Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, मैं तेरे भरोसे हूँ,
मुझे निराश मत कर।
मुझ पर कृपालु हो और मेरी रक्षा कर।
2 हे यहोवा, मेरी सुन,
और तू शीघ्र आकर मुझको बचा ले।
मेरी चट्टान बन जा, मेरा सुरक्षा बन।
मेरा गढ़ बन जा, मेरी रक्षा कर!
3 हे परमेश्वर, तू मेरी चट्टान है,
सो अपने निज नाम हेतु मुझको राह दिखा और मेरी अगुवाई कर।
4 मेरे लिए मेरे शत्रुओं ने जाल फैलाया है।
उनके फँदे से तू मुझको बचा ले, क्योंकि तू मेरा सुरक्षास्थल है।
5 हे परमेश्वर यहोवा, मैं तो तुझ पर भरोसा कर सकता हूँ।
मैं मेरा जीवन तेरे हाथ में सौपता हूँ।
मेरी रक्षा कर!
19 हे परमेश्वर, तूने अपने भक्तों के लिए बहुत सी अदूभुत वस्तुएँ छिपा कर रखी हैं।
तू सबके सामने ऐसे मनुष्यों के लिए जो तेरे विश्वासी हैं, भले काम करता है।
20 दुर्जन सज्जनों को हानि पहुँचाने के लिए जुट जाते हैं।
वे दुर्जन लड़ाई भड़काने का जतन करते हैं।
किन्तु तू सज्जनों को उनसे छिपा लेता है, और उन्हें बचा लेता है। तू सज्जनों की रक्षा अपनी शरण में करता है।
21 यहोवा कि स्तुति करो! जब नगर को शत्रुओं ने घेर रखा था,
तब उसने अपना सच्चा प्रेम अद्भुत रीति से दिखाया।
22 मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।”
किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।
23 परमेश्वर के भक्तों, तुम को यहोवा से प्रेम करना चाहिए!
यहोवा उन लोगों को जो उसके प्रति सच्चे हैं, रक्षा करता है।
किन्तु यहोवा उनको जो अपनी ताकत की ढोल पीटते है।
उनको वह वैसा दण्ड देता है, जैसा दण्ड उनको मिलना चाहिए।
24 अरे ओ मनुष्यों जो यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा करते हो, सुदृढ़ और साहसी बनो!
परमेश्वर का इस्राएल से वाचा
24 परमेश्वर ने मूसा से कहा, “तुम हारून, नादाब, अबीहू और इस्राएल के सत्तर बुजुर्ग (नेता) पर्वत पर आओ और कुछ दूर से मेरी उपासना करो। 2 तब मूसा अकेले यहोवा के समीप आएगा। अन्य लोग यहोवा के समीप न आएँ, और शेष व्यक्ति पर्वत तक भी न आएँ।”
3 इस प्रकार मूसा ने यहोवा के सभी नियमों और आदेशों को लोगों को बताया। तब सभी लोगों ने कहा, “यहोवा ने जिन सभी आदेशों को दिया उनका हम पालन करेंगे।”
4 इसलिए मूसा ने यहोवा के सभी आदेशों को चर्म पत्र पर लिखा। अगली सुबह मूसा उठा और पर्वत की तलहटी के समीप उसने एक वेदी बनाई और उसने बारह शिलाएँ इस्राएल के बारह कबीलों के लिए स्थापित कीं। 5 तब मूसा ने इस्राएल के युवकों को बलि चढ़ाने के लिए बुलाया। इन व्यक्तियों ने यहोवा को होमबलि और मेलबलि के रूप में बैल की बलि चढ़ाई।
6 मूसा ने इन जानवरों के खून को इकट्ठा किया। मूसा ने आधा खून प्याले में रखा और उसने दूसरा आधा खून वेदी पर छिड़का।[a]
7 मूसा ने चर्म पत्र पर लिखे विशेष साक्षीपत्र को पढ़ा। मूसा ने साक्षीपत्र को इसलिए पढ़ा कि सभी लोग उसे सुन सकें और लोगों ने कहा, “हम लोगों ने उन नियमों को जिन्हें यहोवा ने हमें दिया, सुन लिया है और हम सब लोग उनके पालन करने का वचन देते हैं।”
8 तब मूसा ने खून को लिया और उसे लोगों पर छिड़का। उसने कहा, “यह खून बताता है कि यहोवा ने तुम्हारे साथ विशेष साक्षीपत्र स्थापित किया। ये नियम जो यहोवा ने दिए है वे साक्षीपत्र को स्पष्ट करते हैं।”
यहूदी और व्यवस्था
17 किन्तु यदि तू अपने आप को यहूदी कहता है और व्यवस्था में तेरा विश्वास है और अपने परमेश्वर का तुझे अभिमान है 18 और तू उसकी इच्छा को जानता है और उत्तम बातों को ग्रहण करता है, क्योंकि व्यवस्था से तुझे सिखाया गया है, 19 तू यह मानता है कि तू अंधों का अगुआ है, जो अंधेरे में भटक रहे हैं उनके लिये तू प्रकाश है, 20 अबोध लोगों को सिखाने वाला है, बच्चों का उपदेशक है क्योंकि व्यवस्था में तुझे साक्षात् ज्ञान और सत्य ठोस रूप में प्राप्त है, 21 तो तू जो औरों को सिखाता है, अपने को क्यों नहीं सिखाता। तू जो चोरी नहीं करने का उपदेश देता है, स्वयं चोरी क्यों करता है? 22 तू जो कहता है व्यभिचार नहीं करना चाहिये, स्वयं व्यभिचार क्यों करता है? तू जो मूर्तियों से घृणा करता है मन्दिरों का धन क्यों छीनता है? 23 तू जो व्यवस्था का अभिमानी है, व्यवस्था को तोड़ कर परमेश्वर का निरादर क्यों करता है? 24 “तुम्हारे कारण ही ग़ैर यहूदियों में परमेश्वर के नाम का अपमान होता है?” जैसा कि शास्त्र में लिखा है।
25 यदि तुम व्यवस्था का पालन करते हो तभी ख़तने का महत्व है पर यदि तुम व्यवस्था को तोड़ते हो तो तुम्हारा ख़तना रहित होने के समान ठहरा। 26 यदि किसी का ख़तना नहीं हुआ है और वह व्यवस्था के पवित्र नियमों पर चलता है तो क्या उसके ख़तना रहित होने को भी ख़तना न गिना जाये? 27 वह मनुष्य जिसका शरीर से ख़तना नहीं हुआ है और जो व्यवस्था का पालन करता है, तुझे अपराधी ठहरायेगा। जिसके पास लिखित व्यवस्था का विधान है, और जिसका ख़तना भी हुआ है, और जो व्यवस्था को तोड़ता है,
28 जो बाहर से ही यहूदी है, वह वास्तव में यहूदी नहीं है। शरीर का ख़तना वास्तव में ख़तना नहीं है। 29 सच्चा यहूदी वही है जो भीतर से यहूदी है। सच्चा ख़तना आत्मा द्वारा मन का ख़तना है, न कि लिखित व्यवस्था का। ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा मनुष्य नहीं बल्कि परमेश्वर की ओर से की जाती है।
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