर ने अपने विशेष वस्त्र पहने और राज महल के भीतरी भाग में जा खड़ी हुई। यह स्थान राजा की बैठक के सामने था। राजा दरबार में अपने सिंहासन पर बैठा था। राजा उसी ओर मुँह किये बैठा था जहाँ से लोग सिंहासन के कक्ष की ओर प्रवेश करते थे। राजा ने महारानी एस्तेर को वहाँ दरवार में खड़े देखा। उसे देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसकी ओर अपने हाथ में थामें हुए सोने के राजदण्ड को आगे बढ़ा दिया। इस प्रकार एस्तेर ने उस कमरे में प्रवेश किया और वह राजा के पास चली गयी और उसने राजा के सोने के राजदण्ड के सिर को छू दिया।

इसके बाद राजा ने उससे पूछा, “महारानी एस्तेर, तुम बेचैन क्यों हो? तुम मुझसे क्या चाहती हो? तुम जो चाहो मैं तुम्हें वही दूँगा। यहाँ तक कि अपना आधा राज्य तक, मैं तुम्हें दे दूँगा।”

एस्तेर ने कहा, “मैंने आपके और हामान के लिये एक भोज का आयोजन किया है। क्या आप और हामान आज मेरे यहाँ भोज में पधारेंगे?”

इस पर राजा ने कहा, “हामान को तुरंत बुलाया जाये ताकि एस्तेर जो चाहती है, हम उसे पूरा कर सकें।”

महाराजा और हामान एस्तेर ने उनके लिये जो भोज आयोजित की थी, उसमें आ गये। जब वे दाखमधु पी रहे थे तभी महाराजा ने एस्तेर से फिर पूछा, “एस्तेर, कहो अब तुम क्या माँगना चाहती हो? कुछ भी माँग लो, मैं तुम्हें वही दे दूँगा। कहो तो वह क्या है जिसकी तुम्हें इच्छा है? तुम्हारी जो भी इच्छा होगी, वही मैं तुम्हें दूँगा। अपने राज्य का आधा भाग तक।”

एस्तेर ने कहा, “मैं यह माँगना चाहती हूँ। यदि मुझे महाराज अनुमति दें और यदि जो मैं चाहूँ, वह मुझे देने से महाराज प्रसन्न हों तो मेरी इच्छा यह है कि महाराज और हामान कल मेरे यहाँ आयें। कल मैं महाराजा और हामान के लिये एक और भोज देना चाहती हूँ और उसी समय में यह बताऊँगी कि वास्तव में मैं क्या चाहती हूँ।”

मोर्दकै पर हामान का क्रोध

उस दिन हामान राजमहल से अत्यधिक प्रसन्नचित्त हो कर विदा हुआ। किन्तु जब उसने राजा के द्वार पर मोर्दकै को देखा तो उसे मोर्दकै पर बहुत क्रोध आया। हामान मोर्दकै को देखते ही क्रोध से पागल हो उठा क्योंकि जब हामान वहाँ से गुजरा तो मोर्दकै ने उसके प्रति कोई आदर भाव नहीं दिखाया। मोर्दकै को हामान का कोई भय नहीं था, और इसी से हामान क्रोधित हो उठा था। 10 किन्तु हामान ने अपने क्रोध पर काबू किया और घर चला गया। इसके बाद हामान ने अपने मित्रों और अपनी पत्नी जेरेश को एक साथ बुला भेजा। 11 वह अपने मित्रों के आगे अपने धन और अनेक पुत्रों के बारे में डींग मारते हुए यह बताने लगा कि राजा उसका किस प्रकार से सम्मान करता है। वह बढ़ा चढ़ा कर यह भी बताने लगा कि दूसरे सभी हाकिमों से राजा ने किस प्रकार उसे और अधिक ऊँचे पद पर पदोन्नति दी है। 12 “इतना ही नहीं” हामान ने यह भी बताया। “एक मात्र मैं ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसे महारानी एस्तेर ने अपने भोज में राजा के साथ बुलाया था और महारानी ने मुझे कल फिर राजा के साथ बुला भेजा था। 13 किन्तु मुझे इन सब बातों से सचमुच कोई प्रसन्नता नहीं है। वास्तव में मैं उस समय तक प्रसन्न नहीं हो सकता जब तक राजा के द्वार पर मैं उस यहूदी मोर्दकै को बैठे हुए देखता हूँ।”

14 इस पर हामान की पत्नी जेरेश और उसके मित्रों ने उसे एक सुझाव दिया। वे बोले, “किसी से कह कर पचहत्तर फुट ऊँचा फाँसी देने का एक खम्भा बनवाओं! जिस पर उसे लटकाया जाये! फिर प्रातःकाल राजा से कहो कि वह मोर्दकै को उस पर लटका दे। फिर राजा के साथ तुम भोज पर जाना और आनन्द से रहना।”

हामान को यह सुझाव अच्छा लगा। सो उसने फाँसी का खम्भा बनवाने के लिए किसी को आदेश दे दिया।

कुलुस्सियों 2:16-3:1

मनुष्य की शिक्षा और उसके बनाये नियमों पर मत चलो

16 इसलिए खाने पीने की वस्तुओं अथवा पर्वो, नये चाँद के पर्वों, या सब्त के दिनों को लेकर कोई तुम्हारी आलोचना न करे। 17 ये तो, जो बातें आने वाली हैं, उनकी छाया है। किन्तु इस छाया की वास्तविक काया तो मसीह की ही है। 18 कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है। 19 वह अपने आपको मसीह के अधीन नहीं रखता जो प्रमुख है जो जोड़ों और नसों से समर्थित होकर सारी देह का उपकार करता है, और जिससे आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है। 20 क्योंकि तुम मसीह के साथ मर चुके हो और तुम्हें संसार की बुनियादी शिक्षाओं से छुटकारा दिलाया जा चुका है। तो इस तरह का आचरण क्यों करते हो जैसे तुम इस दुनिया के हो और ऐसे नियमों का पालन करते हो जैसे: 21 “इसे हाथ मत लगाओ,” “इसे चखो मत” या “इसे छुओ मत?” 22 ये सब वस्तुएँ तो काम में आते-आते नष्ट हो जाने के लिये हैं। ऐसे आचार व्यवहारों की अधीनता स्वीकार करके तो तुम मनुष्य के बनाये आचार व्यवहारों और शिक्षाओं का ही अनुसरण कर रहे हो। 23 मनमानी उपासना, अपने शरीर को प्रताड़ित करने और अपनी काया को कष्ट देने से सम्बन्धित ये नियम बुद्धि पर आधारित प्रतीत होते हैं पर वास्तव में इन मूल्यों का कोई नियम नहीं है। ये नियम तो वास्तव में लोगों को उनकी पापपूर्ण मानव प्रकृति में लगा डालते हैं।

मसीह में नया जीवन

क्योंकि यदि तुम्हें मसीह के साथ मरे हुओं में से जिला कर उठाया गया है तो उन वस्तुओं के लिये प्रयत्नशील रहो जो स्वर्ग में हैं जहाँ परमेश्वर की दाहिनी ओर मसीह विराजित है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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