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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 91:1-2

तुम परम परमेश्वर की शरण में छिपने के लिये जा सकते हो।
    तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की शरण में संरक्षण पाने को जा सकते हो।
मैं यहोवा से विनती करता हूँ, “तू मेरा सुरक्षा स्थल है मेरा गढ़,
    हे परमेश्वर, मैं तेरे भरोसे हूँ।”

भजन संहिता 91:9-16

क्यों? क्योंकि तू यहोवा के भरोसे है।
    तूने परम परमेश्वर को अपना शरणस्थल बनाया है।
10 तेरे साथ कोई भी बुरी बात नहीं घटेगी।
    कोई भी रोग तेरे घर में नहीं होगा।
11 क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा। तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।
12 परमेश्वर के दूत तुझको अपने हाथों पर ऊपर उठायेंगे।
    ताकि तेरा पैर चट्टान से न टकराए।
13 तुझमें वह शक्ति होगी जिससे तू सिंहों को पछाडेगा
    और विष नागों को कुचल देगा।
14 यहोवा कहता है, “यदि कोई जन मुझ में भरोसा रखता है तो मैं उसकी रक्षा करूँगा।
    मैं उन भक्तों को जो मेरे नाम की आराधना करते हैं, संरक्षण दूँगा।”
15 मेरे भक्त मुझको सहारा पाने को पुकरेंगे और मैं उनकी सुनूँगा।
    वे जब कष्ट में होंगे मैं उनके साथ रहूँगा।
    मैं उनका उद्धार करूँगा और उन्हें आदर दूँगा।
16 मैं अपने अनुयायियों को एक लम्बी आयु दूँगा
    और मैं उनकीरक्षा करूँगा।

निर्गमन 5:10-23

10 इसलिए मिस्री दास स्वामी और हिब्रू कार्य प्रबन्धक इस्राएल के लोगों के पास गए और उन्होंने कहा, “फ़िरौन ने निर्णय किया है कि वह तुम लोगों को तुम्हारी ईंटों के लिए तुम्हें भूसा नहीं देगा। 11 तुम लोगों को स्वयं जाना होगा और अपने लिए भूसा स्वयं इकट्ठा करना होगा। इसलिए जाओ और भूसा जुटाओ। किन्तु तुम लोग उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाते थे।”

12 इस प्रकार हर एक आदमी मिस्र में भूसा खोजने के लिए चारों ओर गया। 13 दास स्वामी लोगों को अधिक कड़ा काम करने के लिए विवश करते रहे। वे लोगों को उतनी ही ईंटें बनाने के लिए विवश करते रहे जितनी वे पहले बनाया करते थे। 14 मिस्री दास स्वामियों ने हिब्रू कार्य—प्रबन्धक चुन रखे थे और उन्हें लोगों के काम का उत्तरदायी बना रखा था। मिस्री दास स्वामी इन कार्य—प्रबन्धकों को पीटते थे और उनसे कहते थे, “तुम उतनी ही ईंटें क्यों नहीं बनाते जितनी पहले बना रहे थे। जब तुम यह काम पहले कर सकते थे तो तुम इसे अब भी कर सकते हो।”

15 तब हिब्रू कार्य—प्रबन्धक फ़िरौन के पास गए। उन्होंने शिकायत की और कहा, “आप अपने सेवकों के साथ ऐसा बरताव क्यों कर रहे है? 16 आपने हम लोगों को भूसा नहीं दिया। किन्तु हम लोगों को आदेश दिया गया कि उतनी ही ईंटें बनाएँ जितनी पहले बनती थीं और अब हम लोगों के स्वामी हमे पीटते हैं। ऐसा करने में आपके लोगों की ग़लती है।”

17 फ़िरौन ने उत्तर दिया, “तुम लोग आलसी हो। तुम लोग काम करना नहीं चाहते। यही कारण है कि तुम लोग माँग करते हो कि मैं तुम लोगों को जाने दूँ और यही कारण है कि तुम लोग यह स्थान छोड़ना चाहते हो और यहोवा को बलि चढ़ाना चाहते हो। 18 अब काम पर लौट जाओ। हम तुम लोगों को कोई भूसा नहीं देंगे। किन्तु तुम लोग उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाया करते थे।”

19 हिब्रू कार्य—प्रबन्धक समझ गए कि वे परेशानी में पड़ गए हैं। कार्य—प्रबन्धक जानते थे कि वे उतनी ईंटें नहीं बना सकते जितनी बीते समय में बनाते थे।

20 जब वे फिरौन से मिलने के बाद जा रहे थे, वे मूसा और हारून के पास से निकले। मूसा और हारून उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। 21 इसलिए उन्होंने मूसा और हारून से कहा, “तुम लोगों ने बुरा किया कि तुम ने फ़िरौन से हम लोगों को जाने देने के लिए कहा। यहोवा तुम को दण्ड दे क्योंकि तुम लोगों ने फ़िरौन और उसके प्रशासकों में हम लोगों के प्रति घृणा उत्पन्न की। तुम ने हम लोगों को मारने का एक बहाना उन्हें दिया है।”

मूसा की परमेश्वर से शिकायत

22 तब मूसा ने यहोवा से प्रार्थना की और कहा, “हे स्वामी, तूने अपने लोगों के लिए यह बुरा काम क्यों किया है? तूने हमको यहाँ क्यों भेजा है? 23 मैं फ़िरौन के पास गया और जो तूने कहने को कहा उसे मैंने उससे कहा। किन्तु उस समय से वह लोगों के प्रति अधिक क्रूर हो गया। और तूने उनकी सहायता के लिए कुछ नहीं किया है।”

प्रेरितों के काम 7:30-34

30 “चालीस वर्ष बीत जाने के बाद सिनाई पर्वत के पास मरुभूमि में एक जलती झाड़ी की लपटों के बीच उसके सामने एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ। 31 मूसा ने जब यह देखा तो इस दृश्य पर वह आश्चर्य चकित हो उठा। जब और अधिक निकटता से देखने के लिये वह उसके पास गया तो उसे प्रभु की वाणी सुनाई दी: 32 ‘मैं तेरे पूर्वजों का परमेश्वर हूँ, इब्राहीम का, इसहाक का और याकूब का परमेश्वर हूँ।’(A) भय से काँपते हुए मूसा कुछ देखने का साहस नहीं कर पा रहा था।

33 “तभी प्रभु ने उससे कहा, ‘अपने पैरों की चप्पलें उतार क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। 34 मैंने मिस्र में अपने लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखा है, परखा है। मैंने उन्हें विलाप करते हुए सुना है। उन्हें मुक्त कराने के लिये मैं नीचे उतरा हूँ। आ, अब मैं तुझे मिस्र भेजूँगा।’(B)

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International