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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:73-80

योद्

73 हे यहोवा, तूने मुझे रचा है और निज हाथों से तू मुझे सहारा देता है।
    अपने आदेशों को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
74 हे यहोवा, तेरे भक्त मुझे आदर देते हैं और वे प्रसन्न हैं
    क्योंकि मुझे उन सभी बातों का भरोसा है जिन्हें तू कहता है।
75 हे यहोवा, मैं यह जानता हूँ कि तेरे निर्णय खरे हुआ करते हैं।
    यह मेरे लिये उचित था कि तू मुझको दण्ड दे।
76 अब, अपने सत्य प्रेम से तू मुझ को चैन दे।
    तेरी शिक्षाएँ मुझे सचमुच भाती हैं।
77 हे यहोवा, तू मुझे सुख चैन दे और जीवन दे।
    मैं तेरी शिक्षाओं में सचमुच आनन्दित हूँ।
78 उन लोगों को जो सोचा करते है कि वे मुझसे उत्तम हैं, उनको निराश कर दे।
    क्योंकि उन्होंने मेरे विषय में झूठी बातें कही है।
    हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पाठ किया करूँगा।
79 अपने भक्तों को मेरे पास लौट आने दे।
    ऐसे उन लोगों को मेरे पास लौट आने दे जिनको तेरी वाचा का ज्ञान है।
80 हे यहोवा, तू मुझको पूरी तरह अपने आदेशों को पालने दे
    ताकि मैं कभी लज्जित न होऊँ।

यिर्मयाह 6:10-19

10 मैं किससे बात करुँ?
    मैं किसे चेतावनी दे सकता हूँ?
    मेरी कौन सुनेगा?
इस्राएल के लोगों ने अपने कानो को बन्द किया है।
    अत: वे मेरी चेतावनी सुन नहीं सकते।
लोग यहोवा की शिक्षा पसन्द नहीं करते।
    वे यहोवा का सन्देश सुनना नहीं चाहते।
11 किन्तु मैं (यिर्मयाह) यहोवा के क्रोध से भरा हूँ।
    मैं इसे रोकते—रोकते थक गया हूँ।
“सड़क पर खेलते बच्चों पर यहोवा का क्रोध उंडेलो।
    एक साथ एकत्रित युवकों पर इसे उंडेलो।
पति और उसकी पत्नी दोनों पकड़े जाएंगे।
    बूढ़े और अति बूढ़े लोग पकड़े जाएंगे।
12 उनके घर दूसरे लोगों को दे दिए जाएंगे।
    उनके खेत और उनकी पत्नियाँ दूसरों को दे दी जाएंगी।
मैं अपने हाथ उठाऊँगा और यहूदा देश के लोगों को दण्ड दूँगा।”
    यह सन्देश यहोवा का था।

13 “इस्राएल के सभी लोग धन और अधिक धन चाहते हैं।
    छोटे से लेकर बड़े तक सभी लालची हैं।
यहाँ तक कि याजक और नबी झूठ पर जीते हैं।
14 मेरे लोग बहुत बुरी तरह चोट खाये हुये हैं।
    नबी और याजक मेरे लोगों के घाव भरने का प्रयत्न ऐसे करते हैं, मानों वे छोटे से घाव हों।
वे कहते हैं, ‘यह बहुत ठीक है, यह बिल्कुल ठीक है।’
    किन्तु यह सचमुच ठीक नहीं हुआ है।
15 नबियों और याजकों को उस पर लज्जित होना चाहिये, जो बुरा वे करते हैं।
    किन्तु वे तनिक भी लज्जित नहीं।
वे तो अपने पाप पर संकोच करना तक भी नहीं जानते।
    अत: वे अन्य हर एक के साथ दण्डित होंगे।
    जब मैं दण्ड दूँगा, वे जमीन पर फेंक दिये जायेंगे।”
यह सन्देश यहोवा का है।

16 यहोवा यह सब कहता है:
“चौराहों पर खड़े होओ और देखो।
    पता करो कि पुरानी सड़क कहाँ थी।
    पता करो कि अच्छी सड़क कहाँ है, और उस सड़क पर चलो।
यदि तुम ऐसा करोगे, तुम्हें आराम मिलेगा! किन्तु तुम लोगों ने कहा है,
‘हम अच्छी सड़क पर नहीं चलेंगे!’
17 मैंने तुम्हारी चौकसी के लिये चौकीदार चुने!
    मैंने उनसे कहा, ‘युद्ध—तुरही की आवाज पर कान रखो।’
    किन्तु उन्होंने कहा, ‘हम नहीं सुनेंगे!’
18 अत: तुम सभी राष्ट्रों, उन देशों के तुम सभी लोगों, सुनो ध्यान दो!
    वह सब सुनो जो मैं यहूदा के लोगों के साथ करूँगा।
19 पृथ्वी के लोगों, यह सुनो:
    मैं यहूदा के लोगों पर विपत्ति ढाने जा रहा हूँ।
    क्यों क्योंकि उन लोगों ने सभी बुरे कामों की योजनायें बनाई।
    यह होगा क्योंकि उन्होंने मेरे सन्देशों की ओर ध्यान नहीं दिया है।
    उन लोगों ने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया है।”

प्रेरितों के काम 19:21-27

पौलुस की यात्रा योजना

21 इन घटनाओं के बाद पौलुस ने अपने मन में मकिदुनिया और अखाया होते हुए यरूशलेम जाने का निश्चय किया। उसने कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोम भी देखना चाहिए।” 22 सो उसने अपने तिमुथियुस और इरासतुस नामक दो सहायकों को मकिदुनिया भेज दिया और स्वयं एशिया में थोड़ा समय और बिताया।

इफ़िसुस में उपद्रव

23 उन्हीं दिनों इस पँथ को लेकर वहाँ बड़ा उपद्रव हुआ। 24 वहाँ देमेत्रियुस नाम का एक चाँदी का काम करने वाला सुनार हुआ करता था। वह अरतिमिस के चाँदी के मन्दिर बनवाता था जिससे कारीगरों को बहुत कारोबार मिलता था।

25 उसने उन्हें और इस काम से जुड़े हुए दूसरे कारीगरों को इकट्ठा किया और कहा, “देखो लोगो, तुम जानते हो कि इस काम से हमें एक अच्छी आमदनी होती है। 26 तुम देख सकते हो और सुन सकते हो कि इस पौलुस ने न केवल इफिसुस में बल्कि लगभग एशिया के समूचे क्षेत्र में लोगों को बहका फुसला कर बदल दिया है। वह कहता है कि मनुष्य के हाथों के बनाये देवता सच्चे देवता नहीं है। 27 इससे न केवल इस बात का भय है कि हमारा व्यवसाय बदनाम होगा बल्कि महान देवी अरतिमिस के मन्दिर की प्रतिष्ठा समाप्त हो जाने का भी डर है। और जिस देवी की उपासना समूचे एशिया और संसार द्वारा की जाती है, उसकी गरिमा छिन जाने का भी डर है।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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