Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 हे परमेश्वर, मैं ऊपर आँख उठाकर तेरी प्रार्थना करता हूँ।
तू स्वर्ग में राजा के रूप में विराजता है।
2 दास अपने स्वामियों के ऊपर उन वस्तुओं के लिए निर्भर रहा करते हैं। जिसकी उनको आवश्यकता है।
दासियाँ अपनी स्वामिनियों के ऊपर निर्भर रहा करती हैं।
इसी तरह हमको यहोवा का, हमारे परमेश्वर का भरोसा है।
ताकि वह हम पर दया दिखाए, हम परमेश्वर की बाट जोहते हैं।
3 हे यहोवा, हम पर कृपालु है।
दयालु हो क्योंकि बहुत दिनों से हमारा अपमान होता रहा है।
4 अहंकारी लोग बहुत दिनों से हमें अपमानित कर चुके हैं।
ऐसे लोग सोचा करते हैं कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।
16 “यिर्मयाह, जहाँ तक तुम्हारी बात है, तुम यहूदा के इन लोगों के लिये प्रार्थना मत करो। न उनके लिये याचना करो और न ही उनके लिये प्रार्थना। उनकी सहायता के लिये मुझसे प्रार्थना मत करो। उनके लिये तुम्हारी प्रार्थना को मैं नहीं सुनूँगा। 17 मैं जानता हूँ कि तुम देख रहे हो कि वे यहूदा के नगर में क्या कर रहे हैं तुम देख सकते हो कि वे यरूशलेम नगर की सड़कों पर क्या कर रहे हैं 18 यहूदा के लोग जो कर रहे हैं वह यह है: बच्चे लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं। पिता लोग उस लकड़ी का उपयोग आग जलाने में करते हैं। स्त्रियाँ आटा गूँधती हैं और स्वर्ग की रानी की भेंट के लिये रोटियाँ बनाती हैं। यहूदा के वे लोग अन्य देवताओं की पूजा के लिये पेय भेंट चढ़ाते हैं। वे मुझे क्रोधित करने के लिये यह करते हैं। 19 किन्तु मैं वह नहीं हूँ जिसे यहूदा के लोग सचमुच चोट पहुँचा रहे हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “वे केवल अपने को ही चोट पहुँचा रहे हैं। वे अपने को लज्जा का पात्र बना रहे हैं।”
20 अत: यहोवा यह कहता है: “मैं अपना क्रोध इस स्थान के विरुद्ध प्रकट करुँगा। मैं लोगों तथा जानवरों को दण्ड दूँगा। मैं खेत में पेड़ों और उस भूमि में उगनेवाली फसलों को दण्ड दूँगा। मेरा क्रोध प्रचण्ड अग्नि सा होगा और कोई व्यक्ति उसे रोक नहीं सकेगा।”
यहोवा बलि की अपेक्षा, अपनी आज्ञा का पालन अधिक चाहता है
21 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, “जाओ और जितनी भी होमबलि और बलि चाहो, भेंट करो। उन बलियों के माँस स्वयं खाओ। 22 मैं तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाया। मैंने उनसे बातें कीं, किन्तु उन्हें कोई आदेश होमबलि और बलि के विषय में नहीं दिया। 23 मैंने उन्हें केवल यह आदेश दिया, ‘मेरी आज्ञा का पालन करो और मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा तथा तुम मेरे लोग होगे। जो मैं आदेश देता हूँ वह करो, और तुम्हारे लिए सब अच्छा होगा।’
24 “किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी। उन्होंने मुझ पर ध्यान नहीं दिया। वे हठी रहे और उन्होंने उन कामों को किया जो वे करना चाहते थे। वे अच्छे न बने। वे पहले से भी अधिक बुरे बने, वे पीछे को गए, आगे नहीं बढ़े। 25 उस दिन से जिस दिन तुम्हारे पूर्वजों ने मिस्र छोड़ा आज तक मैंने अपने सेवकों को तुम्हारे पास भेजा है। मेरे सेवक नबी हैं। मैंने उन्हें तुम्हारे पास बारबार भेजा। 26 किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी अनसुनी की। उन्होंने मुझ पर ध्यान नहीं दिया। वे बहुत हठी रहे, और उन्होंने अपने पूर्वजों से भी बढ़कर बुराईयाँ कीं।
7 तुम्हारे सामने जो तथ्य हैं उन्हें देखो। यदि कोई अपने मन में यह मानता है कि वह मसीह का है, तो वह अपने बारे में फिर से याद करे कि वह भी उतना ही मसीह का है जितना कि हम है। 8 और यदि मैं अपने उस अधिकार के विषय में कुछ और गर्व करूँ, जिसे प्रभु ने हमें तुम्हारे विनाश के लिये नहीं बल्कि आध्यात्मिक निर्माण के लिये दिया है। 9 तो इसके लिये मैं लज्जित नहीं हूँ। मैं अपने पर नियंत्रण रखूँगा कि अपने पत्रों के द्वारा तुम्हें भयभीत करने वाले के रूप में न दिखूँ। 10 मेरे विरोधियों का कहना है, “पौलुस के पत्र तो भारी भरकम और प्रभावपूर्ण होते हैं। किन्तु मेरा व्यक्तित्व दुर्बल और वाणी अर्थहीन है।” 11 किन्तु ऐसे कहने वाले व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि तुम्हारे बीच न रहते हुए जब हम अपने पत्रों में कुछ लिखते हैं तो उसमें और तुम्हारे बीच रहते हुए हम जो कर्म करते हैं उनमें कोई अन्तर नहीं है।
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