Old/New Testament
29 ओ दिनमन म, तकलीफ के तुरते बाद, सूरज ह अंधियार हो जाही, अऊ चंदा ह अपन अंजोर नइं दिही, तारामन अकास ले गिर जाहीं, अऊ अकास के सक्तिमन हलाय जाहीं।[a]
30 तब ओ समय, मनखे के बेटा के चिन्हां ह अकास म दिखही अऊ धरती के जम्मो जाति के मनखेमन सोक मनाहीं। ओमन मनखे के बेटा ला सामरथ अऊ बड़े महिमा के संग अकास के बादर म आवत देखहीं। 31 अऊ ओह तुरही के बड़े अवाज के संग अपन स्वरगदूतमन ला पठोही, अऊ ओमन अकास के एक छोर ले लेके दूसर छोर तक, चारों दिग ले ओकर चुने मनखेमन ला संकेलहीं।
32 अंजीर के रूख ले ए बात ला सिखव: जब एकर छोटे डारामन कोंवर बन जाथें अऊ ओम पान निकरे लगथें, त तुमन जान लेथव कि घाम के महिना ह अवइया हवय। 33 ओहीच किसम ले, जब तुमन ए जम्मो घटनामन ला देखव, त जान लेवव कि ओ समय ह लकठा म हवय, पर दुवारी म आ गे हवय। 34 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए जम्मो बातमन पूरा नइं हो जाहीं, तब तक ए पीढ़ी के अंत नइं होवय। 35 अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बचन ह कभू नइं टरय।”
दिन अऊ समय के जानकारी नइं अय
(मरकुस 13:32-37; लूका 17:26-30, 34-36)
36 “ओ दिन या समय के बारे म कोनो नइं जानंय; न तो स्वरग के दूत अऊ न ही बेटा, पर सिरिप ददा ह एला जानथे। 37 जइसने नूह के समय म होय रिहिस, वइसनेच मनखे के बेटा के अवई होही। 38 ओ समय जल परलय होय के पहिली, नूह के पानी जहाज म चघे के दिन तक, मनखेमन खावत-पीयत रिहिन अऊ ओमन के बीच म सादी-बिहाव होवत रिहिस; 39 जब तक जल परलय नइं आईस अऊ ओ जम्मो ला बोहाके नइं ले गीस, तब तक ओमन कुछू नइं जानत रिहिन। वइसनेच मनखे के बेटा के अवई ह घलो होही। 40 ओ बखत दू झन मनखे खेत म होहीं; एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर ला छोंड़ देय जाही। 41 दू झन माईलोगनमन चक्की म आंटा पीसत होहीं; एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर ला छोंड़ देय जाही।
42 एकरसेति, सचेत रहव, काबरकि तुमन नइं जानव कि तुम्हर परभू ह कोन दिन आही। 43 पर ए बात ला समझ लव: यदि घर के मालिक ला मालूम होतिस कि चोर ह रात के कतेक बेरा आही, त ओह सचेत रहितिस अऊ अपन घर म सेंध नइं लगन देतिस। 44 एकरसेति तुमन घलो तियार रहव, काबरकि मनखे के बेटा ह ओ समय आ जाही, जब तुमन ओकर आय के आसा नइं करत होहू।
45 तब कोन ह बिसवास के काबिल अऊ बुद्धिमान सेवक अय, जऊन ला मालिक ह अपन घर के आने सेवकमन ऊपर मुखिया ठहराय हवय ताकि ओह ओमन ला सही समय म खाना देवय। 46 धइन अय ओ सेवक, जऊन ला ओकर मालिक ह लहुंटके आय के पाछू, अइसने करत पाथे। 47 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओह ओ सेवक ला अपन जम्मो संपत्ति के मुखिया ठहराही। 48 पर यदि ओ सेवक ह दुस्ट अय अऊ अपन मन म ए कहय, ‘मोर मालिक के अवई म देरी हवय’, 49 अऊ तब ओह अपन संगी सेवकमन ला मारन-पीटन लगय अऊ मतवालमन के संग खावय-पीयय, 50 तब ओ सेवक के मालिक ह अइसने दिन म आ जाही, जब ओह ओकर आय के आसा नइं करत होही अऊ अइसने समय, जऊन ला ओह नइं जानत होही। 51 तब मालिक ह ओला सजा दिही, अऊ ओला ढोंगीमन के संग ठऊर दिही, जिहां ओह रोही अऊ अपन दांत पीसही।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.