Revised Common Lectionary (Complementary)
गित्तीथ के संगत पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।
1 परमेश्वर जो हमारी शक्ति है आनन्द के साथ तुम उसके गीत गाओ,
तुम उसका जो इस्राएल का परमेश्वर है, जय जयकार जोर से बोलो।
2 संगीत आरम्भ करो।
तम्बूरे बजाओ।
वीणा सारंगी से मधुर धुन निकालो।
3 नये चाँद के समय में तुम नरसिंगा फूँको। पूर्णमासी के अवसर पर तुम नरसिंगा फूँको।
यह वह काल है जब हमारे विश्र्राम के दिन शुरू होते हैं।
4 इस्राएल के लोगों के लिये ऐसा ही नियम है।
यह आदेश परमेश्वर ने याकुब को दिये है।
5 परमेश्वर ने यह वाचा यूसुफ़ के साथ तब किया था,
जब परमेश्वर उसे मिस्र से दूर ले गया।
मिस्र में हमने वह भाषा सुनी थी जिसे हम लोग समझ नहीं पाये थे।
6 परमेश्वर कहता है, “तुम्हारे कन्धों का बोझ मैंने ले लिया है।
मजदूर की टोकरी मैं उतार फेंकने देता हूँ।
7 जब तुम विपति में थे तुमने सहायता को पुकारा और मैंने तुम्हें छुड़ाया।
मैं तुफानी बादलों में छिपा हुआ था और मैंने तुमको उत्तर दिया।
मैंने तुम्हें मरिबा के जल के पास परखा।”
8 “मेरे लोगों, तुम मेरी बात सुनों। और मैं तुमको अपना वाचा दूँगा।
इस्राएल, तू मुझ पर अवश्य कान दे।
9 तू किसी मिथ्या देव जिनको विदेशी लोग पूजते हैं,
पूजा मत कर।
10 मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
मैं वही परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया था।
हे इस्राएल, तू अपना मुख खोल,
मैं तुझको निवाला दूँगा।
सब्त
12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 13 “इस्राएल के लोगों से यह कहो: ‘तुम लोग मेरे विशेष विश्राम के दिन वाले नियमों का पालन करोगे। तुम्हें यह अवश्य करना चाहिए, क्योंकि ये मेरे और तुम्हारे बीच सभी पीढ़ियों के लिए प्रतीक स्वरूप रहेंगे। इससे तुम्हें पता चलेगा कि मैं अर्थात् यहोवा ने तुम्हें अपना विशेष जनसमूह बनाया है।
14 “‘सब्त के दिन को विशेष दिवस मनाओ। यदि कोई व्यक्ति सब्त के दिन को अन्य दिनों की तरह मानता है तो वह व्यक्ति अवश्य मार दिया जाना चाहिए। कोई व्यक्ति जो सब्त के दिन काम करता है अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाना चाहिए। 15 सप्ताह में दूसरे अन्य छः दिन काम करने के लिए हैं, किन्तु सातवाँ दिन विश्राम करने का विशेष दिन है, अर्थात् यहोवा को सम्मान देने का विशेष दिन है, कोई व्यक्ति जो सब्त के दिन काम करेगा अवश्य ही मार दिया जाये। 16 इस्राएल के लोग सब्त के दिन को अवश्य याद रखें और इसे विशेष दिन बनाएं। वे इसे लगातार मनाते रहें। यह मेरे और उनके बीच साक्षीपत्र है जो सदा बना रहेगा। 17 सब्त का दिन मेरे और इस्राएल के लोगों के बीच सदा के लिए प्रतीक रहेगा।’” (यहोवा ने छः दिन काम किया तथा आकाश एवं धरती को बनाया। सातवें दिन उसने अपने को विश्राम दिया।)
18 इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से सीनै पर्वत पर बात करना समाप्त किया। तब परमेश्वर ने उसे आदेश लिखे हुए दो समतल पत्थर दिए। परमेश्वर ने अपनी उगुलियों का उपयोग किया और पत्थर पर उन नियमों को लिखा।
पौलुस कैसर से अपना न्याय चाहता है
25 फिर फेस्तुस ने उस प्रदेश में प्रवेश किया और तीन दिन बाद वह कैसरिया से यरूशलेम को रवाना हो गया। 2 वहाँ प्रमुख याजकों और यहूदियों के मुखियाओं ने पौलुस के विरुद्ध लगाये गये अभियोग उसके सामने रखे और उससे प्रार्थना की 3 कि वह पौलुस को यरूशलेम भिजवा कर उन का पक्ष ले। (वे रास्ते में ही उसे मार डालने का षड्यन्त्र बनाये हुए थे।) 4 फेस्तुस ने उत्तर दिया, “पौलुस कैसरिया में बन्दी है और वह जल्दी ही वहाँ जाने वाला है।” उसने कहा, 5 “तुम अपने कुछ मुखियाओं को मेरे साथ भेज दो और यदि उस व्यक्ति ने कोई अपराध किया है तो वे वहाँ उस पर अभियोग लगायें।”
6 उनके साथ कोई आठ दस दिन बात कर फेस्तुस कैसरिया चला गया। अगले ही दिन अदालत में न्यायासन पर बैठ कर उसने आज्ञा दी कि पौलुस को पेश किया जाये। 7 जब वह पेश हुआ तो यरूशलेम से आये यहूदी उसे घेर कर खड़े हो गये। उन्होंने उस पर अनेक गम्भीर आरोप लगाये किन्तु उन्हें वे प्रमाणित नहीं कर सके। 8 पौलुस ने स्वयं अपना बचाव करते हुए कहा, “मैंने यहूदियों के विधान के विरोध में कोई काम नहीं किया है, न ही मन्दिर के विरोध में और न ही कैसर के विरोध में।”
9 फेस्तुस यहूदियों को प्रसन्न करना चाहता था, इसलिए उत्तर में उसने पौलुस से कहा, “तो क्या तू यरूशलेम जाना चाहता है ताकि मैं वहाँ तुझ पर लगाये गये इन अभियोगों का न्याय करूँ?”
10 पौलुस ने कहा, “इस समय मैं कैसर की अदालत के सामने खड़ा हूँ। मेरा न्याय यहीं किया जाना चाहिये। मैंने यहूदियों के साथ कुछ बुरा नहीं किया है, इसे तू भी बहुत अच्छी तरह जानता है। 11 यदि मैं किसी अपराध का दोषी हूँ और मैंने कुछ ऐसा किया है, जिसका दण्ड मृत्यु है तो मैं मरने से बचना नहीं चाहूँगा, किन्तु यदि ये लोग मुझ पर जो अभियोग लगा रहे हैं, उनमें कोई सत्य नहीं है तो मुझे कोई भी इन्हें नहीं सौंप सकता। यही कैसर से मेरी प्रार्थना है।”
12 अपनी परिषद् से सलाह करने के बाद फेस्तुस ने उसे उत्तर दिया, “तूने कैसर से पुनर्विचार की प्रार्थना की है, इसलिये तुझे कैसर के सामने ही ले जाया जायेगा।”
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