Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद की एक प्रार्थना।
1 हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे राजा, मैं तेरा गुण गाता हूँ!
मैं सदा-सदा तेरे नाम को धन्य कहता हूँ।
2 मैं हर दिन तुझको सराहता हूँ।
मैं तेरे नाम की सदा-सदा प्रशंसा करता हूँ।
3 यहोवा महान है। लोग उसका बहुत गुणगान करते हैं।
वे अनगिनत महाकार्य जिनको वह करता है हम उनको नहीं गिन सकते।
4 हे यहोवा, लोग उन बातों की गरिमा बखानेंगे जिनको तू सदा और सर्वदा करता हैं।
दूसरे लोग, लोगों से उन अद्भुत कर्मो का बखान करेंगे जिनको तू करता है।
5 तेरे लोग अचरज भरे गौरव और महिमा को बखानेंगे।
मैं तेरे आश्चर्यपूर्ण कर्मों को बखानूँगा।
6 हे यहोवा, लोग उन अचरज भरी बातों को कहा करेंगे जिनको तू करता है।
मैं उन महान कर्मो को बखानूँगा जिनको तू करता है।
7 लोग उन भली बातों के विषय में कहेंगे जिनको तू करता है।
लोग तेरी धार्मिकता का गान किया करेंगे।
8 यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है।
यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है।
3 उन सैनिकों की ढाल लाल है।
उनकी वर्दियाँ सुर्ख लाल हैं।
उनके रथ युद्ध के लिये पंक्तिबद्ध हो गये हैं
और वे ऐसे चमक रहे हैं जैसे वे आग की लपटें हों।
उनके घोड़े चल पड़ने को तत्पर हैं।
4 उनके रथ गलियों में भयंकर रीति से भागते हैं।
वे खुले मैदानों में सुलगती मशालों से दिखते हुये वेग से पीछे
और आगे को दौड़ रहे हैं।
वे ऐसे लगते हैं जैसे यहाँ वहाँ बिजली कड़क रही हो!
5 अश्शूर का राजा अपने उन सैनिकों को बुला रहा है जो सर्वश्रेष्ठ हैं।
किन्तु वे ठोकर खा रहे हैं और मार्ग में गिरे जा रहे हैं।
वे नगर परकोटे पर दौड़ते हैं
और वे भेदक मूसल के लिये प्राचीर रच रहे हैं।
6 किन्तु वे द्वार जो नदियों के निकट है, खुले हैं।
शत्रु उनमें से जा रहा है और राजा के महल को ध्वस्त कर रहा है।
7 देखो, यह शत्रु रानी को उठा ले जाता है
और उसकी दासियाँ बिलखती हैं जैसे दु:ख से भरी कपोती हों।
वे अपना दु:ख प्रगट करने को निज छाती पीट रहीं हैं।
8 नीनवे ऐसे तालाब सा हो गया है जिसका पानी बह कर
बाहर निकल रहा हो।
वे लोग पुकार कर कह रहे हैं, “रूको! रुको! ठहरे रहो, कहीं भाग मत जाओ।”
किन्तु कोई न ही रूकता है और न ही कोई उन पर ध्यान देता है!
9 हे सैनिको, तुम जो नीनवे का विनाश कर रहे हो!
तुम चाँदी ले लो और यह सोना ले लो!
यहाँ पर लेने को बहुतेरी वस्तुऐं हैं।
यहाँ पर बहुत से खजाने भी हैं!
10 अब नीनवे खाली है,
सब कुछ लुट गया है।
नगर बर्बाद हो गया है!
लोगों ने निज साहस खो दिया है।
उनके मन डर से पिघल रहे हैं,
उनके घुटने आपस में टकराते हैं।
उनके तन काँप रहे हैं,
उनके मुख डर से पीले पड़ गये हैं।
11 नीनवे जो कभी सिंह का माँद था,
अब वह कहाँ है?
जहाँ सिंह और सिंहनियाँ रहा करते थे।
उनके बच्चे निर्भय थे।
12 जिस सिंह ने (नीनवे के राजा ने) अपने बच्चों
और मादाओं को तृप्ति देने के लिये कितने ही शिकार मारे थे।
उसने माँद (नीनवे) भर ली थी।
मादाओं और नरों की देहों से जिनको उसने मारा था।
13 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“नीनवे, मैं तेरे विरूद्ध हूँ!
मैं तेरे रथों को युद्ध में जला दूँगा।
मैं तेरे ‘जवान सिंहों’ की हत्या करूँगा।
तू फिर कभी इस धरती पर कोई भी अपना शिकार मार नहीं पायेगा।
लोग फिर कभी तेरे हरकारों को नहीं सुनेंगे।”
5 यह देखने के लिए अपने आप को परखो कि क्या तुम विश्वासपूर्वक जी रहे हो। अपनी जाँच पड़ताल करो अथवा क्या तुम नहीं जानते कि वह यीशु मसीह तुम्हारे भीतर ही है। यदि ऐसा नहीं है, तो तुम इस परीक्षा में पूरे नहीं उतरे। 6 मैं आशा करता हूँ कि तुम यह जान जाओगे कि हम इस परीक्षा में किसी भी तरह विफल नहीं हुए। 7 हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो। इसलिए वही करो जो उचित है। चाहे हम इस परीक्षा में विफल हुए ही क्यों न दिखाई दें। 8 वास्तव में हम सत्य के विरुद्ध कुछ कर ही नहीं सकते। हम तो जो करते हैं, सत्य के लिये ही करते हैं।
9 हमारी निर्बलता और तुम्हारी सबलता हमें प्रसन्न करती है और हम इसी के लिये प्रार्थना करते रहते हैं कि तुम दृढ़ से दृढ़तर बनों। 10 इसलिए तुमसे दूर रहते हुए भी मैं इन बातों को तुम्हें लिख रहा हूँ ताकि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो मुझे प्रभु के द्वारा दिये गये अधिकार से तुम्हें हानि पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे आध्यात्मिक विकास के लिए तुम्हारे साथ कठोरता न बरतनी पड़े।
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