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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
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मारक 9:30-50

30 वहाँ से निकल कर उन्होंने गलील प्रदेश का मार्ग लिया. मसीह येशु नहीं चाहते थे कि किसी को भी इस यात्रा के विषय में मालूम हो. 31 इसलिए कि मसीह येशु अपने शिष्यों को यह शिक्षा दे रहे थे, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों पकड़वा दिया जाएगा. वे उसकी हत्या कर देंगे. तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.” 32 किन्तु यह विषय शिष्यों की समझ से परे रहा तथा वे इसका अर्थ पूछने में डर भी रहे थे.

33 कफ़रनहूम नगर पहुँच कर जब उन्होंने घर में प्रवेश किया मसीह येशु ने शिष्यों से पूछा, “मार्ग में तुम किस विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे?” 34 शिष्य मौन बने रहे क्योंकि मार्ग में उनके विचार-विमर्श का विषय था उनमें बड़ा कौन है.

35 मसीह येशु ने बैठते हुए बारहों को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “यदि किसी की इच्छा बड़ा बनने की है, वह छोटा हो जाए और सबका सेवक बने.”

36 उन्होंने एक बालक को उनके मध्य खड़ा किया और फिर उसे गोद में ले कर शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा, 37 “जो कोई ऐसे बालक को मेरे नाम में स्वीकार करता है, मुझे स्वीकार करता है तथा जो कोई मुझे स्वीकार करता है, वह मुझे नहीं परन्तु मेरे भेजने वाले को स्वीकार करता है.”

शिष्यों द्वारा अन्य शिष्य के

मसीह येशु नाम के उपयोग पर आपत्ति

(लूकॉ 9:49, 50)

38 योहन ने मसीह येशु को सूचना दी, “गुरुवर, हमने एक व्यक्ति को आपके नाम में प्रेत निकालते हुए देखा है. हमने उसे रोकने का प्रयास किया क्योंकि वह हममें से नहीं है.”

39 “मत रोको उसे!” मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “कोई भी, जो मेरे नाम में अद्भुत-काम करता है, दूसरे ही क्षण मेरी निन्दा नहीं कर सकता 40 क्योंकि वह व्यक्ति, जो हमारे विरुद्ध नहीं है, हमारे पक्ष में ही है.

41 “यदि कोई तुम्हें एक कटोरा जल इसलिए पिलाता है कि तुम मसीह के शिष्य हो तो मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: वह अपना प्रतिफल न खोएगा.

ठोकर का कारण बनने वाले के विषय में चेतावनी

(मत्ति 18:7-9)

42 “और यदि कोई इन मासूम बालकों के, जिन्होंने मुझ पर विश्वास रखा है, पतन का कारण बने, उसके लिए सही यही होगा कि उसके गले में चक्की का पाट बान्ध उसे समुद्र में फेंक दिया जाए. 43 यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यह होगा कि तुम एक विकलांग के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों हाथों के होते हुए नर्क में जाओ, जहाँ आग कभी नहीं बुझती, 44 जहाँ उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहाँ आग कभी नहीं बुझती.[a] 45 यदि तुम्हारा पांव तुम्हारे लिए ठोकर का कारण हो जाता है उसे काट फेंको. तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम लँगड़े के रूप में जीवन में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दो पाँवों के होते हुए नर्क में फेंके जाओ, 46 जहाँ उनका कीड़ा कभी नहीं मरता, जहाँ आग कभी नहीं बुझती. 47 यदि तुम्हारी आँख तुम्हारे लिए ठोकर का कारण बने तो उसे निकाल फेंको! तुम्हारे लिए सही यही होगा कि तुम एक आँख के साथ परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करो, बजाय इसके कि तुम दोनों आँखों के साथ नर्क में फेंके जाओ,

48 “‘जहाँ उनका कीड़ा कभी नहीं मरता,
    जहाँ आग कभी नहीं बुझती.’

49 हर एक व्यक्ति आग द्वारा नमकीन किया जाएगा.

50 “नमक एक आवश्यक वस्तु है, किन्तु यदि नमक अपना खारापन खो बैठे तो किस वस्तु से उसका खारापन वापस कर सकोगे? तुम स्वयं में नमक तथा आपस में मेल मिलाप बनाए रखो.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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