Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 9:1-14

अलामौथ बैन राग पर आधारित दाऊद का पद: संगीत निर्देशक के लिये।

मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा की स्तुति करता हूँ।
    हे यहोवा, तूने जो अद्भुत कर्म किये हैं, मैं उन सब का वर्णन करुँगा।
तूने ही मुझे इतना आनन्दित बनाया है।
    हे परम परमेश्वर, मैं तेरे नाम के प्रशंसा गीत गाता हूँ।
जब मेरे शत्रु मुझसे पलट कर मेरे विमुख होते हैं,
    तब परमेश्वर उनका पतन करता और वे नष्ट हो जाते हैं।

तू सच्चा न्यायकर्ता है। तू अपने सिंहासन पर न्यायकर्ता के रुप में विराजा।
    तूने मेरे अभियोग की सुनवाई की और मेरा न्याय किया।
हे यहोवा, तूने उन शत्रुओं को कठोर झिड़की दी
    और हे यहोवा, तूने उन दुष्टों को नष्ट किया।
    उनके नाम तूने जीवितों की सूची से सदा सर्वदा के लिये मिटा दिये।
शत्रु नष्ट हो गया है!
    हे यहोवा, तूने उनके नगर मिटा दिये हैं! उनके भवन अब खण्डहर मात्र रह गये हैं।
    उन बुरे व्यक्तियों की हमें याद तक दिलाने को कुछ भी नहीं बचा है।

किन्तु यहोवा, तेरा शासन अविनाशी है।
    यहोवा ने अपने राज्य को शक्तिशाली बनाया। उसने जग में न्याय लाने के लिये यह किया।
यहोवा धरती के सब मनुष्यों का निष्पक्ष होकर न्याय करता है।
    यहोवा सभी जातियों का पक्षपात रहित न्याय करता है।
यहोवा दलितों और शोषितों का शरणस्थल है।
    विपदा के समय वह एक सुदृढ़ गढ़ है।

10 जो तुझ पर भरोसा रखते,
    तेरा नाम जानते हैं।
हे यहोवा, यदि कोई जन तेरे द्वार पर आ जाये
    तो बिना सहायता पाये कोई नहीं लौटता।

11 अरे ओ सिय्योन के निवासियों, यहोवा के गीत गाओ जो सिय्योन में विराजता है।
    सभी जातियों को उन बातों के विषय में बताओ जो बड़ी बातें यहोवा ने की हैं।
12 जो लोग यहोवा से न्याय माँगने गये,
    उसने उनकी सुधि ली।
जिन दीनों ने उसे सहायता के लिये पुकारा,
    उनको यहोवा ने कभी भी नहीं बिसारा।

13 यहोवा की स्तुति मैंने गायी है: “हे यहोवा, मुझ पर दया कर।
    देख, किस प्रकार मेरे शत्रु मुझे दु:ख देते हैं।
    ‘मृत्यु के द्वार’ से तू मुझको बचा ले।
14 जिससे यहोवा यरूशलेम के फाटक पर मैं तेरी स्तुति गीत गा सकूँ।
    मैं अति प्रसन्न होऊँगा क्योंकि तूने मुझको बचा लिया।”

अय्यूब 16:1-21

16 इस पर अय्यूब ने उत्तर देते हुए कहा:

“मैंने पहले ही ये बातें सुनी हैं।
    तुम तीनों मुझे दु:ख देते हो, चैन नहीं।
तुम्हारी व्यर्थ की लम्बी बातें कभी समाप्त नहीं होती।
    तुम क्यों तर्क करते ही रहते हो?
जैसे तुम कहते हो वैसी बातें तो मैं भी कर सकता हूँ,
    यदि तुम्हें मेरे दु:ख झेलने पड़ते।
तुम्हारे विरोध में बुद्धिमत्ता की बातें मैं भी बना सकता हूँ
    और अपना सिर तुम पर नचा सकता हूँ।
किन्तु मैं अपने वचनों से तुम्हारा साहस बढ़ा सकता हूँ और तुम्हारे लिये आशा बन्धा सकता हूँ?

