Revised Common Lectionary (Complementary)
7 हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, फिर हमको स्वीकार कर।
हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर।
8 प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
9 तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11 इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।
12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
14 “क्या इस्राएल के लोग दास हो गए हैं
ल के लोगों की सम्पत्ति अन्य लोगों ने क्यों ले ली
15 जवान सिंह (शत्रु) इस्राएल राष्ट्र पर दहाड़ते हैं, गुरते हैं।
सिंहों ने इस्राएल के लोगों का देश उजाड़ दिया हैं।
इस्राएल के नगर जला दिये गए हैं।
उनमें कोई भी नहीं रह गया है।
16 नोप और तहपन्हेस नगरों के लोगों ने तुम्हारे सिर के शीर्ष को कुचल दिया है।
17 यह परेशानी तुम्हारे अपने दोष के कारण है।
तुम अपने यहोवा परमेश्वर से विमुख हो गए, जबकि वह सही दिशा में तुम्हें ले जा रहा था।
18 यहूदा के लोगों, इसके बारे में सोचो:
क्या उसने मिस्र जाने में सहायता की क्या इसने नील नदी का पानी पीने में सहायता की नहीं!
क्या इसने अश्शूर जाने में सहायता की क्या इसने परात नदी का जल पीने में सहायता की नहीं!
19 तुमने बुरे काम किये, और वे बुरी चीजें तुम्हें केवल दण्ड दिलाएंगी।
विपत्तियाँ तुम पर टूट पड़ेंगी और ये विपत्तियाँ तुम्हें पाठ पढ़ाएंगी।
इस विषय में सोचो: तब तुम यह समझोगे कि अपने परमेश्वर से विमुख हो जाना कितना बुरा है।
मुझसे न डरना बुरा है।”
यह सन्देश मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा का था।
20 “यहूदा बहुत पहले तुमने अपना जुआ फेंक दिया था।
तुमने वह रस्सियाँ तोड़ फेंकी जिसे मैं तुम्हें अपने पास रखने में काम में लाता था।
तुमने मुझसे कहा, ‘मै आपकी सेवा नहीं करूँगा!’
सच्चाई यह है कि तुम वेश्या की तरह हर एक ऊँची पहाड़ी पर
और हर एक हरे पेड़ के नीचे लेटे और काम किये।
21 यहूदा, मैंने तुम्हें विशेष अंगूर की बेल की तरह रोपा।
तुम सभी अच्छे बीज के समान थे।
तुम उस भिन्न बेल में कैसे बदले
जो बुरे फल देती है
22 यदि तुम अपने को ल्ये से भी धोओ,
बहुत साबुन भी लगाओ,
तो भी मैं तुम्हारे दोष के दाग को देख सकता हूँ।”
यह सन्देश परमेश्वर यहोवा का था।
मनुष्य की शिक्षा और उसके बनाये नियमों पर मत चलो
16 इसलिए खाने पीने की वस्तुओं अथवा पर्वो, नये चाँद के पर्वों, या सब्त के दिनों को लेकर कोई तुम्हारी आलोचना न करे। 17 ये तो, जो बातें आने वाली हैं, उनकी छाया है। किन्तु इस छाया की वास्तविक काया तो मसीह की ही है। 18 कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है। 19 वह अपने आपको मसीह के अधीन नहीं रखता जो प्रमुख है जो जोड़ों और नसों से समर्थित होकर सारी देह का उपकार करता है, और जिससे आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है। 20 क्योंकि तुम मसीह के साथ मर चुके हो और तुम्हें संसार की बुनियादी शिक्षाओं से छुटकारा दिलाया जा चुका है। तो इस तरह का आचरण क्यों करते हो जैसे तुम इस दुनिया के हो और ऐसे नियमों का पालन करते हो जैसे: 21 “इसे हाथ मत लगाओ,” “इसे चखो मत” या “इसे छुओ मत?” 22 ये सब वस्तुएँ तो काम में आते-आते नष्ट हो जाने के लिये हैं। ऐसे आचार व्यवहारों की अधीनता स्वीकार करके तो तुम मनुष्य के बनाये आचार व्यवहारों और शिक्षाओं का ही अनुसरण कर रहे हो। 23 मनमानी उपासना, अपने शरीर को प्रताड़ित करने और अपनी काया को कष्ट देने से सम्बन्धित ये नियम बुद्धि पर आधारित प्रतीत होते हैं पर वास्तव में इन मूल्यों का कोई नियम नहीं है। ये नियम तो वास्तव में लोगों को उनकी पापपूर्ण मानव प्रकृति में लगा डालते हैं।
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