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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 85:1-2

संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

हे यहोवा, तू अपने देश पर कृपालु हो।
    विदेश में याकूब के लोग कैदी बने हैं। उन बंदियों को छुड़ाकर उनके देश में वापस ला।
हे यहोवा, अपने भक्तों के पापों को क्षमा कर।
    तू उनके पाप मिटा दे।

भजन संहिता 85:8-13

जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
    यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
    यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
    अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
    नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
    और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
    धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
    और वह उसके लिये राह बनायेगी।

यिर्मयाह 1:4-10

परमेश्वर यिर्मयाह को अपने पास बुलाता है

यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यहोवा का सन्देश यह था:

“तुम्हारी माँ के गर्भ में रखने के पहले
    मैंने तुमको जान लिया।
तुम्हारे जन्म लेने के पहले,
    मैंने तुम्हें विशेष कार्य के लिये चुना था।
    मैंने तुम्हें राष्ट्रों का नबी होने को चुना था।”

तब मैंने अर्थात् यिर्मयाह ने कहा, “किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा, मैं तो बोलना भी नहीं जानता। मैं तो अभी बालक ही हूँ।”

किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा,

“मत कहो, ‘मै बालक ही हूँ।’
    तुम्हें हर उन स्थानों पर जाना है जहाँ मैं भेंजूँ।
    तुम्हें वह सब कहना है जिसे मैं कहने को कहूँ।
किसी से मत डरो।
    मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।

तब यहोवा ने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे मुँह को छू लिया। यहोवा ने मुझसे कहा,

“यिर्मयाह, मैं अपने शब्द तेरे मुँह में दे रहा हूँ।
10 आज मैंने तुम्हें राज्यों और राष्ट्रों का अधिकारी बनाया है।
    तुम इन्हें उखाड़ और उजाड़ सकते हो। तुम इन्हें नष्ट और उठा फेंक सकते हो।
तुम इन्हें और उठा फेंक सकते हो।
    तुम निर्माण और रोपण कर सकते हो।”

प्रेरितों के काम 11:19-26

अन्ताकिया में सुसमाचार का आगमन

19 वे लोग जो स्तिफनुस के समय में दी जा रही यातनाओं के कारण तितर-बितर हो गये थे, दूर-दूर तक फीनिक, साइप्रस और अन्ताकिया तक जा पहुँचे। ये यहूदियों को छोड़ किसी भी और को सुसमाचार नहीं सुनाते थे। 20 इन्हीं विश्वासियों में से कुछ साइप्रस और कुरैन के थे। सो जब वे अन्ताकिया आये तो यूनानियों को भी प्रवचन देते हुए प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाने लगे। 21 प्रभु की शक्ति उनके साथ थी। सो एक विशाल जन समुदाय विश्वास धारण करके प्रभु की ओर मुड़ गया।

22 इसका समाचार जब यरूशलेम में कलीसिया के कानों तक पहुँचा तो उन्होंने बरनाबास को अन्ताकिया जाने को भेजा। 23 जब बरनाबास ने वहाँ पहुँच कर प्रभु के अनुग्रह को सकारथ होते देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उन सभी को प्रभु के प्रति भक्तिपूर्ण ह्रदय से विश्वासी बने रहने को उत्साहित किया। 24 क्योंकि वह पवित्र आत्मा और विश्वास से पूर्ण एक उत्तम पुरुष था। फिर प्रभु के साथ एक विशाल जनसमूह और जुड़ गया।

25 बरनाबास शाऊल को खोजने तरसुस को चला गया। 26 फिर वह उसे ढूँढ कर अन्ताकिया ले आया। सारे साल वे कलीसिया से मिलते जुलते और विशाल जनसमूह को उपदेश देते रहे। अन्ताकिया में सबसे पहले इन्हीं शिष्यों को “मसीही” कहा गया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International