Revised Common Lectionary (Complementary)
भविष्य का राजा
9 सिय्योन, आनन्दित हो!
यरूशलेम के लोगों आनन्दघोष करो!
देखो तुम्हारा राजा तम्हारे पास आ रहा है!
वह विजय पानेवाला एक अच्छा राजा है। किन्तु वह विनम्र है।
वह गधे के बच्चे पर सवार है, एक गधे के बच्चे पर सवार है।
10 राजा कहता है, “मैंने एप्रैम में रथों को
और यरूशलेम में घुङसवारों को नष्ट किया।
मैंने युद्ध में प्रयोग किये गये धनुषों को नष्ट किया।”
अन्य राष्ट्रों ने शान्ति—संधि की बातें सुनीं।
वह राजा सागर से सागर तक राज्य करेगा।
वह नदी से लेकर पृथ्वी के दूरतम सेथानों पर राज्यकरेगा।
यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा
11 यरूशलेम हमने अपनी वाचा को खून से मुहरबन्द किया अत:
मैने तम्हारे बन्दियों को स्वतन्त्र कर दिया, तम्हारे लोग उस सूने बन्दिगृह में अब नहीं रह गए हैं।
12 बन्दियों, अपने घर जाओ!
अब तुम्हारे लिये कुछ आशा का अवसर है।
अब मैं तुमसे कह रहा हूँ,
मैं तुम्हारे पास लौट रहा हूँ!
8 यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है।
यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है।
9 यहोवा सब के लिये भला है।
परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।
10 हे यहोवा, तेरे कर्मो से तुझे प्रशंसा मिलती है।
तुझको तेरे भक्त धन्य कहा करते हैं।
11 वे लोग तेरे महिमामय राज्य का बखान किया करते हैं।
तेरी महानता को वे बताया करते हैं।
12 ताकि अन्य लोग उन महान बातों को जाने जिनको तू करता है।
वे लोग तेरे महिमामय राज्य का मनन किया करते हैं।
13 हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा
तू सर्वदा शासन करेगा।
14 यहोवा गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाता है।
यहोवा विपदा में पड़े लोगों को सहारा देता है।
15 मैं नहीं जानता मैं क्या कर रहा हूँ क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, नहीं करता, बल्कि मुझे वह करना पड़ता है, जिससे मैं घृणा करता हूँ। 16 और यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता तो मैं स्वीकार करता हूँ कि व्यवस्था उत्तम है। 17 किन्तु वास्तव में वह मैं नहीं हूँ जो यह सब कुछ कर रहा है, बल्कि यह मेरे भीतर बसा पाप है। 18 हाँ, मैं जानता हूँ कि मुझ में यानी मेरे भौतिक मानव शरीर में किसी अच्छी वस्तु का वास नहीं है। नेकी करने के इच्छा तो मुझ में है पर नेक काम मुझ से नहीं होते। 19 क्योंकि जो अच्छा काम मैं करना चाहता हूँ, मैं नहीं करता बल्कि जो मैं नहीं करना चाहता, वे ही बुरे काम मैं करता हूँ। 20 और यदि मैं वही काम करता हूँ जिन्हें करना नहीं चाहता तो वास्तव में उनका कर्ता जो उन्हें कर रहा है, मैं नहीं हूँ, बल्कि वह पाप है जो मुझ में बसा है।
21 इसलिए मैं अपने में यह नियम पाता हूँ कि मैं जब अच्छा करना चाहता हूँ, तो अपने में बुराई को ही पाता हूँ। 22 अपनी अन्तरात्मा में मैं परमेश्वर की व्यवस्था को सहर्ष मानता हूँ। 23 पर अपने शरीर में मैं एक दूसरे ही नियम को काम करते देखता हूँ यह मेरे चिन्तन पर शासन करने वाली व्यवस्था से युद्ध करता है और मुझे पाप की व्यवस्था का बंदी बना लेता है। यह व्यवस्था मेरे शरीर में क्रियाशील है। 24 मैं एक अभागा इंसान हूँ। मुझे इस शरीर से, जो मौत का निवाला है, छुटकारा कौन दिलायेगा? 25 अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। सो अपने हाड़ माँस के शरीर से मैं पाप की व्यवस्था का गुलाम होते हुए भी अपनी बुद्धि से परमेश्वर की व्यवस्था का सेवक हूँ।
16 “आज की पीढ़ी के लोगों की तुलना मैं किन से करूँ? वे बाज़ारों में बैठे उन बच्चों के समान हैं जो एक दूसरे से पुकार कर कह रहे हैं,
17 ‘हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी,
पर तुम नहीं नाचे।
हमने शोकगीत गाये,
किन्तु तुम नहीं रोये।’
18 बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना आया। जो न औरों की तरह खाता था और न ही पीता था। पर लोगों ने कहा था कि उस में दुष्टात्मा है। 19 फिर मनुष्य का पुत्र आया। जो औरों के समान ही खाता-पीता है, पर लोग कहते हैं, ‘इस आदमी को देखो, यह पेटू है, पियक्कड़ है। यह चुंगी वसूलने वालों और पापियों का मित्र है।’ किन्तु बुद्धि की उत्तमता उसके कामों से सिद्ध होती है।”
यीशु को अपनाने वालों को सुख चैन का वचन
(लूका 10:21-22)
25 उस अवसर पर यीशु बोला, “परम पिता, तू स्वर्ग और धरती का स्वामी है, मैं तेरी स्तुति करता हूँ क्योंकि तूने इन बातों को, उनसे जो ज्ञानी हैं और समझदार हैं, छिपा कर रखा है। और जो भोले भाले हैं उनके लिए प्रकट किया है। 26 हाँ परम पिता यह इसलिये हुआ, क्योंकि तूने इसे ही ठीक जाना।
27 “मेरे परम पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया और वास्तव में परम पिता के अलावा कोई भी पुत्र को नहीं जानता। और कोई भी पुत्र के अलावा परम पिता को नहीं जानता। और हर वह व्यक्ति परम पिता को जानता है, जिसके लिये पुत्र ने उसे प्रकट करना चाहा है।
28 “हे थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा। 29 मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर सँभालो। फिर मुझसे सीखो क्योंकि मैं सरल हूँ और मेरा मन कोमल है। तुम्हें भी अपने लिये सुख-चैन मिलेगा। 30 क्योंकि वह जुआ जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ बहुत सरल है। और वह बोझ जो मैं तुम पर डाल रहा हूँ, हल्का है।”
© 1995, 2010 Bible League International