“किन्तु जो कुछ मैं कहता हूँ उससे मेरा दु:ख दूर नहीं हो सकता।
    किन्तु यदि मैं कुछ भी न कहूँ तो भी मुझे चैन नहीं पड़ता।
सचमुच हे परमेश्वर तूने मेरी शक्ति को हर लिया है।
    तूने मेरे सारे घराने को नष्ट कर दिया है।
तूने मुझे बांध दिया और हर कोई मुझे देख सकता है। मेरी देह दुर्बल है,
    मैं भयानक दिखता हूँ और लोग ऐसा सोचते हैं जिस का तात्पर्य है कि मैं अपराधी हूँ।

“परमेश्वर मुझ पर प्रहार करता है।
    वह मुझ पर कुपित है और वह मेरी देह को फाड़ कर अलग कर देता है,
तथा परमेश्वर मेरे ऊपर दाँत पीसता है।
    मुझे शत्रु घृणा भरी दृष्टि से घूरते हैं।
10 लोग मेरी हँसी करते हैं।
    वे सभी भीड़ बना कर मुझे घेरने को और मेरे मुँह पर थप्पड़ मारने को सहमत हैं।
11 परमेश्वर ने मुझे दुष्ट लोगों के हाथ में अर्पित कर दिया है।
    उसने मुझे पापी लोगों के द्वारा दु:ख दिया है।
12 मेरे साथ सब कुछ भला चंगा था
    किन्तु तभी परमेश्वर ने मुझे कुचल दिया। हाँ,
उसने मुझे पकड़ लिया गर्दन से
    और मेरे चिथड़े चिथड़े कर डाले।
परमेश्वर ने मुझको निशाना बना लिया।
13     परमेश्वर के तीरंदाज मेरे चारों तरफ है।
    वह मेरे गुर्दों को बाणों से बेधता है।
वह दया नहीं दिखाता है।
    वह मेरे पित्त को धरती पर बिखेरता है।
14 परमेश्वर मुझ पर बार बार वार करता है।
    वह मुझ पर ऐसे झपटता है जैसे कोई सैनिक युद्ध में झपटता है।

15 “मैं बहुत ही दु:खी हूँ
    इसलिये मैं टाट के वस्त्र पहनता हूँ।
यहाँ मिट्टी और राख में मैं बैठा रहता हूँ
    और सोचा करता हूँ कि मैं पराजित हूँ।
16 मेरा मुख रोते—बिलखते लाल हुआ।
    मेरी आँखों के नीचे काले घेरे हैं।
17 मैंने किसी के साथ कभी भी क्रूरता नहीं की।
    किन्तु ये बुरी बातें मेरे साथ घटित हुई।
    मेरी प्रार्थनाऐं सही और सच्चे हैं।

18 “हे पृथ्वी, तू कभी उन अत्याचारों को मत छिपाना जो मेरे साथ किये गये हैं।
    मेरी न्याय की विनती को तू कभी रूकने मत देना।
19 अब तक भी सम्भव है कि वहाँ आकाश में कोई तो मेरे पक्ष में हो।
    कोई ऊपर है जो मुझे दोषरहित सिद्ध करेगा।
20 मेरे मित्र मेरे विरोधी हो गये हैं
    किन्तु परमेश्वर के लिये मेरी आँखें आँसू बहाती हैं।
21 मुझे कोई ऐसा व्यक्ति चाहिये जो परमेश्वर से मेरा मुकदमा लड़े।
    एक ऐसा व्यक्ति जो ऐसे तर्क करे जैसे निज मित्र के लिये करता हो।

मत्ती 24:45-51

अच्छे सेवक और बुरे सेवक

(लूका 12:41-48)

45 “तब सोचो वह भरोसेमंद सेवक कौन है, जिसे स्वामी ने अपने घर के सेवकों के ऊपर उचित समय उन्हें उनका भोजन देने के लिए लगाया है। 46 धन्य है वह सेवक जिसे उसका स्वामी जब आता है तो कर्तव्य करते पाता है। 47 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ वह स्वामी उसे अपनी समूची सम्पत्ति का अधिकारी बना देगा।

48 “दूसरी तरफ़ सोचो एक बुरा दास है, जो अपने मन में कहता है मेरा स्वामी बहुत दिनों से वापस नहीं आ रहा है। 49 सो वह अपने साथी दासों से मार पीट करने लगता है और शराबियों के साथ खाना पीना शुरु कर देता है। 50 तो उसका स्वामी ऐसे दिन आ जायेगा जिस दिन वह उसके आने की सोचता तक नहीं और जिसका उसे पता तक नहीं। 51 और उसका स्वामी उसे बुरी तरह दण्ड देगा और कपटियों के बीच उसका स्थान निश्चित करेगा जहाँ बस लोग रोते होंगे और दाँत पीसते होंगे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International